बुढ़वा मंगल 2025 कब है? जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व। हनुमान जी की कृपा पाने के लिए अभी पढ़ें पूरी जानकारी!
बुढ़वा मंगल हनुमान जी को समर्पित एक विशेष मंगलवार होता है, जो फाल्गुन या आश्विन माह में आता है। इस दिन भक्त हनुमान जी की पूजा कर बल, बुद्धि और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...
भारतीय सनातन संस्कृति में सप्ताह के प्रत्येक दिन का संबंध किसी-न-किसी देवता से जोड़ा गया है। मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित माना गया है। इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना विशेष रूप से की जाती है, लेकिन ज्येष्ठ माह मे आने वाले सभी मंगलवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते है जिन्हे बड़ा मंगल या ‘बुढ़वा मंगल’ के नाम से जाना जाता है। यह मंगल हनुमान भक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और चमत्कारी प्रभावों से युक्त होता है।
बुढ़वा मंगल सामान्य मंगलवारों से अलग है। इसे चमत्कारी मंगलवार भी कहा जाता है।
पौराणिक मान्यता: ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ माह के मंगलवार के दिन ही भगवान राम और हनुमान जी की पहली मुलाकात हुई थी। इस मिलन को अत्यंत शुभ माना जाता है, और इसी कारण ज्येष्ठ के सभी मंगलवारों को विशेष महत्व दिया जाता है।
2025 में बुढ़वा मंगल ज्येष्ठ माह के सभी मंगलवारों को मनाया जाएगा। ज्येष्ठ माह में कुल पाँच मंगलवार पड़ेंगे, इसलिए 2025 में बुढ़वा मंगल की तिथियाँ इस प्रकार हैं:
सायंकाल आरती: सूर्यास्त के समय
विशेष योग: यह दिन हनुमान भक्तों के लिए व्रत, उपवास, और पूजन का विशेष महत्व रखता है।
बुढ़वा मंगल का महत्व धार्मिक, आध्यात्मिक और लोक-परंपराओं में अत्यंत गहरा है। उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश में इसे अत्यधिक श्रद्धा से मनाया जाता है।
जब महाभारत काल मे महाबली भीम को अपने बल पर घमंड हो गया था, तो उनके घमंड को समाप्त करने के लिए वीर बजरंगबली ने बूढ़े बानर का रूप धारण किया था।इसके साथ ही उनके घमंड को तोड़ा भी था, तभी से यह मंगल ‘बुढ़वा मंगल’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
बुढ़वा मंगल को किए गए व्रत, पूजन, और उपाय शीघ्र फलदायी माने जाते हैं। इस दिन किए गए संकल्प अत्यंत प्रभावशाली होते हैं और विशेषकर हनुमान जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
बुढ़वा मंगल पर की गई पूजा, उपवास, और हनुमान चालीसा का पाठ शत्रु बाधा, भय, रोग, दरिद्रता और कर्ज से मुक्ति दिलाता है।
बुढ़वा मंगल मनाने के पीछे धार्मिक मान्यताओं, पुराणों और जनश्रुतियों का संयोजन है:
जब महाभारत काल मे महाबली भीम को अपने बल पर घमंड हो गया था, तो उनके घमंड को समाप्त करने के लिए वीर बजरंगबली ने बूढ़े बानर का रूप धारण किया था।इसके साथ ही उनके घमंड को तोड़ा भी था, तभी से यह मंगल ‘बुढ़वा मंगल’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
यह दिन आस्था की पराकाष्ठा का प्रतीक बन गया क्योंकि वृद्धावस्था में भी हनुमान जी की सेवा और शक्ति में कोई कमी नहीं आई।
यह पर्व भक्तों को यह संदेश देता है कि सेवा, भक्ति और शक्ति की कोई उम्र नहीं होती।
इस दिन विशेष पूजन, हवन, भजन और भंडारा कराना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
बुढ़वा मंगल पर पूजा का विशेष विधान है। यह दिन हनुमान जी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम अवसर होता है।
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय
प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।
बुढ़वा मंगल को उत्सव की तरह मनाया जाता है। मंदिरों में भारी भीड़, भजन संध्या, हवन और भंडारों का आयोजन होता है। भक्तों को चाहिए कि वे इस दिन को पूरी श्रद्धा और ऊर्जा से मनाएं।
यदि आप जीवन में किसी विशेष समस्या से जूझ रहे हैं, तो बुढ़वा मंगल के दिन यह उपाय करके राहत पा सकते हैं:
पैसों की तंगी: एक पान के पत्ते पर सिंदूर से राम नाम लिखें और हनुमान जी को अर्पित करें। कर्ज से मुक्ति: 11 बार “बजरंग बाण” का पाठ करें और लाल वस्त्र दान करें। रोग और शारीरिक कष्ट: चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर हनुमान जी को चढ़ाएं। नौकरी में बाधा: हनुमान चालीसा का 7 बार पाठ करें और प्रसाद में बूंदी का भोग लगाएं। शनि की साढ़ेसाती या ढैया: हनुमान जी को शनिदेव से बचाने वाला माना जाता है, इसलिए बुढ़वा मंगल पर विशेष पूजन करें।
बुढ़वा मंगल का इतिहास गहराई से हनुमान जी की सेवा और भक्ति से जुड़ा हुआ है। इसका सबसे प्राचीन उल्लेख अयोध्या कांड और रामायण की उत्तरकथा में मिलता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह के मंगलवार के दिन ही हनुमानजी और प्रभु श्रीराम की भेंट हुई थी। इस मिलन को अत्यंत शुभ माना जाता है, और इसी कारण ज्येष्ठ के सभी मंगलवारों को विशेष महत्व दिया जाता है।
इसके अलावा एक अन्य कथा के अनुसार, जब महाभारत काल मे महाबली भीम को अपने बल पर घमंड हो गया था, तो उनके घमंड को समाप्त करने के लिए वीर बजरंगबली ने बूढ़े बानर का रूप धारण किया था।इसके साथ ही उनके घमंड को तोड़ा भी था, तभी से यह मंगल ‘बुढ़वा मंगल’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
उत्तर भारत में विशेषकर लखनऊ, कानपुर, अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज में यह पर्व अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए शुद्ध मन, भक्ति और आस्था ही पर्याप्त है, लेकिन यदि आप विशेष कृपा चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:
बुढ़वा मंगल 2025 का यह पर्व सिर्फ एक दिन की धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह हनुमान जी की अपार शक्ति, समर्पण, और भक्त के प्रति उनकी कृपा का प्रतीक है। यह दिन एक अवसर है — अपने जीवन से नकारात्मकता हटाकर, हनुमान जी की कृपा से भरपूर ऊर्जा और उन्नति की ओर बढ़ने का।
यदि श्रद्धा, संकल्प और संयम के साथ बुढ़वा मंगल का व्रत और पूजन किया जाए, तो हनुमान जी की कृपा से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
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