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कन्या संक्रांति 2025

क्या आप जानते हैं कन्या संक्रांति 2025 कब है? जानें सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश का शुभ मुहूर्त, व्रत-पूजन का महत्व और इस दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्य।

कन्या संक्रांति के बारे में

कन्या संक्रांति उस दिन मनाई जाती है जब सूर्य सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करता है। यह घटना भाद्रपद और आश्विन मास के संधिकाल में होती है। इस दिन दान, स्नान और भगवान विष्णु-गणेश की पूजा का विशेष महत्व है।

कन्या संक्रान्ति 2025

भाद्रपद मास में जब भगवान सूर्य 'सिंह राशि' से 'कन्या राशि' में गोचर करते हैं, तो उस संक्रांति को कन्या संक्रांति कहा जाता है। आपको बता दें कि कन्या संक्रांति पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में विशेष रूप से मनाई जाती है। इस संक्रांति के अवसर पर भगवान विष्णु, सूर्य देव और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने का विधान है।

चलिए जानते हैं कि कन्या संक्रांति कब है?

2025 कन्या संक्रान्ति फलम्

  • कन्या संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त -
  • कन्या संक्रान्ति - 17 सितम्बर, 2025, बुधवार को (आश्विन, कृष्ण एकादशी)
  • कन्या संक्रान्ति पुण्य काल - 05:45 ए एम से 11:52 ए एम
  • अवधि - 06 घण्टे 08 मिनट्स
  • कन्या संक्रान्ति महा पुण्य काल - 05:45 ए एम से 07:47 ए एम
  • अवधि - 02 घण्टे 03 मिनट्स
  • कन्या संक्रान्ति का क्षण - 01:55 ए एम

कन्या संक्रांति के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:11 ए एम से 04:58 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:34 ए एम से 05:45 ए एम

अभिजित मुहूर्त

कोई नहीं

विजय मुहूर्त

01:55 पी एम से 02:44 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

06:00 पी एम से 06:23 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

06:00 पी एम से 07:10 पी एम

अमृत काल

12:06 ए एम, सितम्बर 18 से 01:43 ए एम, सितम्बर 18

निशिता मुहूर्त

11:29 पी एम से 12:16 ए एम, सितम्बर 18

क्या है कन्या संक्रांति?

जब सूर्य अपनी गति बदलकर कन्या राशि में प्रवेश करता है, तब उस दिन को कन्या संक्रांति कहा जाता है। यह बारह संक्रांतियों में से एक है और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, सूर्य उपासना और दान-पुण्य करने की परंपरा है।

क्यों मनाते हैं कन्या संक्रांति?

  • कन्या संक्रांति को मनाने के पीछे मुख्य कारण सूर्यदेव की उपासना और पितरों का तर्पण है।
  • शास्त्रों के अनुसार, संक्रांति के दिन किया गया दान और स्नान अक्षय पुण्य प्रदान करता है।
  • इस अवसर पर लोग नदी या तीर्थस्थलों में स्नान कर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करते हैं।
  • सूर्यदेव को अर्घ्य देकर जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

कन्या संक्रांति का महत्व

  • सभी संक्रांतियों की तरह कन्या संक्रांति भी धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त पाप नष्ट होकर पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
  • पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए किए गए श्राद्ध और तर्पण से परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
  • सूर्यदेव की पूजा और मंत्र-जप करने से जीवन में आत्मिक शांति, आरोग्य और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • इस दिन किए गए दान को सौ गुना फलदायी माना गया है।

इस दिन विश्वकर्मा पूजा करने का विधान क्यों है?

कन्या सक्रांति के अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की उपासना करने का भी विधान है, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। विश्वकर्मा पूजा का ये पर्व उड़ीसा और बंगाल के साथ साथ देश के कई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है कि देवों के महल और शस्त्र आदि का निर्माण विश्वकर्मा द्वारा ही किया गया था। पौराणिक मान्यता ये है कि ब्रह्मा जी के आदेश पर ही भगवान विश्वकर्मा ने इस दुनिया की रचना की थी।

इस दिन कारखानों और कार्यालयों में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापना करके विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों में लोहे की चीज़ों, जैसे तराजू, गाड़ी, साइकिल आदि को साफ करके, उसे गंगा जल से स्नान कराकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं, और भगवान विश्वकर्मा से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। कहते हैं कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा से कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलती है।

कन्या संक्रान्ति के दिन पूजा कैसे करें

शास्त्रों में संक्रांति के दिन धर्म-कर्म का विशेष महत्व माना गया है। इस बार भाद्रपद माह में पड़ने से कन्या संक्रांति को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आइये जानें इस दिन ज्यादा से ज्यादा पुण्य कमाने के लिए किस प्रकार पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

पूजा विधि:-

  • कन्या संक्रांति के दिन प्रातःकाल उठकर, स्नान तथा नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं।
  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है।
  • अगर ऐसा संभव न हो तो आप घर के ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान कर लें।
  • इसके पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा करना आवश्यक होता है, इसलिए आप भी सुबह सूर्यदेव को तांबे के कलश में जल भरकर अर्घ्य दें और सूर्य मंत्र का जाप करें।
  • फिर सूर्य देव को प्रणाम करने के बाद उनका आशीष मांगे।
  • इसके बाद घर के मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें, फिर दीप प्रज्वलित करें।
  • अब सूर्य भगवान की प्रतिमा पर कुमकुम, धूप, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करना भी शुभ माना गया है। इसलिए उन्हें तुलसी दल चढ़ाएं।
  • भगवान सूर्य को भी संपूर्ण पूजा सामग्री अर्पित करें और उनकी पूजा करें। अंत में भगवान जी की आरती उतारें और उनके आशीष की कामना करें।
  • इस प्रकार पूजा-अर्चना करने से आप पर भगवान विष्णु और सूर्य देव की कृपा हमेशा बनी रहेगी।
  • कन्या संक्रांति पर सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है।
  • इस दिन की जाने वाली पूजा अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है।

कन्या संक्रांति के अनुष्ठान एवं लाभ क्या हैं?

  • इस दिन गंगा जी व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करके भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
  • इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से नौकरी व व्यवसाय में और सफलता मिलती है।
  • कन्या संक्रांति पर 'ॐ आदित्याय नमः' का जाप करने से भगवान सूर्य की विशेष कृपा मिलती है, और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
  • सूर्य भगवान की कृपा पाने के लिए कन्या संक्रांति के दिन दान करना भी असंख्य फल देने वाला माना गया है।
  • इस दिन प्रातः के समय तांबे की कोई वस्तु, गुड़, जौ और लाल फूल का दान करने का विशेष महत्व है।

कन्या संक्रांति पूजा के लाभ

कन्या संक्रांति के दिन स्नान, दान और पूजा करने से साधक को अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं—

पापों का क्षय – इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और आत्मा शुद्ध होती है।

पितरों की तृप्ति – श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।

सूर्यदेव की कृपा – सूर्योपासना और अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

धन और समृद्धि – कन्या संक्रांति पर दान-पुण्य करने से घर में सुख-समृद्धि, वैभव और सौभाग्य का आगमन होता है।

आध्यात्मिक उन्नति – सूर्य मंत्रों का जप और पूजा करने से साधक की आत्मिक शक्ति बढ़ती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

कन्या संक्रांति के दिन क्या सावधानियां रखना चाहिए?

इस पावन दिन पर कुछ नियम और सावधानियां अपनाने से पुण्यफल और अधिक मिलता है—

  • इस दिन भोग-विलास, क्रोध और कटु वाणी से बचना चाहिए।
  • मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित माना गया है।
  • बिना स्नान किए सूर्योपासना या दान-पुण्य नहीं करना चाहिए।
  • इस दिन किसी भी प्रकार का अनैतिक कार्य, झूठ बोलना या अपशब्द कहना शुभ नहीं होता।
  • पितरों के तर्पण और श्राद्ध के समय पूरी श्रद्धा और शुद्धता बनाए रखनी चाहिए।
  • पूजा-पाठ करते समय ध्यान रखें कि मन विचलित न हो और आचरण पूरी तरह सात्विक रहे।

कन्या संक्रांति पर क्या करें?

  • कन्या संक्रान्ति के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इस दिन यदि आप गंगाजी या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं, तो आपको असंख्य शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
  • यदि आप इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ हैं, तो अपने नहाने के पानी में गंगा जल और लाल चन्दन मिलाकर स्नान करे। इससे आपको गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होगा।
  • स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात् सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनका पूजन करें। चूँकि यह तिथि श्रावण मास में होगी इसलिए सूर्यदेव के साथ भगवान शिव की आराधना अवश्य करें।
  • सूर्य पूजन के उपरांत जूते-चप्पल, वस्त्र एवं अन्न दान करें। इस दिन स्नान और दान करने से ग्रह दोष एवं असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • कन्या संक्रांति के दिनों में सूर्य भगवान की उपासना अत्यंत फलदाई मानी जाती है, इसलिए जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ नहीं हैं, उन्हें इस सक्रांति काल के दौरान सूर्य पूजा अवश्य करनी चाहिए।

कन्या संक्रांति पर क्या न करें?

  • कन्या संक्रांति पर शुभ-अशुभ मुहूर्त और पंचांग देखे बिना किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत न करें।
  • हिन्दू धर्म में अपने पिता का सम्मान करना श्रेष्ठकर माना जाता है, खासकर कन्या संक्रांति के दिन इस बात का ध्यान जरूर रखें। पिता का अपमान करने वालों का सूर्य ग्रह कमजोर होता है।
  • इस दिन भूल से भी किसी जरूरतमंद को ठेस न पहुंचाएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान करना न भूलें।
  • कन्या संक्रांति के दिन सूर्योदय के बाद देर तक सोना अशुभ फलों की प्राप्ति और बाधा का कारक बनता है। इस शुभ दिन पर देर तक न सोने से बचें।
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Published by Sri Mandir·September 4, 2025

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