विनायक चतुर्थी 2024 | Vinayaka Chaturthi
प्रत्येक माह में दो चतुर्थी होती है। जिन्हें गणेश भगवान की तिथि माना जाता है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। वहीं पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। हिंदू धर्म में गणेश भगवान को सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि अति प्रिय है, इसलिए चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की आराधना करना बेहद मंगलमय माना जाता है।
विनायक चतुर्थी कब है | Vinayaka Chaturthi Date and Time
- आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी 06 अक्टूबर रविवार को मनाई जाएगी।
- यह तिथि 06 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर प्रारंभ होगी
- और 07 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
- विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त - 10:35 AM से 12:56 PM तक।
इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त | Vinayaka Chaturthi Shubh Muhurat
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 15 मिनट से प्रातः 05 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।
- प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 39 मिनट से सुबह 05 बजकर 52 मिनट तक होगा।
- अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 22 मिनट से 12 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।
- विजय मुहूर्त दिन में 01 बजकर 44 मिनट से 02 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 05 बजकर 39 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।
- सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 05 बजकर 39 मिनट से 06 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
- अमृत काल दोपहर 02 बजकर 25 मिनट से 04 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
- निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 22 मिनट से 07 अक्टूबर की रात 12 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन रवि योग बन रहा है। जो कि सुबह 05 बजकर 52 मिनट से रात 12 बजकर 11 मिनट (07 अक्टूबर) तक रहेगा।
विनायक चतुर्थी का महत्व
मान्यता है कि विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही उनकी आराधना करने से जीवन में आ रहे तमाम कष्टों से मुक्ति भी मिलती है। कहा जाता है कि भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं, इनकी उपासना से किसी भी कार्य में आ रही रुकावट दूर हो जाती हैं। इतना ही नहीं विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की भक्ति करने से व्यापार में भी बरकत होती है। इसलिए हमारे शास्त्र में विनायक चतुर्थी की महिमा का बेहद महत्व है।
एक कथा के अनुसार- एक बार माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे भगवान शिव के साथ चौपड़ खेल रही थीं, लेकिन वहां पर जीत-हार का निर्णय करने वाला कोई नहीं था। अतः भगवान शिव ने तिनकों की सहायता से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। अब यह बालक चौपड़ के खेल में विजय का फैसला कर रहा था। उसने भगवान शिव को इस खेल में विजयी घोषित किया परंतु जीत माता पार्वती की हुई थी। अतः बालक के गलत फैसले से क्रुद्ध होकर माता पार्वती ने उसे अपंग होने का श्राप दिया।
श्राप मिलते ही बालक को अपनी गलती का आभास हुआ, और उसने माता से क्षमा-याचना की। पार्वती जी ने उसे बालक से कहा, तुम गणेश व्रत का विधि-विधान से पालन करो। ये व्रत करने से श्राप का प्रभाव समाप्त हो जायेगा। बालक ने माता पार्वती द्वारा बताई गई विधि से गणेश चतुर्थी के व्रत का पालन किया और भगवान गणेश के आशीर्वाद से वह बिल्कुल ठीक हो गया।
विनायक चतुर्थी की पूजा विधि | Vinayaka Chaturthi Puja Vidhi
- भगवान गणेश की सच्चे मन से आराधना करने से सभी परेशानियों का निवारण होता है और ईश्वर का आर्शीवाद प्राप्त होता है।
- यह व्रत भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस दिन मध्याह्न के समय में श्री गणेश का पूजन करने से सुख-समृद्धि, धन-वैभव, ऐश्वर्य और संपन्नता मिलती है।
- विनायक चतुर्थी के शुभ दिन पर प्रातः काल स्नानादि करके लाल या पीले वस्त्र पहन लें।
- अब पूजा स्थल पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। उसके बाद उन्हें सिंदूर का तिलक लगाएं। अब उन्हें दूर्वा, फल, फूल उनकी चरणों में अर्पित करें।
- इसके बाद उन्हें लड्डूओं का भोग लगाएं। फिर दीपक जलाकर भगवान गणेश की आरती करें।
- इसके बाद गणेश जी के मंत्रों का जाप करें।
- अंत में भगवान गणेश को प्रणाम कर प्रसाद वितरण करें और पूरे दिन फलाहारी व्रत रखकर अगले दिन पंचमी तिथि में व्रत का पारण करें।
विनायक चतुर्थी पर इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- विनायक चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करने की मनाही होती है। मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी को चंद्र दर्शन करने से जीवन में कलंक लगता है। इसलिए इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से बचें।
- इसके अलावा तुलसी का प्रयोग गणेश जी की पूजा में नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से भक्त गणेश जी के क्रोध के भागी बन सकते हैं।
- वहीं विनायक चतुर्थी के दिन जब गणेश जी की स्थापना घर पर करें तब उनको अकेला न छोड़ें, घर पर कोई न कोई अवश्य होना चाहिए।
- वहीं गणेश जी की स्थापना करते वक्त ध्यान रखें कि उनकी पीठ का दर्शन न हो। पीठ का दर्शन करने से दरिद्रता आती है।
- ध्यान रहें कि गणेश जी की पूजा में जब आप कोई दीपक जलाते हैं, तो उस दीपक के स्थान को बार-बार न बदलें और न ही उस दीपक को गणेश जी के सिंहासन पर रखें।
- साथ ही विनायक चतुर्थी व्रत के दिन इस बात का विशेष ख्याल रखें कि फलाहार में नमक का सेवन न करें। विनायक चतुर्थी के दिन काले वस्त्र ना पहने क्योंकि काले रंग को नकारात्मकता का प्रतीक मानते हैं।
- इतना ही नहीं इस दिन अगर भक्त व्रत रख रहे हैं तो किसी के भी लिए भी अपशब्दों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। ऐसा करने से व्रत का पुण्य नहीं मिलता है।
- वैसे तो कभी भी बड़ों का अपमान नहीं करना चाहिए, लेकिन विनायक चतुर्थी के दिन खासतौर पर इस बात का ध्यान रखें, वरना पूजा का फल नहीं मिलेगा। और विनायक चतुर्थी पर किसी से कोई झगड़ा या मारपीट न करें।
विनायक चतुर्थी पर करें ये उपाय, दूर होंगे सभी कष्ट (Vinayaka Chaturthi Upay)
- गणेश जी को दूर्वा बहुत प्रिय है। इसलिए दूर्वा अर्पित करें।
- गणेश स्तोत्र का पाठ करने से मन शांत होता है और बुद्धि बढ़ती है।
- लाल रंग गणेश जी को प्रिय है। इसलिए लाल पुष्प अर्पित करें।
- 'ॐ गं गणपतये नम:' मंत्र का जाप करें।
- विनायक चतुर्थी का व्रत रखने और गणेश चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।