मत्स्य जयंती 2025: जानें कब है, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की महिमा। शुभ फल पाने के लिए करें व्रत व पूजा।
मत्स्य जयंती भगवान विष्णु के प्रथम अवतार, मत्स्य अवतार की जयंती है। यह दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस अवतार में विष्णु जी ने एक विशाल मछली का रूप धारण कर मनु को प्रलय से बचाया और वेदों की रक्षा की। यह दिन धार्मिक अनुष्ठानों और व्रत के लिए शुभ माना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सतयुग में भगवान विष्णु ने चैत्र शुक्ल तृतीया को अपना प्रथम अवतार मत्स्य के रुप में लिया था। मत्स्य जयंती का पर्व उनके इसी अवतार को समर्पित है।
मत्स्य जयंती पर भगवान विष्णु के प्रथम अवतार मत्स्य अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है। नारायण ने यह अवतार सतयुग में लिया था। इस अवतार में उन्होंने एक विशालकाय मछली का रूप धारण किया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान विष्णु का एकमात्र मत्स्य अवतार मंदिर आंध्र प्रदेश में नागालपुरम वेद नारायण स्वामी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:18 ए एम से 05:04 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 04:41 ए एम से 05:50 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:37 ए एम से 12:27 पी एम |
विजय मुहूर्त | 02:06 पी एम से 02:56 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 06:13 पी एम से 06:36 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 06:14 पी एम से 07:23 पी एम |
अमृत काल | 07:24 ए एम से 08:48 ए एम |
निशिता मुहूर्त | 11:39 पी एम से 12:25 ए एम, अप्रैल 01 |
रवि योग | 01:45 पी एम से 02:08 पी एम |
इस संसार में जब-जब कोई विपत्ति आई, तब-तब श्री हरि ने अवतार लिया और जगत को अधर्म व अन्याय से बचाया। ऐसा ही एक वर्णन मिलता है, कि एक बार ब्रह्मा जी से कुछ असावधानी हो गई, जिसके कारण हयग्रीव नामक दैत्य ने समस्त वेदों को निगल लिया। इसके परिणामस्वरूप संपूर्ण विश्व में ज्ञान समाप्त हो गया और पृथ्वी पर हर ओर पाप व अधर्म फैल गया। उसी समय सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया। मत्स्य जयंती का पर्व संपूर्ण जगत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि की रक्षा की थी।
तो भक्तों, यह थी मत्स्य जयंती की संपूर्ण जानकारी। ऐसे ही धार्मिक जानकारी के लिए बने रहिए श्री मंदिर पर।
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