image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

करवा चौथ कब है?

जानें व्रत की तिथि, पूजा के खास नियम और इस पवित्र व्रत का महत्त्व

करवा चौथ के बारे में

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर किए जाने वाले करवा चौथ व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और निरोगी जीवन के लिए व्रत करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से पति पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं। इस दिन पूरे शिव परिवार की पूजा अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं कि साल 2025 में करवा चौथ का व्रत कब रखा जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।

1.करवा चौथ कब है?2.किस शहर में कब होगा चंद्रोदय?3.क्या है करवा चौथ का व्रत?4.क्यों रखते हैं करवा चौथ का व्रत?5.करवा चौथ व्रत का महत्व 6.कौन से लोग करवा चौथ का व्रत रख सकते हैं?7.करवा चौथ पर किसकी पूजा करें?8.करवा चौथ पर क्या - क्या खरीदें9.करवा चौथ से जुड़ी संपूर्ण सामग्री लिस्ट10.करवा चौथ के लिए पूजन सामग्री11.पूजा सामग्री12.सरगी13.सरगी के लिए सामग्री14.करवा चौथ की पूजा कैसे करें? 15.करवा चौथ की पूजा कैसे करें?16.करवा चौथ पर चाँद नहीं दिखे या व्रत गलती से टूट जाए तो क्या करें?17.यदि करवा चौथ का व्रत टूट जाए 18.यदि करवा चौथ पर चंद्रमा न दिखे19.करवा चौथ व्रत के लाभ 20.करवाचौथ व्रत की पारण विधि21.करवाचौथ के दिन क्या करें?22.करवाचौथ के दिन क्या न करें?

करवा चौथ कब है?

  • करवा चौथ व्रत 10 अक्टूबर 2025 शुक्रवार को
  • करवा चौथ पूजा मुहूर्त - 05:36 पी एम से 06:49 पी एम
  • अवधि - 01 घण्टा 14 मिनट्स
  • करवा चौथ व्रत समय - 05:54 ए एम से 07:58 पी एम
  • अवधि - 14 घण्टे 04 मिनट्स
  • करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय - 07:58 पी एम
  • चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 09, 2025 को 10:54 पी एम बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त - अक्टूबर 10, 2025 को 07:38 पी एम बजे

करवा चौथ के अन्य शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:16 ए एम से 05:05 ए एम
  • प्रातः सन्ध्या - 04:40 ए एम से 05:54 ए एम
  • अभिजित मुहूर्त - 11:21 ए एम से 12:08 पी एम
  • विजय मुहूर्त - 01:42 पी एम से 02:28 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त - 05:36 पी एम से 06:00 पी एम
  • सायाह्न सन्ध्या - 05:36 पी एम से 06:49 पी एम
  • अमृत काल - 03:22 पी एम से 04:48 पी एम
  • निशिता मुहूर्त - 11:20 पी एम से 12:10 ए एम, अक्टूबर 11

विवाहित महिलाएं करवा चौथ के दिन सुबह स्नान करके व्रत की शुरुआत करती हैं। इसके बाद, वे दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं, और अपने पति की दीर्घायु व सौभाग्य की रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। शाम को चंद्रमा के उदय होने पर वे चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देती हैं, जिसके बाद पानी पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं।

किस शहर में कब होगा चंद्रोदय?

  • वाराणसी: 07:58 PM
  • गाजियाबाद: 08:12 PM
  • नोएडा: 08:12 PM
  • नई दिल्ली: 08:13 PM
  • देहरादून: 08:05 PM
  • कोलकाता: 07:42 PM
  • बैंगलोर: 08:49 PM
  • गुरुग्राम: 08:14 PM
  • चंडीगढ़: 08:09 PM
  • फरीदाबाद: 08:13 PM
  • अमृतसर: 08:14 PM
  • अम्बाला: 08:10 PM
  • भोपाल: 08:26 PM
  • इंदौर: 08:34 PM
  • अहमदाबाद: 08:47 PM
  • सूरत: 08:50 PM
  • जयपुर: 08:23 PM
  • आगरा: 08:13 PM
  • लखनऊ: 08:02 PM
  • बरेली: 08:04 PM
  • कानपुर: 08:06 PM
  • चेन्नई: 08:38 PM
  • पुणे: 08:52 PM
  • पटना: 07:48 PM
  • मुंबई: 08:55 PM

तो ये थी जानकारी कि साल 2025 में करवा चौथ का चांद किस शहर में कब निकलेगा। आप भी अपने शहर के चंद्रोदय समय के अनुसार चंद्रमा की पूजा करें, और विधि विधान से अपना व्रत पूर्ण करें। हमारी कामना है कि आजीवन आपका सुख सौभाग्य बना रहे।

विवाहित महिलाएं करवा चौथ के दिन सुबह स्नान करके व्रत की शुरुआत करती हैं। इसके बाद, वे दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं, और अपने पति की दीर्घायु व सौभाग्य की रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। शाम को चंद्रमा के उदय होने पर वे चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देती हैं, जिसके बाद पानी पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं।

क्या है करवा चौथ का व्रत?

करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं का एक प्रमुख पर्व है, जिसे कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस व्रत में सुहागिन महिलाएँ सूर्योदय से चंद्रमा के दर्शन तक निर्जला उपवास रखती हैं। दिनभर पूजा-पाठ और कथा श्रवण किया जाता है। रात को जब चंद्रमा उदित होते हैं, तब पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत खोला जाता है। इसे पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख के लिए किया जाता है। करवा चौथ का व्रत केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय परिवारों में भी बड़ी श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है।

क्यों रखते हैं करवा चौथ का व्रत?

करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और श्रद्धा से पूजा करने पर अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार, करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री ने अपने पति को मृत्यु के देवता यमराज से बचाया था, तभी से करवा चौथ का व्रत पति की रक्षा का प्रतीक बन गया। इसके अलावा, यह व्रत पति-पत्नी के बीच विश्वास, प्रेम और समर्पण को और मजबूत करता है।

करवा चौथ व्रत का महत्व

करवा चौथ का व्रत केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने वाला माना जाता है। स्त्रियाँ इस दिन सोलह श्रृंगार करके करवा चौथ की पूजा करती हैं और मंगलकामना करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से स्त्री को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है। वहीं, वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो यह व्रत आत्मसंयम, धैर्य और मानसिक शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है। इस प्रकार करवा चौथ व्रत न केवल पारिवारिक संबंधों को सुदृढ़ करता है, बल्कि समाज में भी स्त्री के त्याग और समर्पण के महत्व को दर्शाता है।

कौन से लोग करवा चौथ का व्रत रख सकते हैं?

करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए करती हैं। हालांकि परंपरा के अनुसार, यह व्रत केवल सुहागिन स्त्रियों तक ही सीमित नहीं है—

  • अविवाहित लड़कियाँ भी करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं, ताकि उन्हें योग्य पति की प्राप्ति हो।
  • नवविवाहित स्त्रियाँ इस व्रत को अपने दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि के लिए विशेष रूप से करती हैं।
  • कभी-कभी पुरुष भी अपनी पत्नी की लंबी उम्र और दांपत्य सुख के लिए यह व्रत रखते हैं, हालाँकि यह कम प्रचलित है।

इस प्रकार, करवा चौथ का व्रत हर वह व्यक्ति रख सकता है जो अपने जीवनसाथी या होने वाले जीवनसाथी की मंगलकामना करता हो।

करवा चौथ पर किसकी पूजा करें?

करवा चौथ के दिन पारंपरिक रूप से भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि शिव-पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखमय बनता है और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

  • इस दिन विशेष रूप से करवा (मिट्टी का कलश) को सजाया जाता है और उसमें जल भरकर माता पार्वती के प्रतीक रूप में पूजित किया जाता है।
  • चंद्रमा को भी अर्घ्य देकर उनकी पूजा की जाती है, क्योंकि करवा चौथ का व्रत चंद्रमा के दर्शन के साथ ही पूर्ण होता है।
  • साथ ही व्रत कथा का श्रवण करना और करवा चौथ की परंपरागत पूजा विधि का पालन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

करवा चौथ पर क्या - क्या खरीदें

ये 7 चीजें करवाचौथ पर खरीदने से मिलेगा अखंड सौभाग्य

करवा चौथ बस कुछ ही दिनों की दूरी पर है, और हम इस त्यौहार को लेकर आपके मन में उमड़ रहे भावों को समझ सकते हैं। वैसे तो इस दिन सारे पति ही अपनी पत्नियों को उनके प्यार भरे त्याग के लिए उपहार देते हैं। लेकिन महिलाओं को भी इस विशेष दिन पर सुहाग की 7 निशानियां जरूर खरीदनी चाहिए, ताकि उनका और उनके पति का सात जन्मों तक साथ बना रहे।

तो इस लेख में जानें वो 7 चीजें, जिनको खरीदने से आपके सौभाग्य में वृद्धि होगी

जैसे विवाह के वक़्त लिए गए 7 फेरों से 7 जन्मों का एक गठबंधन बनता है, वैसे ही ये 7 चीजें किसी भी सुहागन स्त्री के श्रृंगार को सम्पूर्ण बनाती हैं, और अपने सुहाग अर्थात पति से उनके प्रेम और विवाह के अटूट रिश्ते को दर्शाती है। ये चीजें हैं कुछ इस प्रकार हैं-

चूड़ी - चूड़ी सुहाग की मुख्य निशानी मानी जाती है। भारत में सुहािगन महिलाएँ कई रंगों में कई तरह की चूड़ियां पहनती हैं, जैसे कि कांच की चूड़ी, सीपियों से बनी चूड़ी, लाख की चूड़ी और हाथीदांत से बनी चूड़ी। आप अपनी परंपरा के अनुसार लाल या हरे रंग की चूड़ी अवश्य खरीदकर पहनें।

बिछिया - चांदी की बिछिया सौभाग्य के लिए बहुत महत्वूर्ण होती है। पैर की उंगलियों में पहना जाने वाला यह छोटा सा आभूषण, करवा चौथ के दिन अवश्य खरीदें।

सिंदूर - मांग में भरा जाने वाला एक चुटकी सिंदूर अनमोल होता है। करवा चौथ के दिन किसी मंदिर के प्रांगण से इसे खरीदें और अपनी मांग में भरकर, सुहाग की लम्बी उम्र की कामना करें।

मेहंदी या आलता - करवा चौथ पर हथेलियों पर मेहंदी और पैरों में आलता या महावर लगाने का रिवाज है। यदि आप किसी कारणवश करवा चौथ के पहले यह नहीं लगा पाई हों, तो करवा चौथ के दिन इसे विशेष रूप से खरीद कर अपने पैरों और हथेलियों पर लगाएं।

लाल रंग के वस्त्र - माँ पार्वती ने शिवजी को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी और उन्हें लाल रंग बहुत प्रिय है। सुर्ख लाल रंग प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए माता की पूजा में लाल रंग की चुनरी का बहुत महत्व होता है। आप भी इस दिन लाल रंग के वस्त्र अवश्य खरीदें।

आभूषण - करवा चौथ के दिन गहनों के बिना श्रृंगार अधूरा माना जाता है। इसीलिए इस दिन कोई गहना अवश्य खरीदें। मंगलसूत्र, पायल, नथ, अंगूठी ये कुछ ऐसे आभूषण है, जो करवा चौथ के दिन आपके सौंदर्य में चार चाँद लगाएंगे।

गजरा - करवा चौथ के दिन गजरा खरीदकर अपने बालों में जरूर लगाएं। इस गजरे की खुशबू से आपका दाम्पत्य जीवन भी महक उठेगा, साथ ही आपके और आपके पति के बीच प्रेम अधिक गहरा होगा।

यह सभी कुछ ऐसी चीजे हैं, जो आपको करवा माता से सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद दिलाएंगी।

श्रीमंदिर परिवार आशा करता है कि आपका करवा चौथ का यह कठिन व्रत सफल बनें और आपको सौभाग्य की प्राप्ति हो।

करवा चौथ से जुड़ी संपूर्ण सामग्री लिस्ट

उत्सवों का देश कहे जाने वाले भारत में प्रत्येक त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इन्हीं में से एक त्योहार ऐसा भी है, जिसे भारत की हर महिला बहुत श्रद्धा और उमंग के साथ मनाती हैं। इस दिन सौभाग्यशाली महिलाएं अपने पति की लंबी और निरोगी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि इस शुभ समय में आप किन-किन सामग्री का उपयोग कर सकते हैं।

करवा चौथ के लिए पूजन सामग्री

हिन्दू धर्म में पर्व-त्योहार का बड़ा ही महत्व है। ऐसा भी कह सकते हैं कि संस्कृति, संस्कार और पर्व-त्योहार हिंदू धर्म की आत्मा है। हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले हर पर्व और त्योहार में व्रत-पूजा का विधान है और हर व्रत और पूजा के लिए विशेष प्रकार की सामग्री का उपयोग किया जाता है।

हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इस व्रत के लिए भी कुछ खास सामग्री की जरूरत पड़ती है। यदि आप भी करवा चौथ को विधि-विधान के साथ सम्पन्न करना चाहते हैं तो आपको भी खास सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी।

अगर आप पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही हैं तो श्री मंदिर पर हम आपके लिए लेकर आए हैं करवा चौथ पर किये जाने वाले हर अनुष्ठान में उपयोग होने वाली सम्पूर्ण सामग्री की जानकारी। जिससे आप आसानी से अपनी पूजा सम्पूर्ण कर सकेंगे।

पूजा सामग्री

  • लकड़ी की चौकी
  • करवा माता का कैलेंडर
  • तांबे का कलश
  • नारियल
  • कलावा
  • आम के पत्ते
  • पान के पत्ते
  • सुपारी
  • कुशा
  • अगरबत्ती-धुप
  • पुष्प
  • शुद्ध घी
  • मिठाई
  • गंगाजल
  • कुमकुम-हल्दी
  • अक्षत (चावल)
  • सिंदूर
  • मेहंदी
  • महावर
  • बिंदी
  • दो चुनरी
  • चूड़ी
  • मिट्टी का करवा
  • दीपक
  • करवा में भरने के लिए सूखे मेवे या अन्न
  • छलनी
  • दान के लिए रुपये
  • सुहाग का सामान

पूजा में आरती की थाल में इन चीजों को अवश्य रखें।

  • एक साफ थाल अथवा थाली
  • छोटा जलपात्र
  • फूल
  • बाती और घी से भरा दीप

सरगी

करवा चौथ का व्रत शुरू करने से पहले महिलाएं सरगी करती हैं। सरगी सूर्योदय से पूर्व और चतुर्थी तिथि लगने से पहले किया जाता है। सरगी यानी व्रत से पहले कुछ विशेष प्रकार का खाना खाया जाता है, जिससे व्रती महिलाओं को भूख-प्यास न लगे और पूरे दिन काम करने की ऊर्जा भी बनी रहे। सरगी में फल जरूर खाने चाहिए, क्योंकि इसमें विटामिन और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं, जो आपको ऊर्जा देते हैं। इसके अलावा दूध से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए। नारियल पानी पिएं। उपलब्धता के हिसाब से भी आप चीजों का उपयोग कर सकते हैं, बस इतना ख्याल रहे कि आप जो भी खा रहे हैं, उनसे आपको किसी तरह की परेशानी न हों

सरगी के लिए सामग्री

  • फल
  • दूध
  • नारियल पानी
  • दही
  • सूखे मेवे

करवा चौथ की पूजा कैसे करें?

हम भारत की महिलाओं के लिए साल में आने वाले अनेकों त्यौहार एक तरफ और करवा चौथ का व्रत एक तरफ़। साथ ही श्रृंगार, प्रेम, समर्पण और अपने प्रियतम की लंबी उम्र के लिए किया गया त्याग, हमारे भीतर इस दिन के उल्लास को और अधिक बढ़ा देते हैं।

करवा चौथ की पूजा कैसे करें?

तो चलिए इसी उल्लास के साथ शुरू करते हैं करवा चौथ की पूजा विधि -

संकल्प

  • सर्वप्रथम करवाचौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में अर्थात सूर्योदय से पहले उठकर नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं और स्नान करें।
  • स्नान ने बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करें, और पूजाघर की सफाई करके यहां घी का दीपक जलाएं।
  • अब हाथ जोड़कर करवा माता, भगवान शिव-पार्वती और गणेश जी को नमन करके व्रत का संकल्प लें।

सरगी

  • अगर आपके घर में सरगी खाने की परंपरा है तो सूर्योदय से पहले अपने ससुराल पक्ष की तरफ से दी गई सरगी का सेवन करें और जल ग्रहण करें। ध्यान रहें कि सरगी हमेशा सूर्योदय से पूर्व ही ग्रहण की जाती है।
  • दिन के समय आप सम्पूर्ण पूजा सामग्री एकत्रित कर लें। ताकि शाम के समय शुभ मुहूर्त में बिना किसी विघ्न के पूजा की जा सकें।
  • संध्या समय में पूजा से पहले स्वच्छ होकर संपूर्ण श्रृंगार धारण करें। करवा चौथ के व्रत पर सुहाग की हर निशानी को पहनें।
  • अब संध्या समय में शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें।

चौकी स्थापना

  • सबसे पहले पूजास्थल को साफ करें और चौकी लगाने वाले स्थान को हल्दी से लीप लें, या फिर रोली और हल्दी से स्वस्तिक बनाएं। उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में चौकी की स्थापना करें।
  • इस चौकी के सामने आसन ग्रहण करें। अब चौकी पर गंगाजल छिड़क कर इसपर साफ लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। इस पर करवा माता का कैलेंडर रखें।
  • वैसे तो करवा चौथ की संपूर्ण सामग्री के साथ करवा माता का कैलेंडर भी होता है। लेकिन यदि आपको वह न मिले तो आप चावल के आटे को घोलकर उसमें लाल सिंदूर मिलाएं। और इस घोल से चौकी वाली दीवार पर करवा माता, भगवान शिव-पार्वती, गणेश जी और भगवान कार्तिकेय के चित्र बना बनाकर इनकी पूजा करें।

करवा स्थापना

  • चौकी पर दाईं ओर अक्षतदल बनाएं और इस पर एक मिट्टी का करवा (टोटी वाला कलश) स्थापित करें। करवा को हल्दी-कुमकुम लगाएं। इसके मुख पर मौली बांधे।
  • इस करवा को अपनी क्षमतानुसार अन्न, शक्कर, या सूखे मेवे से भरें। साथ में एक सिक्का भी रखें और इसका मुख दीये से ढंक दें।

गौरी गणेश स्थापना

  • प्रथम पूज्य गणेश जी और गौरी की स्थापना के लिए, चौकी पर पान के दो पत्ते रखेंगे। इनपर आसन के रूप में अक्षत के कुछ दाने डालेंगे और अब इन पर दो सुपारियों को गणेशजी और गौरी माता के रूप में विराजित करेंगे। अब दोनों देवों पर जल का छिड़केंगे। यह स्नान का रूपक है।

  • अब हम गणेश-गौरी जी को रोली, हल्दी और अक्षत अर्पित करेंगे। इसके बाद जनेऊ या मौली के रूप में गौरी-गणेशजी को वस्त्र अर्पित करें।

पूजा प्रारंभ

  • अब जल पात्र से तीन बार आचमन विधि करें, और चौथी बार बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर हाथ साफ करें। इसके बाद स्वस्तिवाचन मन्त्र का उच्चारण करें।
  • चौकी पर दीप प्रज्वलित करें, धुप-अगरबत्ती लगाएं। इसके बाद पुष्प और माला अदि चढ़ाएं।
  • अब ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का 11 बार जप करके प्रथम पूज्य भगवान गणेश और कुलदेवी को नमस्कार करें।
  • चौकी पर करवा माता के दाएं तरफ चावल से अष्टदल कमल बनाएं और इस पर कलश की स्थापना करें।
  • मिट्टी या तांबे के कलश में शुद्ध जल भरें, इसमें गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाएं और कलश के उभार पर हल्दी-कुमकुम लगाकर इसके मुख पर लाल कलावा बांधे।
  • अब दो लौंग, दो सुपारी, एक हल्दी की गांठ, अक्षत, दो इलायची और एक सिक्के को सीधे हाथ में लेकर कलश में डालें।
  • यदि इनमें से कुछ सामग्री आपको नहीं मिल पाई हो, तो आप शुद्ध जल में सिर्फ सिक्का और चावल डालकर भी कलश स्थापित कर सकते हैं।
  • इसके बाद अष्टदल रूपी आम के पत्तों को हल्दी-कुमकुम लगाकर इस कलश के मुख पर रखें।
  • अब नारियल पर लाल चुनरी या लाल वस्त्र को कलावा की मदद से लपेट लें, और इसे कलश पर रखें।
  • इसके बाद नारियल पर हल्दी-कुमकुम और अक्षत अर्पण करें।
  • माता करवा, भगवान शिव-पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय जी की पंचोपचार क्रिया (हल्दी-कुमकुम-अक्षत-पुष्प-भोग) द्वारा पूजा करें।
  • घर में बने पकवान, मिष्ठान्न भोग रूप में चढ़ाएं।
  • माता करवा को करवा चौथ की पुड़िया में आई सभी सामग्री अर्पित करें।
  • अब करवा चौथ व्रत कथा की पुस्तक को नमन करें। दाएं हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर व्रत कथा पढ़ें। यह व्रत कथा श्रीमंदिर पर भी उपलब्ध है। आप व्रत कथा का श्रवण श्रीमंदिर के माध्यम से भी कर सकते हैं।
  • अब माता करवा, माता गौरी और भगवान गणेश की आरती करें।
  • सभी देवों को नमन करके अपने पति और संतान की लम्बी आयु के लिए प्रार्थना करें।
  • अंत में भगवान जी से पूजा में हुई किसी भी गलती के लिएक्षमायाचना करें।

चंद्र पूजा

  • चंद्र पूजा के लिए पूजा की थाली में हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, जल कलश, दीपक छलनी आदि रखें।
  • अब किसी ऊँचे स्थान से चन्द्रदर्शन करें। चंद्र को हल्दी-कुमकुम-अक्षत-पुष्प अर्पित करें।
  • इसके बाद चंद्र को अर्घ्य दें। अब एक केले के पत्ते पर भोग-मिष्ठान्न रखकर इसे चंद्रदेव को अर्पण करें।
  • अब अपने पति को तिलक करें और उनकी आरती उतारें। अब छलनी से पहले चाँद को देखें और फिर अपने पति को देखें।
  • इसके बाद चंद्र को नमस्कार करें और उनसे अपने परिवार और जीवनसाथी के लिए मंगल कामना करें।
  • अब अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करके अपना निर्जला व्रत पूर्ण करें।

विसर्जन

  • पूजा में रखा गया करवा और श्रृंगार की सामग्री सुहागन को दान करें।

इस तरह आपकी करवा चौथ की पूजा विधि संपन्न होगी। इस विधि से की गई पूजा से माँ करवा आपको सौभाग्य का आशीर्वाद देंगी और आपका परिवार हमेशा सुखी- सम्पन्न बना रहेगा।

करवा चौथ पर चाँद नहीं दिखे या व्रत गलती से टूट जाए तो क्या करें?

करवा चौथ का व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए एक अत्यंत पावन पर्व है। इस दिन विवाहित महिलाएँ पूरे दिन निर्जल उपवास रखकर अपने पति के दीर्घायु, आरोग्य और दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। संध्या के समय जब चंद्रमा उदित होते हैं, तब उन्हें अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। परंतु कभी-कभी परिस्थितियों के चलते व्रत में व्यवधान आ सकता है, जैसे—व्रत का गलती से टूट जाना या मौसम के कारण चंद्रमा का न दिखना। ऐसे में स्त्रियाँ अक्सर असमंजस में पड़ जाती हैं कि अब क्या करें। शास्त्र और परंपरा दोनों ही ऐसी परिस्थितियों के समाधान बताते हैं

यदि करवा चौथ का व्रत टूट जाए

  • यदि अनजाने में करवा चौथ का व्रत खंडित हो जाए तो सबसे पहले मन में किसी प्रकार की शंका या भय न रखें। इसे अपशकुन मानकर घबराने की आवश्यकता नहीं है। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि सच्ची निष्ठा और आस्था ही व्रत का वास्तविक फल प्रदान करती है।
  • सबसे पहले स्नान करके स्वयं को शुद्ध करें और संपूर्ण शृंगार करें।
  • करवा माता, मां गौरी और भगवान शिव-पार्वती के सम्मुख बैठकर अपनी भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
  • प्रायश्चित स्वरूप किसी सुहागिन महिला को श्रृंगार सामग्री, वस्त्र या फल दान करें।
  • संध्या के समय पुनः विधिवत भगवान शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की पूजा करें।

ऐसा करने से व्रत खंडित होने का दोष समाप्त हो जाता है और माता करवा साधिका को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।

यदि करवा चौथ पर चंद्रमा न दिखे

  • कभी-कभी बादलों या खराब मौसम के कारण चंद्रमा देर तक दिखाई नहीं देते। ऐसे में स्त्रियों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
  • चंद्रमा के उदय समय के बाद कम से कम एक घंटे तक प्रतीक्षा अवश्य करें।
  • यदि फिर भी चंद्रमा न दिखाई दें, तो भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र में उनके मस्तक पर स्थित चंद्रमा के दर्शन करके व्रत का पारण करें।
  • दूरदर्शन या मोबाइल के माध्यम से लाइव चंद्र दर्शन देखकर भी व्रत खोला जा सकता है।
  • आजकल वीडियो कॉल के माध्यम से किसी ऐसे स्थान से, जहाँ चंद्रमा उदित हो चुका हो, उनके दर्शन करके भी पारण करना मान्य है।

करवा चौथ का व्रत केवल बाहरी नियमों से नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास से पूर्ण होता है। यदि व्रत टूट भी जाए या चंद्रमा न दिखे, तो ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति और प्रायश्चित से यह व्रत पूर्ण फलदायी माना जाता है। स्त्रियों का यह उपवास न केवल दांपत्य जीवन में प्रेम और विश्वास को सुदृढ़ करता है, बल्कि परिवार की सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु का भी आधार बनता है।

करवा चौथ व्रत के लाभ

करवा चौथ व्रत केवल एक परंपरा ही नहीं, बल्कि स्त्रियों की निष्ठा, विश्वास और प्रेम का प्रतीक है। इस व्रत को करने से न केवल धार्मिक पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और सुख-समृद्धि भी आती है।

1. पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य

इस व्रत का मुख्य उद्देश्य पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करना है। मान्यता है कि माता करवा और माता पार्वती के आशीर्वाद से पति सभी संकटों से सुरक्षित रहते हैं और दांपत्य जीवन सुखमय बनता है।

2. दांपत्य जीवन में प्रेम और विश्वास

करवा चौथ पति-पत्नी के रिश्ते में गहराई और विश्वास को बढ़ाता है। जब पत्नी अपने पति के लिए दिनभर का कठिन व्रत रखती है, तो पति-पत्नी के बीच का भावनात्मक बंधन और भी प्रगाढ़ हो जाता है।

3. अखंड सौभाग्य की प्राप्ति

शास्त्रों में कहा गया है कि करवा चौथ का व्रत करने से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। यह व्रत सुहागिन स्त्रियों को दीर्घकाल तक मंगलसूत्र, सिन्दूर और सुहाग के अन्य चिह्नों के साथ जीवन व्यतीत करने का आशीर्वाद देता है।

4. परिवार में सुख-शांति और समृद्धि

करवा चौथ व्रत से घर-परिवार में सुख-शांति और सौहार्द का वातावरण बना रहता है। स्त्री की तपस्या और श्रद्धा पूरे परिवार पर सकारात्मक प्रभाव डालती है और परिवार में समृद्धि का वास होता है।

5. धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ

इस दिन व्रत और पूजा के माध्यम से स्त्रियां न केवल अपने जीवनसाथी के लिए प्रार्थना करती हैं, बल्कि ईश्वर के प्रति गहन आस्था भी व्यक्त करती हैं। इससे आत्मिक शांति, संतोष और धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है।

करवाचौथ व्रत की पारण विधि

करवाचौथ के व्रत में दिनभर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। करवाचौथ व्रत का उत्सव अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं, लेकिन अधिकतर स्त्रियां इस दिन निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। और चंद्र दर्शन के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं।

आइये जानते हैं कि इस व्रत का पारण कैसे करें -

  • इस व्रत का पारण रात्रि में चंद्रदेव के दर्शन करने के उपरांत विधिवत पूजा करके किया जाता है।
  • चंद्रदेव की पूजा करने के पश्चात् सुहागनें अपने पति का तिलक करती हैं और उनकी आरती उतारती हैं।
  • जिसके बाद सुहागनें अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करके कुछ मीठा खाकर अपना व्रत खोलती हैं।
  • अंत में भोजन ग्रहण करने से पहले घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना भी करवाचौथ के दिन अत्यंत फलदायक एवं शुभ होता है।
  • ध्यान दें कि किसी भी नमकीन चीज को खाकर अपना व्रत न खोलें।

करवाचौथ के दिन क्या करें?

  • करवाचौथ के दिन मां पार्वती को श्रृंगार का सामान अवश्य अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से मां प्रसन्न होकर आपका दांपत्य जीवन खुशियों से भर देती है।
  • इस दिन लाल रंग के ही कपड़े पहनें, क्योंकि लाल रंग सुहागनों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • करवाचौथ की पूजा से पहले बेटी के घर मिठाइयां, तोहफे और सूखे मेवे जरूर भेजें।
  • करवा चौथ की पूजा से पहले और बाद में भजन-कीर्तन जरूर करें। इससे वातावरण में सकारात्मकता आती है, और पूजन का पूर्ण फल मिलता है।
  • करवा चौथ के दिन सुहागिनों के लिए श्रीसूक्त का पाठ करना बेहद शुभ फलदायक रहता है, और पुरुषों को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। इससे पति-पत्नी के बीच सौहार्द और प्रेम बना रहता है।

करवाचौथ के दिन क्या न करें?

  • करवाचौथ के दिन देर तक न सोएं क्योंकि यह व्रत सूर्योदय के साथ ही प्रारंभ हो जाता है।
  • व्रत के दौरान झूठ, चुगली, निंदा जैसी बुराइयों से दूर रहें।
  • घर के बड़ों का अपमान न करें। घर में शांति और खुशहाली का माहौल बनाएं रखें।
  • शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी सोते हुए व्यक्ति को नींद से जगाना भी अशुभ माना जाता है।
  • इस दिन भूरे या काले रंग के कपड़ें न पहनें।
  • करवा चौथ पर, महिलाओं को आमतौर पर अधिक मेहनती कार्यो में शामिल न होने की सलाह दी जाती है।
  • व्रत खोलने के बाद भी एकदम से भरपेट भोजन न करें, बल्कि उन्हें हल्का भोजन करने की सलाह दी जाती है।
  • इस दिन सफ़ेद रंग की वस्तुओं का दान न करें।

माना जाता है कि करवाचौथ के व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षा के लिए पूरे जतन से इस व्रत का पालन करती हैं। आप भी ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखें और अपने व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ पूर्ण करें।

divider
Published by Sri Mandir·October 10, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook