पौष पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
पौष पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि

पौष पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि

25 जनवरी, 2024 - इस पूर्णिमा अवश्य करें ये काम


पौष पूर्णिमा क्या है (What is Paush Purnima)

हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा मनाई जाती है। इस प्रकार पौष माह की पूर्णिमा 17 जनवरी 2022 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा के दिन चन्द्रदेव पूर्ण आकार में होते हैं। इस दिन पूजा, जप, तप, स्नान, सूर्य अर्घ्य और दान से न केवल चंद्रदेव, बल्कि भगवान श्रीहरि की भी कृपा बरसती है। पूर्णिमा और अमावस्या को पूजा और दान करने से व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं। सनातन शास्त्रों में पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा व्रत और सत्यनारायण पूजा का विधान है। इस दिन साधक पवित्र नदियों में स्नान कर तिल तर्पण करते हैं, इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान करना बेहद शुभ बताया जाता है।

पौष पूर्णिमा 2024 कब है (When Is Paush Purnima In 2024 )

साल 2024 में पौष पूर्णिमा 25 जनवरी को पड़ रही है। पौष पूर्णिमा तिथि 24 जनवरी को रात्री रात 9 बजकर 49 मिनट से आरंभ होगी और 25 जनवरी रात्रि 11 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी।

पौष पूर्णिमा का महत्व (Importance of Paush Purnima)

वैदिक मान्यताओं अनुसार, पौष सूर्य देव का माह कहलाता है और इस मास सूर्य देव की आराधना करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। चूंकि पौष का महीना सूर्य देव का माह है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है। अतः सूर्य और चंद्रमा का यह अद्भूत संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को होता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती है। ऐसा कहा जाता है कि पौष मास के समय में किए जाने वाले धार्मिक कर्मकांड की पूर्णता पूर्णिमा पर स्नान करने से सार्थक होती है।

पौष पूर्णिमा व्रत पूजा विधि (Paush Purnima Vrat Pooja Vidhi)

पौष पूर्णिमा पर देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों पर स्नान और धार्मिक आयोजन होते हैं। पौष पूर्णिमा से तीर्थराज प्रयाग में माघ मेले का आयोजन शुरू होता है। इस धार्मिक उत्सव में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक विद्वानों के अनुसार माघ माह के स्नान का संकल्प पौष पूर्णिमा पर लेना चाहिए।

सामग्री

चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि।

विधि

  • इस दिन ब्रह्म बेला में उठें और घर की साफ़-सफाई करें। फिर व्रत का संकल्प लें।
  • पवित्र नदियों मे स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर लें।
  • सर्वप्रथम भगवान भास्कर को ॐ नमो नारायणाय मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य और तिलांजलि दें। - इसके लिए सूर्य के सन्मुख खड़े होकर जल में तिल डालकर उसका तर्पण करें।
  • फिर ठाकुर और नारायण जी की पूजा करें।
  • भगवान को भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें।
  • अंत में आरती-प्रार्थना कर पूजा संपन्न करें।
  • इसके बाद जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र विशेष रूप से देने चाहिए।

पौष पूर्णिमा पर रखें इन बातों का ध्यान (Keep these things in mind on Paush Purnima)

क्या करें?

  • पूर्णिमा के दिन चावल का दान करना शुभ होता है। चावल का संबंध चंद्रमा से होता है और पूर्णिमा के दिन चावल का दान करने से चंद्रमा की स्थिति कुंडली में मजबूत होती है।
  • पूर्णिमा के दिन सफेद रंग की चीजों का दान करना चाहिए।
  • पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा सुननी चाहिए।
  • पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
  • पूर्णिमा के दिन महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। कहते हैं कि पीपल में मां लक्ष्मी का वास होता है।

पौष पूर्णिमा के दिन क्या न करें?

  • इस दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें।
  • इस दिन परिवार में सुख-शांति बनाकर रखें।
  • पूर्णिमा के दिन घर पर आने वाले गरीब या जरुरतमंद को दान दें।

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