image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

वासुदेव द्वादशी 2025

वासुदेव द्वादशी 2025 में श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का पावन अवसर है! जानिए कब है ये शुभ तिथि, कैसे करें पूजा और कौन-सा है सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त—एक आस्था से भरी शुरुआत के लिए पढ़ें पूरी जानकारी।

वासुदेव द्वादशी के बारे में

वासुदेव द्वादशी एक महत्वपूर्ण वैष्णव पर्व है, जो आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व देवशयनी एकादशी के अगले दिन आता है और विशेष रूप से भगवान वासुदेव (श्रीकृष्ण) को समर्पित होता है।

वासुदेव द्वादशी कब है? जानें शुभ मुहूर्त

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वासुदेव द्वादशी मनाई जाती है। इस पर विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता देवकी ने भगवान कृष्ण को पुत्र रूप में पाने के लिए इस व्रत का पालन किया था। कहा जाता है संतान प्राप्ति और उनके उत्तम जीवन इच्छा से ये व्रत रखने रखने वाली स्त्रियां संतान का सुख पाती हैं।

चलिए इस लेख में जानते हैं,

  • वर्ष 2025 में वासुदेव द्वादशी कब है?
  • क्या है वासुदेव द्वादशी?
  • कौन थे वासुदेव?
  • वासुदेव द्वादशी का महत्व क्या है?
  • वासुदेव द्वादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक मान्यता
  • वासुदेव द्वादशी की पूजा विधि
  • वासुदेव द्वादशी पर अवश्य करें ये दान
  • वासुदेव द्वादशी पूजा के लाभ
  • वासुदेव द्वादशी के धार्मिक अनुष्ठान
  • वासुदेव द्वादशी के दिन क्या करें?
  • वासुदेव द्वादशी के दिन क्या न करें?

वर्ष 2025 में वासुदेव द्वादशी कब है?

भगवान कृष्ण को समर्पित वासुदेव द्वादशी व्रत देवशयनी एकादशी के एक दिन बाद किया जाता है। ये पर्व आषाढ़ मास एवं चातुर्मास के प्रारंभ में ही पड़ता है।

इस वर्ष वासुदेव द्वादशी 07 जुलाई 2025, सोमवार को मनाई जाएगी

  • वासुदेव द्वादशी
  • जुलाई 7, 2025, सोमवार
  • आषाढ़, शुक्ल द्वादशी

इस दिन के अन्य शुभ समय

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त03:51 ए एम से 04:32 ए एम
प्रातः सन्ध्या04:11 ए एम से 05:13 ए एम
अभिजित मुहूर्त11:36 ए एम से 12:30 पी एम
विजय मुहूर्त02:19 पी एम से 03:14 पी एम
गोधूलि मुहूर्त06:51 पी एम से 07:12 पी एम
सायाह्न सन्ध्या06:52 पी एम से 07:54 पी एम
अमृत काल01:43 पी एम से 03:29 पी एम
निशिता मुहूर्त11:42 पी एम से 12:24 ए एम, जुलाई 08
सर्वार्थ सिद्धि योग05:13 ए एम से 01:12 ए एम, जुलाई 08

क्या है वासुदेव द्वादशी?

वासुदेव द्वादशी एक वैष्णव पर्व है, जो भगवान वासुदेव (श्रीकृष्ण) के पूजन और उपासना का दिन है। यह व्रत देवशयनी एकादशी के अगले दिन आता है और चातुर्मास की शुरुआत के साथ ही इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व होता है।

कौन थे वासुदेव?

वासुदेव, भगवान श्रीकृष्ण के पिता थे और मथुरा के यदुवंशी वंश के महान राजा। उनका विवाह देवकी से हुआ था। जब कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में बंद किया, तब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया। वासुदेव का नाम श्रीकृष्ण के एक नाम “वासुदेव” के रूप में भी प्रसिद्ध है, जिसका अर्थ होता है — “वासुदेव का पुत्र”।

वासुदेव द्वादशी का महत्व क्या है?

  • पुराणों में वासुदेव द्वादशी के पर्व पर व्रत रखने का विशेष महत्व बताया गया है।
  • कहा जाता है कि जो जातक वासुदेव द्वादशी के दिन उपवास रखते हैं, उनके बड़े से बड़े पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
  • ये भी मान्यता है कि जो वैवाहिक दंपति संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं उन्हें वासुदेव द्वादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। इससे उनकी मनोकामनाएं अति शीघ्र पूर्ण होती हैं।
  • वासुदेव द्वादशी व्रत के प्रभाव से आप अपनी खोई हुई संपत्ति पुनः वापस पा सकते हैं।
  • पूरी श्रद्धा के साथ वासुदेव द्वादशी का व्रत रखने वाले जातक सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • इस व्रत का पालन करने वाला व्यक्ति जीवन के समस्त सुखों को भोगने के बाद मोक्ष प्राप्त करता है।

वासुदेव द्वादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार जब देवकी एवं वसुदेव को कंस ने जेल में बंदी बना लिया था, तब एक बार नारद मुनि इनसे मिलने आए। नारद मुनि ने देवकी और वसुदेव के अपनी सभी संतानों को कंस द्वारा मारे जाने पर दुखी देखकर महर्षि नारद ने उन्हें वासुदेव द्वादशी व्रत रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस व्रत से तुम्हें दिव्य बालक की प्राप्ति होगी। नारद जी के सुझाव को मानते हुए देवकी और वसुदेव ने इस व्रत का पालन किया, और इसके कुछ ही समय बात भगवान विष्णु स्वयं कृष्ण के अवतार में जन्में।

वासुदेव द्वादशी की पूजा विधि

  • वासुदेव द्वादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • स्वयं शुद्ध होकर भगवान कृष्ण व माता लक्ष्मी की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध कर लें।
  • इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं, और श्री कृष्ण व माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • अब भगवान वासुदेव को मोर पंख एवं पुष्प अर्पित करें।
  • इसके पश्चात् भगवान श्री कृष्ण एवं माता लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने धूप दीप प्रज्जवलित करें।
  • भगवान कृष्ण को भोग के लिए पंचामृत के साथ-साथ चावल की खीर या कोई अन्य मीठी वस्तु चढ़ाएं।
  • पूजा संपन्न होने के बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.

वासुदेव द्वादशी पर अवश्य करें ये दान

वासुदेव द्वादशी के दिन भगवान कृष्ण की सोने की प्रतिमा का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस सोने की प्रतिमा को पहले किसी जल से भरे पात्र में रखकर उसकी पूजा करें, उसके बाद उसे दान करें। ऐसा करने से असंख्य पुण्य प्राप्त होते हैं।

भक्तों, ये थी वासुदेव द्वादशी से जुड़ी विशेष जानकारी। हमारी कामना है कि भगवान कृष्ण आपकी उपासना से प्रसन्न हों, और आपका जीवन सुख समृद्धि से परिपूर्ण करें। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व देश की महान विभूतियों से जुड़ी जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।

वासुदेव द्वादशी पूजा के लाभ

  • संतान की प्राप्ति और उनकी लंबी उम्र के लिए।
  • मनोकामना पूर्ति और मानसिक शांति के लिए।
  • खोई हुई संपत्ति की वापसी के लिए।
  • वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि के लिए।
  • जीवन में पुण्य और अंततः मोक्ष की प्राप्ति के लिए।

वासुदेव द्वादशी के धार्मिक अनुष्ठान

  • श्रीकृष्ण सहस्त्रनाम का पाठ करें।
  • तुलसी के पौधे के समक्ष दीपक जलाकर 7 परिक्रमा करें।
  • गऊ माता को गुड़ और चारा खिलाएं
  • ब्राह्मणों को अन्न-वस्त्र दान करें।
  • पीले वस्त्रों में अन्न, घी और सोने की प्रतिमा का दान विशेष पुण्यदायी होता है।

वासुदेव द्वादशी के दिन क्या करें?

  • उपवास या फलाहार का पालन करें।
  • श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के समक्ष धूप-दीप जलाकर पूजा करें।
  • पवित्र नदी में स्नान करें या गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें।
  • मंदिर में भगवान विष्णु के दर्शन करें।
  • वृद्ध, ब्राह्मण, और ज़रूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।

वासुदेव द्वादशी के दिन क्या न करें?

  • मांसाहार, मदिरा, लहसुन-प्याज का सेवन पूर्णतः निषेध है।
  • झूठ बोलना, क्रोध करना या किसी का अपमान करना वर्जित है।
  • बिना स्नान-शुद्धि के पूजा न करें।
  • मांगलिक कार्यों से परहेज करें क्योंकि चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है।

भक्तों, ये थी वासुदेव द्वादशी से जुड़ी विशेष जानकारी। हमारी कामना है कि भगवान कृष्ण आपकी उपासना से प्रसन्न हों, और आपका जीवन सुख समृद्धि से परिपूर्ण करें। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व देश की महान विभूतियों से जुड़ी जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।

divider
Published by Sri Mandir·July 1, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook