हरतालिका तीज 2025 की तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा, नियम और शिव-पार्वती पूजन से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी जानें। यह व्रत सौभाग्य, प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है।
हरतालिका तीज के बारे में
हरतालिका तीज सुहागिन महिलाओं का प्रमुख व्रत है, जिसमें वे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। यह व्रत अखंड सौभाग्य, सुखमय वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास के साथ मनाया जाता है।
भक्तों नमस्कार! श्री मंदिर के इस धार्मिक मंच पर आपका स्वागत है! कजरी तीज की तरह ही भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखमय जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, और भगवान शिव व माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करती हैं।
चलिए जानते हैं कि हरतालिका तीज कब है
हरतालिका तीज- 26 अगस्त, मंगलवार (भाद्रपद, शुक्ल तृतीया)
प्रातःकाल हरतालिका पूजा मुहूर्त- 05:36 ए एम से 08:09 ए एम तक
अवधि - 02 घण्टे 33 मिनट्स
तृतीया तिथि प्रारम्भ - अगस्त 25, 2025 को 12:34 पी एम बजे से
तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 26, 2025 को 01:54 पी एम बजे तक
हरतालिका तीज के शुभ मुहूर्त
मुहूर्त
समय
ब्रह्म मुहूर्त
04:06 ए एम से 04:51 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या
04:29 ए एम से 05:36 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त
11:34 ए एम से 12:25 पी एम तक
विजय मुहूर्त
02:07 पी एम से 02:58 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त
06:23 पी एम से 06:45 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या
06:23 पी एम से 07:30 पी एम तक
अमृत काल
11:30 पी एम से 01:15 ए एम, 27 अगस्त तक
निशिता मुहूर्त
11:37 पी एम से 12:22 ए एम, 27 अगस्त तक
क्या है हरतालिका तीज?
हरतालिका तीज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक विशेष व्रत है, जो मुख्य रूप से सौभाग्य, मनवांछित वर, और वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से स्त्रियों द्वारा रखा जाता है।
"हरतालिका" शब्द दो भागों से मिलकर बना है —
'हरण' अर्थात जबरन उठा ले जाना
'तालिका' अर्थात सखी या सहेली
पौराणिक कथा के अनुसार, जब पर्वतराज हिमालय माता पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करना चाहते थे, तब माता की सखियों ने उनका हरण कर उन्हें जंगल में एक गुफा में छिपा दिया, ताकि वे भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तप और व्रत कर सकें। इस घटना के कारण इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा।
क्यों मनाते हैं हरतालिका तीज?
हरतालिका तीज माता पार्वती के अटल संकल्प, विवाह के लिए तपस्या, और भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने की कथा पर आधारित है।
इस व्रत को इसलिए मनाया जाता है:
अविवाहित कन्याएं इसे मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।
विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु, प्रेम और सौभाग्य की कामना से यह व्रत करती हैं।
यह पर्व संकल्प, श्रद्धा और स्त्री-शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
हरतालिका तीज का महत्व
यह तीज तीनों प्रमुख तीजों (हरियाली, कजरी, हरतालिका) में सबसे कठिन और फलदायी मानी जाती है।
यह निर्जल व्रत होता है — यानी इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग किया जाता है।
महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार करती हैं और रात्रि जागरण कर कीर्तन-भजन में समय बिताती हैं
यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण को मजबूत करता है।
एक बार इस व्रत की शुरुआत करने के बाद इसे हर साल नियमपूर्वक करना आवश्यक होता है — उद्यापन के बिना बीच में नहीं छोड़ा जा सकता।
हरतालिका तीज कौन मना सकता है?
1. विवाहित महिलाएं
यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक सुख की कामना के लिए रखा जाता है।
महिलाएं निर्जल उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
2. कुमारी कन्याएं
कई जगहों पर अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को रखती हैं, ताकि उन्हें आदर्श पति (भगवान शिव जैसे) की प्राप्ति हो।
यह व्रत शुद्ध प्रेम, समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है।
3. निःसंतान दंपति या महिलाएं
कुछ महिलाएं इस व्रत को संतान सुख की प्राप्ति की कामना से भी करती हैं।
4. धार्मिक आस्था रखने वाले पुरुष या श्रद्धालु
यद्यपि यह व्रत महिलाओं का है, परंतु अगर कोई पुरुष श्रद्धा से भगवान शिव-पार्वती की आराधना करना चाहता है, तो वह भी इस व्रत का पालन कर सकता है।
विशेषत: गृहस्थ जीवन में स्थिरता या दांपत्य सुख के लिए पुरुष भी व्रत का संकल्प ले सकते हैं।
5. शिव-पार्वती के भक्त
जो भक्त पार्वती जी के कठोर तप की स्मृति और आदर्श को आत्मसात करना चाहते हैं, वे इस दिन उपवास, ध्यान और पूजा करते हैं, भले ही वे किसी भी वर्ग, जाति या वैवाहिक स्थिति के हों।
हरतालिका तीज पूजा सामग्री
अगर आप या आपके घर में कोई पहली बार हरतालिका तीज का व्रत रखने जा रहा है, तो हरतालिका व्रत की पूजन सामग्री की लिस्ट अवश्य बना लें, ताकि कोई भी सामग्री छूट न जाए।
माता पार्वती के लिए श्रृंगार सामग्री
मेहंदी
चूड़ी
बिछिया
काजल
पायल
बिंदी
कुमकुम
सिंदूर
कंघी
शीशा
माहौर
सुहाग पुड़ा
पूजा सामग्री
गणेश जी के लिए नए वस्त्र
बेलपत्र
अबीर
भूसी के साथ साबुत नारियल
केले के पत्ते
शमी के पत्ते
धतूरे का फल और फूल
जनेऊ
चंदन
गीली काली मिट्टी या बालू रेत।
पंचामृत
आंक का फूल
तुलसी
मां पार्वती के लिए हरे रंग की साड़ी
फल
फूल
भोग के लिए मिठाई
कलश (मिट्टी या पीतल)
कुमकुम
घी
कपूर
दीपक
पान
सुपारी
बताशा
इत्र
हरतालिका तीज पर स्त्रियां रेत या काली मिट्टी से भगवान शिव व माता पार्वती की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करती हैं। सभी व्रती स्त्रियां इस बात का ध्यान रखें कि हरतालिका तीज के पूजन का आरंभ भगवान गणेश की पूजा के साथ करें, उसके बाद विधि-विधान से शिव-पार्वती की पूजा करें।
हरतालिका तीज की पूजा कैसे करें/हरतालिका तीज व्रत विधि
अगर आप हरतालिका तीज पर विधिपूर्वक पूजा एवं व्रत करना चाहते हैं तो यह वीडियो आपके लिए है। इस व्रत से जुड़ी पूजन विधि, पूजा-सामग्री और व्रत से जुड़ी हुई संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें-
चलिए सबसे पहले बात कर लेते हैं इस व्रत एवं पूजा के लिए आपको किन चीज़ों की आवश्यकता होगी
आसन, लाल रंग का कपड़ा, मिट्टी, दीपक, रुई, घी, धूप, कपूर, रोली, अक्षत, गंगाजल या साफ जल, पुष्प माला, दूध, दही, शक्कर, शहद, मौसमी फल, मिठाई, पान, सुपारी, सुहाग सामग्री।
इस दिन व्रत रखने वाली स्त्रियों को प्रातःकाल उठकर सभी नित्यकर्मों से निवृत हो जाना चाहिए, जिसके बाद उन्हें साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। किसी भी पूजा में पूजन स्थल को शुद्ध करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए पूजन स्थल को अच्छे से साफ करने के बाद, गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें।
इसके बाद पूजन स्थल पर पूजा की तैयारियां शुरू करनी चाहिए, उसके लिए सबसे पहले एक आटे से चौक बनाएं। इसके बाद मिट्टी से माता पार्वती और भगवान शंकर की प्रतीक मूर्ति बनाकर, उसे आसन पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित कर दें।
पूजा के स्थान पर अब पंचामृत रख लें और इसके साथ ही एक पात्र में जल भी रख लें, इसी के साथ अब पूजा आरंभ की जा सकती है।
आप पूजा करने के लिए आसन पर बैठ जाएं और फिर ‘श्री गणेशाय नमः’ मंत्र का उच्चारण करते हुए गणेश जी का ध्यान करें और इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती को भी प्रणाम करें। इसके बाद दीप प्रज्वलित करें और भगवान जी के समक्ष धूप जलाएं।
अब आपको सभी प्रतिमाओं को तिलक लगाना है और उन्हें पूजा सामग्री अर्पित करनी है। भक्त भगवान शिव और माता पार्वती को एक-एक करके सभी वस्तुएं अर्पित करें। इसमें अक्षत, पुष्प, पुष्प माला, फल, मिष्ठान, पंचामृत, जल, रोली, पान-सुपारी आदि शामिल हैं।
व्रत रखने वाली महिलाएं माता पार्वती को अलग से सुहाग की सामग्री अवश्य अर्पित करें। इस व्रत में कथा सुनने का भी विशेष महत्व है, इसलिए आप हरतालिका तीज की व्रत कथा ज़रूर सुनें और अंत में भगवान जी की आरती उतारें।
पूजा के बाद महिलाएं पूरे विधि-विधान से निर्जला व्रत का पालन करें और अगले दिन जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें। हम आशा करते हैं कि सभी स्त्रियों को माता पार्वती से सदा सुहागिन रहने का आशीष प्राप्त हो।
हरतालिका तीज व्रत एवं पूजा के नियम
1. व्रत का संकल्प
तीज व्रत का संकल्प प्रातः स्नान कर शुद्ध होकर लिया जाता है।
व्रत निर्जल और निराहार होता है — इसे अत्यंत कठिन व्रत माना गया है।
2. शुभ मुहूर्त में पूजा करें
हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल या तृतीया तिथि के दौरान रात में की जाती है।
पूजन मुहूर्त में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं।
3. मूर्ति स्थापना और पूजा स्थल की तैयारी
मिट्टी या बालू से भगवान शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं।
एक साफ चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर प्रतिमाओं को स्थापित करें।
कथा वाचन करें – हरतालिका तीज व्रत कथा को ध्यानपूर्वक सुनें या पढ़ें।
6. रात्रि जागरण अनिवार्य
व्रती को रात्रि जागरण (जागरण या कीर्तन) करना होता है।
इस दिन नींद नहीं ली जाती, बल्कि भक्ति, भजन, मंत्र जप और शिव-पार्वती के ध्यान में रात्रि बिताई जाती है।
7. पूरे दिन जल ग्रहण न करें
यह व्रत पूर्ण रूप से निर्जल होता है। विशेष परिस्थितियों को छोड़कर जल या भोजन नहीं लेना चाहिए।
8. व्रत का पारण (समापन)
व्रत का पारण चतुर्थी तिथि के सूर्योदय के बाद फलाहार या जल ग्रहण करके किया जाता है।
पारण से पहले शिव-पार्वती की दुबारा पूजा की जाती है और उन्हें जल अर्पित कर व्रत समाप्त किया जाता है।
हरतालिका तीज पर बरतें ये सावधानियां! भूलकर भी ऐसा न करें
हरतालिका तीज व्रत के प्रभाव से अखंड सौभाग्य और मनचाहा वर पाने का वरदान मिलता है, लेकिन इस दिन जरा सी भूल आपके व्रत के प्रभाव को क्षीण कर सकती है। शास्त्रों में हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली स्त्रियों के लिये कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन कर आप इस व्रत का संपूर्ण फल पा सकते हैं।
चलिये जानते हैं कि हरतालिका तीज पर पर कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए
जो स्त्रियां पहली बार हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली हैं, वो ध्यान रखें की ये व्रत निर्जल रहकर किया जाता है, यानि इस दिन अन्न, जल का सेवन वर्जित होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत में भोजन करने से व्रतधारी का अगला जन्म वानर के रूप में होता है, वहीं इस दिन जल ग्रहण करने से व्रती अगले जन्म में मछली बनता है।
हरतालिका तीज पर व्रत का अनुष्ठान करने वाली स्त्रियां क्रोध करने से बचें। इस दिन किसी के प्रति द्वेष या घृणा की भावना न रखें, और अपनी वाणी पर संयम बनाए रखें।
इस दिन पति पत्नी आपस में किसी प्रकार का वाद-विवाद न करें। मान्यता है ऐसा करने से भगवान शिव व माता पार्वती रूष्ट हो जाते हैं, और व्रत का सकारात्मक फल नहीं मिलता है।
हरतालिका तीज का व्रत निर्जल रहकर किया जाता है, जो कि गर्भवती स्त्रियों के स्वास्थ के लिए ठीक नहीं होता है। ऐसे में यदि कोई गर्भवती स्त्री इस पहले से इस व्रत का अनुष्ठान करती आ रही है, तो इस अवस्था में वो अपने इस व्रत को परिवार की दूसरी महिला को सौंप सकती है, ताकि व्रत का क्रम न टूटे।
शास्त्रों के अनुसार हरतालिका तीज के दिन व्रती स्त्रियों का सोना वर्जित माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन जो स्त्रियां सो जाती हैं, वो अगले जन्म में अजगर बनती हैं, इसलिए इस दिन पूरी रात जागरण करके भगवान शिव व माता पार्वती का सुमिरन करें, और भजन-कीर्तन करें।
जिन घरों में हरतालिका तीज व्रत का अनुष्ठान किया गया है, उस घर का कोई भी सदस्य इस दिन भूलकर भी मांस-मदिरा का सेवन न करें, साथ ही इस दिन घर में तामसिक भोजन न बनाएं।
हरतालिका तीज का व्रत अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है, ऐसे में व्रती स्त्रियां इस दिन सोलह श्रृंगार करके ही महादेव और मां पार्वती की पूजा करें। हरतालिका तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व है, इसलिए स्त्रियां अपने श्रृंगार में इस दिन हरे रंग का प्रयोग अवश्य करें।
हरतालिका तीज के विशेष मंत्र
हरतालिका तीज का व्रत विवाहित स्त्रियां पति के दीर्घायु होने होने के लिए और कुंवारी कन्याएं योग वर की कामना से करती हैं। मान्यता है कि सबसे पहले ये व्रत माता पार्वती ने भगवान शिव को वर रूप में पाने के लिए किया था। हरतालिका तीज की पूजा के समय भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी के मंत्रों का पाठ किया जाता है, साथ ही पति की लंबी आयु और मनोवांछित वर की कामना के लिए भी विशेष मंत्रों का पाठ करने का विधान है।
चलिए जानते हैं हरतालिका तीज के विशेष मंत्र
इस मंत्र से करें गणेश जी को प्रसन्न
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरूमे देव, सर्व कार्येषु सर्वदाः।।
हे गौरी शंकर अर्धांगिनी यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा माम कुरु कल्याणी कांत कांतां सुदुर्लाभाम्।।
यदि आपको शिव-पार्वती की कृपा पाने के लिए किसी मंत्र के उच्चारण में समस्या हो, तो शिव की पूजा के लिए 'ऊं नमः शिवाय' और माता पार्वती की पूजा के लिए 'ऊं उमाये नमः' मंत्र का ही जाप करें। ध्यान रहे कि मंत्रों का गलत उच्चारण न करें, इससे भगवान नाराज़ हो सकते हैं।
हरतालिका तीज मनाने का तरीका
हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, विशेषकर विवाहित और कुंवारी स्त्रियाँ इसे भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की स्मृति में करती हैं। इसे कठोर व्रत माना गया है क्योंकि यह निर्जल (बिना जल) और निराहार होता है।
व्रत करने की विधि इस प्रकार है:
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
व्रत का संकल्प लें – निर्जल व्रत का।
मिट्टी या बालू से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियाँ बनाएं।
चौकी पर मूर्तियाँ स्थापित कर श्रृंगार करें।
फूल, दीपक, धूप, नैवेद्य, सिंदूर, चूड़ियाँ, मेहंदी आदि से पूजा करें।
हरतालिका तीज की व्रत कथा का श्रवण करें।
रात्रि जागरण करें और शिव-पार्वती के भजन, मंत्रों का जाप करें।
अगले दिन चतुर्थी के सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
हरतालिका तीज के विशेष उपाय
हरतालिका तीज के दिन किए गए उपाय विशेष फलदायी माने जाते हैं:
कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए शिव-पार्वती की पूजा कर सोलह श्रृंगार अर्पित करें।
विवाहित स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षा हेतु पार्वती जी को सिंदूर, चूड़ियाँ, बिंदी अर्पित करें।
पति-पत्नी साथ में शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र अर्पित करें — दाम्पत्य में प्रेम बना रहेगा।
पार्वती जी को हरी चूड़ियाँ और हरे वस्त्र चढ़ाना सौभाग्यवर्धक होता है।
किसी जरूरतमंद को वस्त्र, अन्न, फल का दान करें — पुण्य की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज मनाने के लाभ
वैवाहिक जीवन में सुख, प्रेम और स्थायित्व बना रहता है।
अविवाहित कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।
स्त्री को अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है।
व्रती को शिव-पार्वती जैसे आदर्श दाम्पत्य जीवन का वरदान मिलता है।
व्रत संयम और आस्था की परीक्षा है, जिससे आत्मबल और मानसिक शुद्धि होती है।
हरतालिका तीज के दिन क्या करना चाहिए
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुद्ध मन से व्रत का संकल्प लें।
श्रद्धा से शिव-पार्वती और गणेश जी की पूजा करें।
हरतालिका तीज की व्रत कथा का श्रवण करें।
रात्रि जागरण करें और भक्ति में रत रहें।
संयम रखें और मन, वचन व क्रिया से पवित्रता बनाए रखें।
हरतालिका तीज के दिन क्या न करें
व्रत के दौरान जल, अन्न या फलाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
किसी से क्रोध, झगड़ा या कटु वचन का प्रयोग न करें।
असत्य बोलना, अपवित्रता फैलाना या अशुद्ध स्थान पर पूजा करना वर्जित है।
रात्रि में सोना नहीं चाहिए — जागरण अनिवार्य है।
व्रत को हल्के में न लें — यह तप, श्रद्धा और संकल्प का पर्व है।
तो भक्तों, ये थी हरतालिका तीज के शुभ मुहूर्त से जुड़ी जानकारी। हमारी कामना है कि आपको इस पर्व का संपूर्ण फल प्राप्त हो, और भगवान शिव व माता पार्वती की कृपा से आपका सौभाग्य सदा अखंड रहे। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।