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वसंत पंचमी कथा

वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की उपासना से मिले विद्या, बुद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद! जानें इस शुभ दिन की कथा और पूजन विधि।

वसंत पंचमी की कथा के बारे में

वसंत पंचमी का पर्व देवी सरस्वती की आराधना और ज्ञान, विद्या व संगीत की देवी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से वसंत ऋतु का शुभारंभ भी होता है। इस पर्व से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है, आइये जानते हैं इस कथा के बारे में...

वसंत पंचमी की कथा

बसंत पंचमी हिंदू धर्म का विशेष पर्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती प्रकट हुई थीं। तभी से ये दिन मां सरस्वती की आराधना का प्रमुख पर्व माना जाता है। वैसे क्या आप जानते हैं कि माता सरस्वती की उत्पत्ति कैसे हुई? इसके लिए आइए आज के इस वीडियो में सुनते हैं बसंत पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा।

पुराणों में वर्णित है कि सृष्टि रचना के दौरान भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, विशेष तौर पर मनुष्य योनि की रचना की। लेकिन ब्रह्माजी अपने इस सृजन से संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगा कि कहीं कुछ तो कमी रह गई है, जिसके कारण चारों ओर मौन छाया है।

इसके बाद भगवान विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल से जल का छिड़काव किया, और पृथ्वी पर जल की बूंदें बिखरते ही कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुई। यह शक्ति एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री थी, जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरे हाथ में वर मुद्रा था। और अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्माजी ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया।

जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के सभी जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल होने लगा, और हवा चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्माजी ने उन देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। दोस्तों, सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है।

तो दोस्तों, ये थी बसंत पंचमी की पौराणिक कथा। माता सरस्वती अपनी कृपा आप पर सदैव बनाए रखें।

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Published by Sri Mandir·February 19, 2025

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