रोहिणी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

रोहिणी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

7 सितम्बर, 2023 धन-सुख की प्राप्ति के लिए ऐसे करें रोहिणी व्रत की पूजा


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोहिणी 27 नक्षत्रों में से एक नक्षत्र है। इस नक्षत्र में किया जाने वाला व्रत रोहिणी व्रत कहलाता है। जैन धर्म के अनुयायी, विशेषकर महिलाएं रोहिणी व्रत का पालन करती हैं। हर माह रोहिणी नक्षत्र की निश्चित अवधि होती है। इस हिसाब से प्रत्येक वर्ष में बारह रोहिणी व्रत होते हैं। जैन समुदाय द्वारा इसे एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि सितम्बर महीने में रोहिणी व्रत कब है, पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या हैं और इस व्रत का महत्व क्या है? आइए जानते है रोहिणी व्रत के बारे में संपूर्ण जानकारी।

रोहिणी व्रत का शुभ मुहूर्त

रोहिणी व्रत आरंभ होने का समय - 06 सितंबर 2023 को दोपहर 02:39 बजे से। रोहिणी व्रत समाप्त होने का समय - 07 सितंबर 2023 को दोपहर 03:07 बजे तक।

रोहिणी व्रत का महत्व

रोहिणी व्रत महिलाओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। जैन परिवारों की महिलाओं के लिए तो इस व्रत का पालन करना अति आवश्यक होता है, लेकिन पुरुष भी अपनी इच्छानुसार ये व्रत कर सकते हैं। इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं और अपने पति की लम्बी आयु एवं स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं। जैन मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी महिला या पुरुष पूरी श्रद्धा से इस व्रत का पालन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जैन धर्म में ह्रदय और आत्मा की स्वच्छता को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसी तरह इस व्रत का पालन करने वाले स्त्री और पुरुष अपनी आत्मा के विकारों को दूर करते हैं और संसार की मोह माया से दूर रहते हैं।

रोहिणी व्रत पर पूजा की विधि

इस दिन महिलाएं प्रात: जल्दी उठकर स्नान करके पवित्र होती हैं। इसके बाद सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर पूजा का संकल्प लिया जाता है। पूजा के लिए वासुपूज्य भगवान की पंचरत्न, ताम्र या स्वर्ण प्रतिमा की स्थापना की जाती है। उनकी आराधना करके वस्त्र, धूप-दीप, फूल, फल और नैवेद्य का भोग लगाया जाता है। इसके बाद मंदिरों में जाकर या किसी भी जरूरतमंद को दान देने का भी बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन व्रत नहीं करने वाले व्‍यक्ति भी तामसिक भोजन को त्‍यागकर सात्विक भोजन करते हैं। रोहिणी व्रत पर पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना की जाती है। सूर्यास्‍त से पहले फलाहार करके रोहिणी व्रत का पारण किया जाता है।

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