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कोकिला व्रत 2025

क्या आप जानना चाहते हैं कि कोकिला व्रत 2025 कब है और इसे क्यों रखा जाता है? सुहाग की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए रखें ये खास व्रत

कोकिला व्रत के बारे में

कोकिला व्रत आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सुखद दांपत्य जीवन के लिए करती हैं। इस दिन कोयल के प्रतीक रूप में देवी की पूजा की जाती है।

कोकिला व्रत 2025

आषाढ़ पूर्णिमा पर रखा गया कोकिला व्रत कुंवारी कन्याओं और विवाहित स्त्रियों दोनों के लिए विशेष फलदाई होता है। कोकिला व्रत का संबंध इस मान्यता से है कि माता सती जी ने भगवान शिव को पाने के लिए वर्षों तक कोयल रूप में तपस्या की थी। वैसे तो गुरु पूर्णिमा और कोकिला व्रत एक ही दिन होता है, लेकिन कभी-कभी चतुर्दशी तिथि के प्रारंभ होने के आधार पर कोकिला व्रत, गुरु पूर्णिमा से एक दिन पहले भी पड़ सकता है।

कोकिला व्रत 2025 का शुभ मुहूर्त व तिथि

  • कोकिला व्रत 10 जुलाई 2025, बृहस्पतिवार को किया जाएगा।
  • कोकिला व्रत प्रदोष पूजा मुहूर्त - 06:52 पी एम से 08:57 पी एम तक
  • अवधि - 02 घण्टे 05 मिनट्स
  • पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - जुलाई 10, 2025 को 01:36 ए एम बजे से
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त - जुलाई 11, 2025 को 02:06 ए एम बजे तक

इस दिन के अन्य शुभ समय

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त03:52 ए एम से 04:33 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या04:12 ए एम से 05:15 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त11:36 ए एम से 12:31 पी एम तक
विजय मुहूर्त02:20 पी एम से 03:14 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त06:51 पी एम से 07:11 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या06:52 पी एम से 07:54 पी एम तक
अमृत काल12:55 ए एम, जुलाई 11 से 02:35 ए एम, 11 जुलाई तक
निशिता मुहूर्त11:43 पी एम से 12:24 ए एम, 11 जुलाई तक

क्या है कोकिला व्रत?

कोकिला व्रत एक धार्मिक व्रत है जो आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन रखा जाता है। यह विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाने वाला व्रत है, जिसका उद्देश्य आध्यात्मिक शुद्धता, सौभाग्य और इच्छित वर की प्राप्ति होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी सती ने कोयल (कोकिला) रूप धारण करके इस दिन कठोर तपस्या की थी ताकि वे शिव जी को पति रूप में प्राप्त कर सकें। तभी से इस व्रत को “कोकिला व्रत” के नाम से जाना जाता है।

कोकिला व्रत क्यों रखते हैं?

इस व्रत को रखने का मुख्य उद्देश्य ईश्वर की कृपा प्राप्त करना और सांसारिक जीवन में सुख-समृद्धि लाना होता है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद दांपत्य जीवन के लिए इसे करती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं शिव जैसे सुयोग्य वर की प्राप्ति की कामना से यह व्रत रखती हैं। इसके अलावा, यह व्रत मन, वाणी और कर्म की शुद्धि के लिए भी किया जाता है।

कोकिला व्रत का महत्व

कोकिला व्रत करने से जहां विवाहित जोड़े का दांपत्‍य जीवन सुखमय होता है, वहीं यदि ये व्रत कुंवारी कन्‍याएं रखती हैं, तो उन्‍हें शिव जी के समान सुयोग्‍य वर मिलता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी सती ने भी इसी व्रत के प्रभाव से भोलेनाथ को पाया था।

कुछ मान्यताएं ये भी कहती हैं कि ये व्रत करने से रूप व सुंदरता की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कोकिला व्रत पर कोयल का चित्र या मूर्ति स्वरुप को किसी ब्राह्मण को भेंट करने का भी विधान है।

कोकिला व्रत रखने वाले भक्त एक बार ही भोजन करें, भूमि पर सोएं, ब्रम्हचर्य का पालन करें और दूसरों की बुराई करने से बचें। इस व्रत के दौरान गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में किया गया स्नान बहुत पुण्य देने वाला माना जाता है।

कोकिला व्रत के दिन किसकी पूजा करें?

कोकिला व्रत के दिन विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इसके अतिरिक्त एक कोयल की मूर्ति या चित्र का भी पूजन किया जाता है, जो प्रतीकात्मक रूप से देवी सती के कोकिला रूप का प्रतिनिधित्व करता है। कोयल को स्त्रियों की इच्छाओं की पूर्ति करने वाली देवी के रूप में देखा जाता है।

कोकिला व्रत की सम्पूर्ण पूजाविधि

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और संकल्प लें।
  • घर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और एक चौकी पर लाल या पीले कपड़े पर भगवान शिव, माता पार्वती और कोयल की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य आदि से पूजन करें।
  • व्रत कथा पढ़ें या श्रवण करें, जिसमें देवी सती के कोकिला रूप की तपस्या का वर्णन होता है।
  • दिनभर व्रत रखें – केवल एक बार सात्विक भोजन करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें और भूमि पर शयन करें।
  • पूजा के अंत में किसी ब्राह्मण या कन्या को कोयल की मूर्ति, फल, वस्त्र आदि दान करना पुण्यकारी माना जाता है।

कोकिला व्रत के लाभ क्या हैं?

  • इस व्रत से सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
  • विवाहित स्त्रियों को सौभाग्य और सुखी गृहस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
  • यह व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए सहायक माना गया है।
  • इससे रूप, सौंदर्य और आकर्षण में भी वृद्धि होती है – ऐसी लोक मान्यता है।
  • पवित्र नदियों में स्नान व पूजा से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

कोकिला व्रत कौन रख सकता है?

इस व्रत को विवाहित महिलाएं, कुंवारी कन्याएं, और इच्छुक भक्तजन रख सकते हैं। विशेष रूप से वे महिलाएं जो पारिवारिक सुख, पति की दीर्घायु या अच्छा जीवनसाथी चाहती हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। हालांकि यह व्रत केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है – इच्छुक पुरुष भक्त भी श्रद्धा से इसे कर सकते हैं।

कोकिला व्रत के दिन क्या करना चाहिए?

  • व्रतधारी को दिनभर संयम और सात्विकता के साथ रहना चाहिए।
  • क्रोध, कटु वाणी और अपवित्र विचारों से बचना चाहिए।
  • भूमि पर सोना, एक समय भोजन करना और उपवास का पालन करना आवश्यक है।
  • दिनभर "ॐ नमः शिवाय" या शिव-पार्वती मंत्र का जाप करें।
  • पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान करना विशेष पुण्य देने वाला होता है।

यदि आप कोकिला व्रत 2025 श्रद्धा और नियमपूर्वक करते हैं, तो यह निश्चित ही आपके जीवन में सौभाग्य, सुंदरता, शांति और शिव कृपा लेकर आएगा। तो यह थी कोकिला व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी, हमारी कामना है कि आपका ये व्रत व पूजा अर्चना सफल हो, और भोलेनाथ आपकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण करें।

हर हर महादेव!

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Published by Sri Mandir·July 1, 2025

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