गायत्री जयन्ती जन्म कथा

गायत्री जयन्ती जन्म कथा

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गायत्री जयन्ती जन्म कथा (Gayatri Jayanti Janam Katha)

पुराणों के अनुसार, सर्वप्रथम ब्रह्मा जी ने माता गायत्री की उपासना की और उनकी सहायता से सृष्टि का निर्माण किया। यह कथा स्वयं भगवान विष्णु ने नारद जी को सुनाई थी। आइए जानते हैं कि किस प्रकार गायत्री माँ ने ब्रह्म देव को उनकी उत्पत्ति का उद्देश्य बताया-

गायत्री जयन्ती की जन्म कथा (Gayatri Jayanti Ki Janam Katha)

एक दिन देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु से पूछा कि- हे प्रभु! आप तो अंतर्यामी हैं, सर्वव्यापी हैं, आपको तो पूरी सृष्टि का ज्ञान है, मुझे कृपा करके ये बताइए गायत्री मंत्र क्या है, इस मंत्र की उत्पत्ति किस प्रकार हुई?

इस प्रश्न को सुनकर भगवान विष्णु बोले, माँ गायत्री की उपासना सर्वप्रथम ब्रह्मदेव ने की। सृष्टि निर्माण से पूर्व चारों ओर केवल अंधकार और पानी ही पानी था। तभी मेरी नाभि से कमल-नाल प्रकट हुई और ऊपर की ओर उठते-उठते जल-स्तर तक पहुंच गई। तत्पश्चात् उस कमल पर ब्रह्म देव प्रकट हुए, उनके मन में कई प्रश्न उठने लगे जैसे कि, वह कौन हैं और यह कमल तथा यह जल कैसा है?

तत्पश्चात् क मल का ओर-छोर जानने के लिए ब्रह्मा जी कमल नाल में उतरे। अत्यधिक गहराई तक जाने पर भी जब उन्हें उस कमल नाल का कोई छोर न मिला तब वह पुनः कमल पर आकर बैठ गए। तब गायत्री माँ एक दिव्य शक्ति के रूप में उनके समक्ष प्रकट हुईं और उन्होंने ब्रह्मा जी को बताया कि, तुम ब्रह्म हो। तुम्हारी उत्पत्ति जल में सोने वाले भगवान विष्णु जी की नाभि कमल से हुई है।

ब्रह्मा जी ने उस दिव्य शक्ति से पूछा कि आप कौन हैं? और आप मेरे सम्मुख प्रकट क्यों नहीं होती? इसे सुनकर गायत्री माता ने उत्तर दिया कि, मैं तो तुम्हारे सम्मुख ही हूँ। मैं अरूप तथा सर्वव्यापी हूँ। तुम्हारी उत्पत्ति सृष्टि के सृजन के लिए हुई है। तुम गायत्री की कृपा से यह कार्य करोगे, वही तुम्हें इस कार्य के लिए शक्ति तथा युक्ति देगी।

ब्रह्मा जी ने उस दिव्य शक्ति से पूछा कि ये गायत्री कौन हैं? उस दिव्य शक्ति ने ब्रह्म देव को बताया कि जो परब्रह्म है, वही गायत्री है, अर्थात् मैं। गायत्री महामंत्र का जाप करो, इसी से सृष्टि की रचना होगी। इसके बाद ब्रह्म देव ने गायत्री मंत्र का जाप करके सृष्टि की रचना की। माँ गायत्री की उत्पत्ति ब्रह्मा जी का मार्गदर्शन करने के लिए हुई थी। पुराणों के अनुसार, गायत्री मंत्र ही सृष्टि के सृजन का आधार है।

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