इस विशेष दिन माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए सम्पूर्ण विधि-विधान के साथ करें पूजा।
शारदीय नवरात्रि पूजा के दौरान मां सरस्वती की पूजा की जाती है। जिसे सरस्वती आवाहन के नाम से भी जाना जाता है। सरस्वती आवाहन हिंदू चंद्रमास अश्विन के शुक्ल पक्ष की महा सप्तमी को किया जाता है। ऐसे में जानते हैं, नवरात्र पूजा के दौरान सरस्वती आवाहन की तिथि, महत्व और कथा क्या हैं। - सरस्वती आवाहन कब है? - सरस्वती आवाहन के लिए शुभ मुहूर्त - सरस्वती आवाहन का महत्व? - कैसे करते हैं मां सरस्वती का आवाहन ? - सरस्वती आवाहन की क्या हैं कथा
हिंदू कैलेंडर के अनुसार सरस्वती आवाहन 29 सितम्बर 2025, सोमवार को आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष के नवरात्रि के दौरान किया जाता है।
सरस्वती आवाहन 29 सितम्बर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:13 ए एम से 05:01 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 04:37 ए एम से 05:49 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:24 ए एम से 12:12 पी एम |
विजय मुहूर्त | 01:48 पी एम से 02:35 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:47 पी एम से 06:11 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:47 पी एम से 06:59 पी एम |
अमृत काल | 11:15 पी एम से 01:01 ए एम, सितम्बर 30 |
निशिता मुहूर्त | 11:24 पी एम से 12:12 ए एम, सितम्बर 30 |
देवी सरस्वती को इस ब्रह्मांड के निर्माण और रखरखाव में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की सहायक के रूप में माना जाता है। सरस्वती आवाहन दो अक्षरों का शब्द है। जहां मां सरस्वती, देवी सरस्वती है और आवाहन का मतलब हैं, बुलावा देना। नवरात्रि के दौरान सरस्वती पूजा एक, तीन या चार दिन के लिए की जाती है। चार दिवसीय सरस्वती पूजा नक्षत्र के आधार पर की जाती है।
चार दिनों की पूजा को सरस्वती आवाहन, सरस्वती पूजा, सरस्वती बलिदान, सरस्वती विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है। जो क्रमश: मूल्य, पूर्व आषाढ़, उत्तर आषाढ़ और श्रवण नक्षत्र में किए जाते हैं। नवरात्रि के आखिरी तीन दिनों में देवी सरस्वती को पूर्ण श्रद्धा से याद किया जाता है और यह दिन देवी सरस्वती को समर्पित है।
देवी सरस्वती को बुला जाने के मुख्य दिन को सरस्वती आवाहन कहा जाता है। आवाहन शब्द अहान का प्रतीक है, इसलिए इस दिन मां सरस्वती के आशीर्वाद का आहान करने के लिए अनुष्ठान किया जाता है। इसके अलावा देवी सरस्वती को शारदा, महाविद्यालय, नील सरस्वती विद्यादायिनी, और पुस्तक धारावाहिक नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि देवी सरस्वती ब्रह्मांड के सृजन और संचालन में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की सहायक रही हैं। इसलिए वे विद्या, ज्ञान और सृष्टि की ऊर्जा का स्रोत मानी जाती हैं।
नवरात्रि के अंतिम दिनों में देवी सरस्वती को याद करने की परंपरा है। इनमें से पहला दिन सरस्वती आवाहन कहलाता है, जब भक्त उन्हें अपने जीवन और घर में विद्या एवं विवेक प्रदान करने के लिए आमंत्रित करते हैं।
यह पूजा नक्षत्रों के आधार पर की जाती है और चार दिन की पूजा को क्रमशः
सरस्वती आवाहन सरस्वती पूजा सरस्वती बलिदान सरस्वती विसर्जन, कहा जाता है।
ज्ञान और विद्या की प्राप्ति – सरस्वती आवाहन का सबसे बड़ा महत्व यह है कि इस दिन देवी सरस्वती को विधिवत बुलाकर जीवन में ज्ञान, शिक्षा, विवेक और वाणी की शुद्धता प्राप्त करने की प्रार्थना की जाती है।
नवरात्रि का विशेष अनुष्ठान – नवरात्रि में शक्ति की पूजा के साथ-साथ विद्या और विवेक की साधना भी आवश्यक मानी गई है। सरस्वती आवाहन इसी साधना की शुरुआत है, जिससे यह अनुष्ठान अत्यंत मंगलकारी बनता है।
विद्यार्थियों और कलाकारों के लिए विशेष – इस दिन विद्यार्थी, शिक्षक, कलाकार, गायक और साहित्य से जुड़े लोग देवी सरस्वती की उपासना करते हैं ताकि उनका ज्ञान, कौशल और रचनात्मकता बढ़े।
आध्यात्मिक दृष्टि से – सरस्वती आवाहन केवल विद्या प्राप्ति का अवसर नहीं है, बल्कि यह अज्ञान और अंधकार से मुक्ति पाकर आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होने का प्रतीक भी है।
पुराणों में उल्लेख – देवी सरस्वती को ब्रह्मा, विष्णु और महेश की सहायक माना गया है। उनका आवाहन करना सृष्टि के मूल ज्ञान को आमंत्रित करने के समान है, जिससे साधक के जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
चार दिवसीय पूजा का प्रारंभ – सरस्वती आवाहन के साथ ही देवी सरस्वती की चार दिवसीय पूजा शुरू होती है। यह चरण भक्त और देवी के बीच आध्यात्मिक संबंध की स्थापना करता है।
ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति – इस पूजा से व्यक्ति में विद्या, विवेक और बुद्धिमत्ता का विकास होता है। विद्यार्थी और शिक्षार्थियों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।
वाणी में मधुरता – देवी सरस्वती वाणी की देवी हैं। उनकी कृपा से वाणी मधुर और प्रभावशाली होती है जिससे जीवन और कार्य में सफलता मिलती है।
कला और संगीत में प्रगति – कलाकार, गायक, लेखक और संगीत साधक इस पूजा से अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं और रचनात्मक ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
अज्ञान और भ्रम का नाश – माँ सरस्वती का आशीर्वाद अज्ञान, आलस्य और नकारात्मक विचारों को दूर कर मन को प्रकाशमान बनाता है।
विद्यार्थियों को विशेष लाभ – शिक्षा में बाधाओं का निवारण होता है और मन एकाग्र होकर पढ़ाई में सफलता मिलती है।
आध्यात्मिक उन्नति – यह पूजा साधक के चित्त को शुद्ध करती है और उसे सत्य एवं धर्म के मार्ग पर अग्रसर करती है।
सफेद वस्त्र धारण करें – सरस्वती जी को सफेद रंग प्रिय है। इस दिन श्वेत वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है।
स्वच्छता और शुद्धता का ध्यान रखें – माँ सरस्वती को स्वच्छता बहुत प्रिय है, अतः पूजा स्थल और घर को साफ-सुथरा रखें।
सफेद पुष्प और प्रसाद अर्पित करें – देवी को श्वेत कमल, चमेली आदि फूल तथा खीर, मिश्री, पायसम जैसे सफेद प्रसाद चढ़ाएँ।
मंत्रजाप करें – सरस्वती वंदना, विशेषकर “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
पुस्तकों और वाद्ययंत्रों की पूजा करें – देवी के चरणों में अपनी किताबें, पेन और वाद्ययंत्र रखकर आशीर्वाद लें।
अखंड दीपक जलाएँ – सरस्वती आवाहन के दिन अखंड दीपक जलाने से देवी की कृपा बनी रहती है।
भजन और स्तुति करें – भक्ति भाव से सरस्वती माता की आराधना, स्तुति और भजन करें।
सृष्टि के निर्माण का कार्य पूरा करके भगवान ब्रह्मा ने देखा कि ब्रह्मांड मृत शरीर की तरह शांत है। इसमें न तो कोई स्वर है और न तो कोई वाणी। तब वो यह समस्या लेकर विष्णु जी के पास गए। भगवान विष्णु ने उनसे कहा कि माता सरस्वती आपकी समस्या का समाधान कर सकती है। उनकी वाणी में स्वर है, वो सृष्टि में स्वर भर सकती है। तब ब्रह्मा जी ने माता सरस्वती को सृष्टि में उनकी वीणा से स्वर भरने का अनुरोध किया और सृष्टि स्वर से भर गई।
उम्मीद करते हैं, देवी सरस्वती आवाहन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी का आप लाभ उठा सकेंगे। हमारी कामना हैं, कि आप पर और आपके परिवार पर मां सरस्वती की कृपा हमेशा बनी रहे। ऐसे ही धार्मिक और व्रत-त्योहार से जुड़ी जानकारियों के लिए श्री मंदिर के साथ जुड़े रहें।
Did you like this article?
चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त जानें। देवी दुर्गा की उपासना के लिए महत्वपूर्ण दिन और पूजा विधि की जानकारी प्राप्त करें।
नवरात्रि का नौवां दिन: जानिए इस दिन की पूजा विधि, माँ सिद्धिदात्री की आराधना और इस दिन का धार्मिक महत्व। इस विशेष दिन पर देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपायों और अनुष्ठान के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
नवरात्रि का आठवां दिन: जानिए इस दिन की पूजा विधि, माँ महागौरी की आराधना और इस दिन का धार्मिक महत्व। इस विशेष दिन पर देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण उपायों और अनुष्ठान के बारे में जानकारी प्राप्त करें।