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मंडला पूजा 2025

मंडला पूजा 2025: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व। इस खास अवसर पर जानें पूजा का सही तरीका!

मंडला पूजा के बारे में

मंडला पूजा दक्षिण भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है, जिसे विशेष रूप से सबरीमाला अयप्पा मंदिर में मनाया जाता है। यह पूजा 41 दिनों तक चलती है और इस दौरान श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ भगवान अयप्पा की आराधना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस समय पवित्र मन से पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

क्या है मण्डला पूजा?

मण्डला पूजा दक्षिण भारत का एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है, जो विशेष रूप से केरल के सबरीमाला अयप्पा मंदिर में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पूजा 41 दिनों तक चलती है, और इस अवधि में भक्त भगवान अयप्पा की आराधना करते हैं। इन 41 दिनों की साधना को “मंडल काल” कहा जाता है। इस दौरान भक्त व्रत, संयम और पवित्रता का पालन करते हुए भक्ति मार्ग पर चलते हैं।

मंडला पूजा कब है?

साल 2025 में मंडला पूजा का आयोजन 27 दिसंबर 2025, शनिवार को किया जाएगा।

  • मण्डला पूजा प्रारम्भ सोमवार, नवम्बर 17, 2025 को
  • मण्डला पूजा शनिवार, दिसम्बर 27, 2025 को

क्यों करते हैं मण्डला पूजा?

  • मण्डला पूजा का मुख्य उद्देश्य है — मन, वचन और कर्म से शुद्ध होकर भगवान अयप्पा की कृपा प्राप्त करना।
  • यह पूजा व्यक्ति के भीतर आत्मसंयम, धैर्य और आध्यात्मिक शक्ति का विकास करती है।
  • मान्यता है कि जो भक्त पूरे 41 दिन तक निष्ठा से व्रत का पालन करते हैं और सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • इस पूजा का पालन करने वाले भक्त सांसारिक इच्छाओं, भोग-विलास और नकारात्मक प्रवृत्तियों से दूर रहते हैं, जिससे जीवन में संतुलन और आत्मशुद्धि आती है।

मंडला पूजा का महत्व

आध्यात्मिक शुद्धि का पर्व:

  • मण्डला पूजा व्यक्ति को सांसारिक मोह-माया से मुक्त कर आंतरिक शांति और अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करती है।

भगवान अयप्पा की कृपा प्राप्ति:

  • यह पूजा भगवान अयप्पा की भक्ति का सर्वोच्च रूप मानी जाती है। जो भक्त पूरे मन से अयप्पा की आराधना करते हैं, उन पर भगवान की विशेष कृपा होती है।

अनुशासन और संयम का प्रतीक:

  • 41 दिनों का यह व्रत अनुशासन, संयम, और आत्मसंयम की परीक्षा है। इस दौरान भक्त केवल सात्त्विक भोजन करते हैं और पवित्र आचरण का पालन करते हैं।

मानसिक और शारीरिक संतुलन:

  • इस पूजा के नियमों का पालन करने से शरीर स्वस्थ रहता है, मन शांत होता है और आत्मबल में वृद्धि होती है।

मोक्ष और पुण्य की प्राप्ति:

  • धार्मिक मान्यता है कि मण्डला पूजा के माध्यम से किए गए तप, दान और भक्ति से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है।

मंडला पूजा के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:38 ए एम से 05:31 ए एम

प्रातः सन्ध्या

05:04 ए एम से 06:24 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:24 ए एम से 12:07 पी एम

विजय मुहूर्त

01:33 पी एम से 02:16 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:05 पी एम से 05:32 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:07 पी एम से 06:27 पी एम

अमृत काल

03:42 पी एम से 05:22 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:19 पी एम से 12:12 ए एम, नवम्बर 28

मण्डला पूजा की पूजन सामग्री

मण्डला पूजा के लिए आवश्यक सामग्रियां सरल होती हैं, परंतु उन्हें पूर्ण श्रद्धा से अर्पित करना चाहिए। पूजन सामग्री इस प्रकार है:

  • भगवान अयप्पा की प्रतिमा या चित्र
  • पीला वस्त्र या काली धोती (व्रतधारी के लिए)
  • दीपक और तेल (तिल या नारियल का)
  • कपूर
  • अगरबत्ती
  • फूल (विशेष रूप से तुलसी, कमल या पीले फूल)
  • अक्षत (चावल)
  • सिंदूर और हल्दी
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  • नारियल
  • फल और मिठाई
  • तुलसी पत्र
  • बेल पत्र (शिव पूजा के लिए)
  • पवित्र जल (गंगाजल या किसी तीर्थ का जल)
  • प्रसाद हेतु गुड़, चना या नारियल

मण्डला पूजा की सम्पूर्ण पूजा विधि

व्रत और तैयारी

  • मण्डला पूजा आरंभ होने से पहले भक्त 41 दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हैं।
  • इस दौरान सात्त्विक आहार, संयमित आचरण और ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक होता है।
  • भक्त काली या नीली धोती पहनते हैं और अपने शरीर को स्वच्छ रखते हैं।
  • प्रातः स्नान कर भगवान अयप्पा का ध्यान करते हुए “स्वामीये शरणम अयप्पा” मंत्र का जाप करते हैं।

पूजन प्रारंभ

  • पूजा स्थान को स्वच्छ कर भगवान अयप्पा की मूर्ति या चित्र को पीले वस्त्र पर स्थापित करें।
  • दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती से वातावरण को पवित्र करें।
  • गंगाजल से कलश पूजन करें और संकल्प लें कि आप भगवान अयप्पा की 41 दिन की पूजा पूरी श्रद्धा से करेंगे।

मुख्य पूजा विधि

  • भगवान गणेश की पूजा करें: सबसे पहले विघ्नहर्ता गणेश जी का पूजन करें।
  • भगवान अयप्पा की पूजा करें
  • फूल, अक्षत, चंदन और तुलसी पत्र अर्पित करें।
  • दीप और कपूर से आरती करें।
  • “स्वामीये शरणम अयप्पा” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • भगवान शिव, विष्णु और हनुमान जी की भी पूजा करें, क्योंकि भगवान अयप्पा इन सभी के आशीर्वाद से उत्पन्न हुए हैं।

भोग और आरती

  • भगवान अयप्पा को नारियल, गुड़, चना, और पंचामृत अर्पित करें।
  • इसके बाद आरती करें — “हरिवरासनं विश्वमोहनं, हरिदधीस्वरं अर्यपादुकं नमामि”
  • आरती के बाद सभी भक्त प्रसाद ग्रहण करें और भक्ति भाव से प्रभु का नाम जपें।

व्रत के दौरान नियम

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • तामसिक भोजन (मांस, प्याज, लहसुन) से दूर रहें।
  • सत्य बोलें और विनम्र रहें।
  • प्रतिदिन दो बार स्नान कर पूजा करें।
  • नंगे पैर चलने और बिस्तर पर न सोने का संकल्प कुछ भक्त लेते हैं।
  • “स्वामीये शरणम अयप्पा” का निरंतर जाप करें।

मण्डला पूजा प्रारम्भ में क्या किया जाता है?

मण्डला पूजा की शुरुआत अत्यंत पवित्र मानी जाती है, क्योंकि यह भगवान अयप्पा स्वामी की उपासना का आरंभिक चरण होता है। यह पूजा 41 दिनों तक चलने वाले व्रत (मण्डल काल) का प्रथम दिन होता है, जिसे भक्त पूर्ण श्रद्धा और संयम से आरंभ करते हैं। पूजा प्रारम्भ के समय किए जाने वाले मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:

स्नान और शुद्धिकरण:

  • प्रातः काल स्नान कर शरीर और मन को शुद्ध किया जाता है। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र (अधिकतर काली या नीली धोती) धारण की जाती है।

संकल्प लेना:

  • पूजा आरंभ से पहले भक्त भगवान अयप्पा के समक्ष यह संकल्प लेते हैं —
  • कि वे आने वाले 41 दिनों तक संयम, सात्त्विकता और भक्ति के साथ व्रत का पालन करेंगे।
  • संकल्प के दौरान “स्वामीये शरणम अयप्पा” मंत्र का उच्चारण किया जाता है।

गुरुस्वामी से दीक्षा:

  • जो भक्त पहली बार व्रत रखते हैं, वे किसी गुरुस्वामी (अनुभवी भक्त) से दीक्षा लेते हैं। यह दीक्षा व्रत को शुद्ध और फलदायक बनाती है।

माला धारण करना:

  • भक्त अयप्पा स्वामी की तुलसी या रुद्राक्ष की माला धारण करते हैं, जो व्रत का प्रतीक होती है। इस माला को “माला धारना” कहा जाता है।

अयप्पा स्वामी की प्रतिमा या चित्र की स्थापना:

  • घर या मंदिर में भगवान अयप्पा की मूर्ति या चित्र को स्थापित कर दीप प्रज्वलित किया जाता है।

प्रार्थना और मंत्र जाप:

  • “स्वामीये शरणम अयप्पा” और “हरिवरासनं विश्वमोहनं” जैसे भक्ति मंत्रों का जाप कर पूजा प्रारंभ की जाती है।

मण्डला पूजा पर किसकी पूजा करें

मण्डला पूजा भगवान अयप्पा स्वामी की आराधना का पर्व है। भगवान अयप्पा को धर्म शास्ता भी कहा जाता है, और उन्हें भगवान शिव व मोहिनी (भगवान विष्णु का स्त्री रूप) का पुत्र माना गया है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है, साथ ही भगवान गणेश, शिव-पार्वती, और हनुमान जी का पूजन भी शुभ माना जाता है। सबरीमाला परंपरा के अनुसार, भगवान अयप्पा को “कन्यकुमार ब्रह्मचारी देवता” माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा अत्यंत पवित्रता और संयम से करनी चाहिए।

मंडला पूजा व्रत से होने वाले लाभ

  1. मंडला पर ध्यान केंद्रित करने से मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है।
  2. मंडला की सुंदरता और समरूपता देखकर तनाव कम होता है और मन प्रसन्न होता है।
  3. मंडला बनाने की प्रक्रिया में व्यक्ति की सृजनात्मकता का विकास होता है।
  4. मंडला पूरा करने से व्यक्ति को संतुष्टि मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  5. मंडला पूजा करने से व्यक्ति में धार्मिक भावनाओं का विकास होता है।
  6. मंडला में सकारात्मक ऊर्जा होती है जो व्यक्ति के आसपास के वातावरण को शुद्ध करती है।
  7. मंडला के सममित पैटर्न, व्यक्ति के भीतर संतुलन और सामंजस्य लाते हैं।
  8. मंडला थेरेपी का उपयोग कई मनोवैज्ञानिक समस्याओं जैसे चिंता, अवसाद और तनाव को कम करने में किया जाता है।

मंडल पूजा के दौरान होने वाले विशेष अनुष्ठान

  • व्रतम या उपवास मंडला पूजा का एक अभिन्न अंग है जिसे दक्षिण भारत के पारंपरिक लोगों द्वारा पूर्ण समर्पण और नियम के साथ मनाया जाता है।
  • सबरीमाला मंदिर में तीर्थ यात्रा करने वाले लोगों के लिए तपश्चर्या का पालन करना अनिवार्य है। मंडला पूजा की अवधि के दौरान, भक्त एक पवित्र और सरल जीवन व्यतीत करते हैं।
  • भक्त भगवान अयप्पा के नाम की माला के साथ रुद्राक्ष या तुलसी माला तब तक पहने रखते हैं, जब तक वे सबरीमाला अयप्पा मंदिर के दर्शन ना कर लें,और उसके बाद ही यह माला निकालते हैं। इस दौरान भक्तों को 'स्वामी' या 'अय्यप्पन' कहा जाता है।
  • मंडला पूजा की अवधि के दौरान, भक्तों को अपने शरीर के साथ-साथ मन को भी साफ रखने की आवश्यकता होती है और उन्हें सांसारिक सुखों को पूरी तरह से त्यागना अनिवार्य होता है।
  • मंडला पूजा के दौरान सबरीमाला मंदिर में आने वाले सभी भक्तों के लिए शराब और धूम्रपान वर्जित माना जाता है। साथ ही उन्हें काम और व्याभिचार से भी दूर रहने का नियम मानना होता है।
  • इसके अतिरिक्त ध्यान रखना होता है कि किसी भी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस न पहुंचे, और किसी भी तरह की अनीति न हो।

तो ये थी मंडला पूजा की संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आप व आपके परिवार पर भगवान अयप्पा पर की कृपा बनी रहे। व्रत त्यौहारों से जुड़ी ऐसी ही जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।

मण्डला पूजा करने के नियम

मण्डला पूजा के 41 दिनों तक भक्त को अत्यंत अनुशासित और सात्त्विक जीवन जीना आवश्यक है। इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन अनिवार्य होता है:

ब्रह्मचर्य का पालन करें:

  • व्रत के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें और इंद्रिय संयम रखें।

सात्त्विक भोजन करें:

  • केवल सात्त्विक भोजन करें। मांस, मछली, अंडा, प्याज, लहसुन, शराब, तंबाकू आदि का त्याग करें।

शरीर और मन की पवित्रता बनाए रखें:

  • प्रतिदिन प्रातः और सायंकाल स्नान कर पूजा करें। मन में पवित्रता और शुद्ध विचार रखें।

नंगे पैर चलें और साधारण जीवन अपनाएं:

  • अधिकांश भक्त इस दौरान नंगे पैर रहते हैं और बिस्तर पर नहीं सोते। वे जमीन पर चटाई या आसन पर विश्राम करते हैं।

प्रार्थना और नामस्मरण करें:

  • दिन में कई बार “स्वामीये शरणम अयप्पा” मंत्र का जाप करें।

दान और सेवा करें:

  • जरूरतमंदों की सहायता करें और धर्म कार्यों में भाग लें।

क्रोध, लोभ और अहंकार से दूर रहें:

  • व्रत काल में नम्रता, प्रेम और क्षमा की भावना बनाए रखें।

नियमित आरती और दीपदान करें:

  • प्रातः और सायंकाल दीप जलाकर भगवान अयप्पा की आरती करें।

तो ये थी मंडला पूजा की संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आप व आपके परिवार पर भगवान अयप्पा पर की कृपा बनी रहे। व्रत त्यौहारों से जुड़ी ऐसी ही जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।

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Published by Sri Mandir·November 5, 2025

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