पद्मिनी एकादशी की पूजा विधि
पद्मिनी एकादशी की पूजा विधि

पद्मिनी एकादशी की पूजा विधि

29 जुलाई, शनिवार जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व


हर एकादशी का व्रत भगवान विष्ण को समर्पित होता है।जिसमें भगवान विष्णुजी की विधि विधान से पूजा की जाती है। वैसे तो हर महीने में दो एकादशी आती हैं और एक वर्ष में 24 एकादशी आती, लेकिन इस वर्ष श्रावण अधिक मास होने की वजह से 26 एकादशी आने वाली है। इस वर्ष जुलाई महीने में पद्मिनी एकादशी व्रत कब आएगा और पद्मिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त क्या है? यह सब जानने के लिए बने रहे इस लेख में।

अधिक श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी को कमला एकादशी व पुरुषोत्तम एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करते हैं, और व्रत रखते हैं। मान्यता है इस दिन श्रद्धा भाव से जो जातक श्री हरि की उपासना करते हैं, भगवान उनके सारे दुःख हरकर, सुखमय जीवन का आशीर्वाद देते हैं। तो चलिए अभी जानते हैं पद्मिनी एकादशी व्रत के शुभ मुहूर्त के बारे में।

पद्मिनी एकादशी कब है?

  • पद्मिनी एकादशी 29 जुलाई, शनिवार को मनाई जाएगी।
  • एकादशी तिथि 28 जुलाई को दोपहर 02 बजकर 51 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • एकादशी तिथि 29 जुलाई को दोपहर 01 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी।
  • पद्मिनी एकादशी का पारण समय 30 जुलाई को सुबह 05 बजकर 41 मिनट से 08 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।

पद्मिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त -

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 17 मिनट से प्रातः 04 बजकर 59 मिनट तक रहेगा।
  • प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 38 मिनट से सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक होगा।
  • अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
  • विजय मुहूर्त दिन में 02 बजकर 47 मिनट से 03 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 07 बजकर 14 मिनट से 07 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
  • सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 07 बजकर 14 मिनट से 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
  • अमृत काल दोपहर 03 बजकर 16 मिनट से 04 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।

तो भक्तों, यह थी पद्मिनी एकादशी व्रत से जुड़े शुभ मुहूर्त की जानकारी। लेकिन क्या आप यह जानते हैं, पद्मिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि, लाभ और उसका महत्व है? अगर नहीं तो बने रहें हमारे साथ इस लेख में।

पद्मिनी एकादशी व्रत का महत्व और लाभ

पद्मिनी एकादशी व्रत के लाभ की बात करें तो ऐसा माना जाता है, कि भगवान विष्णु को ये एकादशी तिथि अत्यंत प्रिय होती है, इसलिए जो भक्त इस पद्मिनी एकादशी व्रत का विधि पूर्वक पालन करते हैं, वो जीवन के सारे सुख भोगकर अंतकाल में विष्णुलोक को जाते हैं। पद्मिनी एकादशी के दिन व्रत का प्रभाव इतना होता है, कि साधक को सभी प्रकार के यज्ञ, व्रत, तपस्या व कन्यादान के समान फल मिलता है।

तो भक्तों, ये थी पद्मिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त और महत्व से जुड़ी जानकारी। आइए आगे जानते है पद्मिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि के बारे में। कहते है कि जो भी भक्त पद्मिनी एकादशी व्रत की विधि विधान से पूजा करता है, तो यज्ञ, व्रत, तपस्या व कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते है पद्मिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि के बारे में।

पद्मिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि

  • सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके इस स्थान पर एक चौकी स्थापित करें, और इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
  • इसके बाद चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं। इस चौकी के दायीं ओर एक दीप प्रज्वलित करें।
  • (सबसे पहले दीप प्रज्वलित इसीलिए किया जाता है, ताकि अग्निदेव आपकी पूजा के साक्षी बनें)
  • चौकी के सामने एक साफ आसन बिछाकर बैठ जाएं। जलपात्र से अपने बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर दोनों हाथों को शुद्ध करें। अब स्वयं को तिलक करें।
  • अब चौकी पर अक्षत के कुछ दानें आसन के रूप में डालें और इस पर गणेश जी को विराजित करें।
  • इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
  • अब स्नान के रूप में एक जलपात्र से पुष्प की सहायता से जल लेकर भगवान गणेश और विष्णु जी पर छिड़कें।
  • भगवान गणेश को हल्दी-कुमकुम-अक्षत और चन्दन से तिलक करें।
  • इसके बाद वस्त्र के रूप में उन्हें जनेऊ अर्पित करें। इसके बाद पुष्प अर्पित करके गणपति जी को नमस्कार करें।
  • भगवान विष्णु को रोली-चन्दन का तिलक करें। कुमकुम, हल्दी और अक्षत भी चढ़ाएं।
  • अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए श्रीहरि को पुष्प, जनेऊ और माला अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु को पंचामृत में तुलसीदल डालकर अर्पित करें। चूँकि भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है इसीलिए भगवान के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें।
  • (ध्यान दें गणेश जी को तुलसी अर्पित न करें)
  • इसके बाद भोग में मिष्ठान्न और ऋतुफल अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम या श्री हरि स्त्रोतम का पाठ करें, इसे आप श्री मंदिर के माध्यम से सुन भी सकते हैं।
  • अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। अब सभी लोगों में भगवान को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में वितरित करें।

इस तरह आपकी पद्मिनी एकादशी की पूजा संपन्न होगी। इस पूजा को करने से आपको भगवान विष्णु की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होगी।

तो भक्तों, यह थी पद्मिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व, लाभ और पूजा विधि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आपको इस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो और आप पर भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहे।

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