जानिए कब है, शुभ मुहूर्त, तारीख और समय
महा नवमी नवरात्रि का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और माता की विदाई की तैयारी भी शुरू हो जाती है। नवरात्रि का 9वां दिन बेहद खास माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। कहते हैं कि माता के इस स्वरूप की पूजा करने से सभी तरह के दुखों से छुटकारा मिलता है, साथ ही जीवन से सभी अंधकार दूर हो जाते हैं। प्राचीन काल से ही आदिशक्ति मां दुर्गा की महापूजा का पर्व नवरात्रि कन्या पूजन के साथ ही संपन्न होता है। कन्या पूजन को कुमारिका भोज के नाम से भी पुकारा जाता है, जिसमें नौ बाल-कन्याओं को मां का स्वरूप मानकर पूजा जाता है और भोजन कराया जाता है। साथ ही घर, मंदिर एवं पंडालों में हवन पूजन किया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा देने का विशेष महत्व होता है। आप अपनी क्षमता के अनुसार कन्याओं को विदा करते समय अनाज, रुपया या वस्त्र आदि भेंट करें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें। माना जाता है कि इन कन्याओं के रूप में मां दुर्गा ही आपके घर आती हैं और उनके आर्शीवाद से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है एवं भक्तों पर मां दुर्गा की अपार कृपा बरसती है।
नौ दिनों तक हम नवरात्र में माँ के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती हैं। बाल कन्याओं में भी मातारानी का ही वास होता हैं। इसलिये उनके प्रतीकात्मक रूप में नौ कन्याओं के पूजन तथा उन्हें भोजन खिलाने की परंपरा का निर्वहन किया जाता हैं। इस प्रकार भक्तजन मातारानी के प्रति अपनी श्रद्धा व आस्था को प्रकट करते हैं और माँ की असीम कृपा के अधिकारी बनते हैं।
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