विश्वकर्मा पूजा सामग्री
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विश्वकर्मा पूजा सामग्री

क्या आप ढूंढ रहे हैं विश्वकर्मा पूजा की संपूर्ण सामग्री सूची? यहाँ पढ़ें सभी आवश्यक पूजा सामग्रियों की जानकारी और करें शुभ आरंभ।

विश्वकर्मा पूजा सामग्री के बारे में

भगवान विश्वकर्मा को हिन्दू धर्म में निर्माण एवं यांत्रिकी का आदि शिल्पी माना जाता है। वे न केवल देवताओं के महलों, अस्त्र-शस्त्रों और विमान-पुष्पक आदि के निर्माता हैं, बल्कि आधुनिक युग में उन्हें इंजीनियरों, कारीगरों और तकनीकी विशेषज्ञों का आराध्य भी माना जाता है, तो आइए और कन्फ्यूजन को दूर करें औऱ जानें विश्वकर्मा पूजा के बारे में सारी जानकारी।

विश्वकर्मा पूजा: जानें धार्मिक महत्व

क्या आप जानते हैं जिन मशीनों का रोज़मर्रा में इस्तेमाल किया जात है, इन मशीनों के भी भगवान होते हैं.. को कौन है, वो हैं भगवान विश्वकर्मा, जिन्हें यंत्रों का जनक और तकनीक के देवता के रूप में पूजा जाता है। विश्वकर्मा पूजा एक विशेष पर्व है, जो रचना, श्रम और नवाचार का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्गलोक, इंद्रपुरी, सोने की लंका और द्वारका जैसी भव्य नगरीयां बनाईं।

उन्होंने सुदर्शन चक्र, त्रिशूल और पुष्पक विमान जैसे दिव्य अस्त्र-शस्त्र भी बनाए। आधुनिक युग में उन्हें इंजीनियर, आर्किटेक्ट और कारीगरों का आदर्श माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों पर सभी मशीनों की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जिससे कार्य में सफलता और समृद्धि आती है। लोग भगवान विश्वकर्मा से अपने कामकाज में तरक्की, सुरक्षा और समृद्धि की कामना करते हैं। सच कहा जाए, तो विश्वकर्मा पूजा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मेहनतकश लोगों के हुनर और रचनात्मकता का उत्सव भी है।

विश्वकर्मा पूजा सामग्री लिस्ट

इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा विशेष विधि-विधान और संपूर्ण सामग्री के साथ की जाती है। यदि आप भी इस पूजा को श्रद्धा भाव से करना चाहते हैं, तो नीचे दी गई पूरी सामग्री लिस्ट को ज़रूर शामिल करें:

विश्वकर्मा पूजा सामग्री लिस्ट

  • भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति
  • लकड़ी की चौकी
  • पीला कपड़ा
  • नवग्रह (प्रतिनिधि सामग्री सहित)
  • मिट्टी का कलश
  • जनेऊ (यज्ञोपवीत)
  • हल्दी
  • रोली (कुमकुम)
  • अक्षत (चावल)
  • सुपारी
  • मौली (कलावा)
  • लौंग
  • पीला अश्वगंधा
  • कपूर
  • देसी घी
  • हवन कुंड
  • आम की लकड़ी (हवन के लिए)
  • गंगाजल
  • इलायची
  • सूखा गोला (सूखा नारियल)
  • जटा वाला नारियल (पूजा हेतु)
  • फल (केला, सेब आदि)
  • मिठाई (लड्डू, बर्फी आदि)
  • इत्र
  • दही
  • खीरा
  • शहद
  • पंचमेवा (काजू, बादाम, किशमिश आदि)
  • धूपबत्ती
  • फूल (गेंदा, गुलाब आदि)

इन सभी सामग्रियों के अलावा पंडित आदि से भी सामग्रियों की जानकारी ले सकते हैं

हर सामग्री का महत्व

भगवान विश्वकर्मा की पूजा में चढ़ाने वाली प्रत्येत समाग्री का अलग महत्व है जो कि अतंय्ंत प्रभावशाली माना जाता है। आइए जानें सामग्रियों का महत्व।

  • भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति– पूजा का केंद्र, जहाँ श्रद्धा और भक्ति व्यक्त होती है।
  • लकड़ी की चौकी – पूजा का स्थिर आधार, जिससे पवित्रता बनी रहती है।
  • पीला कपड़ा – पवित्रता और शुभता का प्रतीक, भगवान को अर्पित किया जाता है।
  • नवग्रह– ब्रह्मांडीय ऊर्जा और संतुलन का प्रतीक।
  • मिट्टी का कलश – शुद्धता और जीवन का स्रोत माना जाता है।
  • जनेऊ (यज्ञोपवीत) – संस्कार और आध्यात्मिक रक्षा का संकेत।
  • हल्दी – पूजा में पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है। साथ ही समृद्धि के लिए भी शुभ माना जाता है।
  • रोली (कुमकुम) – देवी-देवताओं के प्रति सम्मान और शक्ति का प्रतीक।
  • अक्षत (चावल) – पूर्णता, समृद्धि और अपराजेयता का संकेत।
  • सुपारी – शुभता और देवताओं को अर्पित करने वाली वस्तु।
  • मौली (कलावा) – रक्षा और संकल्प का प्रतीक।
  • लौंग – पूजा में शुभ सुगंध और शुद्धि का प्रतीक है।
  • पीला अश्वगंधा – पूजा में इसे शुभ पौधा और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
  • कपूर – शुद्धिकरण और पवित्र वातावरण बनाने के लिए।
  • देसी घी – हवन में अग्नि को प्रज्वलित करने हेतु शुभ।
  • हवन कुंड – पवित्र अग्नि के माध्यम से ऊर्जा संचरण का साधन।
  • आम की लकड़ी – हवन के लिए विशेष रूप से शुभ और स्वच्छ मानी जाती है।
  • गंगाजल – पवित्रता और शुद्धिकरण का प्रतीक।
  • इलायची– सुगंधित और प्रसन्नता लाने वाली वस्तु।
  • सूखा गोला (सूखा नारियल) – समर्पण और पूर्णता का प्रतीक।
  • जटा वाला नारियल – देवताओं को अर्पित करने के लिए विशेष पूजन सामग्री।
  • फल (केला, सेब आदि) – समृद्धि का संकेत और भगवान को अर्पित करने वाला भोग।
  • मिठाई (लड्डू, बर्फी आदि) – पूजा के अंत में प्रसाद के रूप में वितरित की जाती हैं, जो सौहार्द, मिठास और खुशहाली का परिचायक होती हैं।
  • इत्र – वातावरण को सुगंधित और पवित्र बनाने के लिए।
  • दही– शांति और समृद्धि का प्रतीक।
  • खीरा – ताजगी और शुभता का संकेत।
  • शहद – मिठास और समृद्धि का प्रतीक।
  • पंचमेवा (काजू, बादाम, किशमिश आदि)– पोषण और जीवन में समृद्धि के लिए।
  • धूपबत्ती – वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भरने के लिए।
  • फूल (गेंदा, गुलाब आदि) – भक्ति और सौंदर्य का प्रतीक।

पूजा में प्रयोग की जाने वाली हर सामग्री अपने स्थान पर पूजा को पूर्णता और शुभता प्रदान करती है।

विश्वकर्मा पूजा सामग्री खरीदने के सुझाव

पूजा सामग्री खरीदते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है।

  • पूजा सामग्री की सूची बनाएं: अपनी जरूरत के अनुसार पूरी सामग्री की एक व्यवस्थित सूची तैयार करें। इससे खरीदारी के दौरान कोई भी आवश्यक वस्तु छूटने का खतरा नहीं रहता और समय भी बचता है।
  • समय से खरीदारी करें: पूजा से कुछ दिन पहले स्थायी सामग्री जैसे हल्दी, रोली, सुपारी आदि खरीद लें, लेकिन ताजगी वाले सामान जैसे फूल, फल और दही पूजा के ठीक एक-दो दिन पहले ही खरीदना बेहतर होता है।
  • गुणवत्ता को प्राथमिकता दें: पूजा सामग्री की शुद्धता और ताजगी बहुत महत्वपूर्ण है। विशेषकर घी, फूल और फल, मिछाई जैसे सामान हमेशा उच्च गुणवत्ता वाले और ताजे ही खरीदें।
  • विश्वसनीय दुकान या बाजार से खरीदें: जहां से सामान लें, उसकी विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा जरूर जांचें।
  • खरीदारी के दौरान पैकेजिंग और भंडारण का ध्यान: खरीदारी के दौरान सभी वस्तुओं की पैकेजिंग औऱ भंडारण का ध्यान जरूर रखना चाहिए।

विश्वकर्मा पूजा विधि

भगवान विश्वकर्मा की पूजा में विधि का पालन आवश्यक है ताकि उनकी सृजनात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद पूर्ण रूप से प्राप्त हो सके, जिससे कार्य क्षेत्र में सफलता, सुरक्षा और समृद्धि बनी रहे।

  • स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और मन में पूजा का संकल्प लें।
  • सफाई और शुद्धिकरण: पूजा से पहले सभी औजार, मशीनें और कार्यस्थल अच्छी तरह से साफ करें। फिर पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़ककर स्थान को पवित्र बनाएं।
  • पूजा स्थल की तैयारी: चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
  • भगवान गणेश की पूजा: पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से करें, जो विघ्नहरता हैं और सभी कार्यों में सफलता देते हैं।
  • भगवान विश्वकर्मा की स्थापना: भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें। उन्हें हल्दी, रोली, अक्षत, फूल और फल अर्पित करें।
  • औजारों और मशीनों की पूजा: अपने सभी औजारों और मशीनों पर तिलक लगाएं, फूल और अक्षत चढ़ाएं और उनका सम्मान करें।
  • मंत्र जाप: 'ॐ विश्वकर्मणे नमः' मंत्र का जाप करें, जिससे भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त होती है।
  • आरती, क्षमा, प्रार्थना और प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और प्रसाद अर्पित करें। फिर किसी भी भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना करें और उनकी कृपा प्राप्त करें। इसके बाद सभी भक्तों में प्रसाद वितरित करें। अंत में गरीबों को दान देना शुभ होता है। इस विधि से की गई विश्वकर्मा पूजा श्रद्धा और समर्पण से पूर्ण होती है, जो कार्यस्थल में सफलता, सुरक्षा और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।

निष्कर्ष

विश्वकर्मा पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि श्रम और सृजन को नमन करने का पर्व है। यह दिन सिखाता है कि मशीनें और तकनीकें जितनी भी आधुनिक हो जाएं, उनका सदुपयोग तभी संभव है जब हम उन्हें श्रद्धा और जिम्मेदारी से अपनाएं। इस पावन अवसर पर अपने कार्यस्थल, औजारों और तकनीकी संसाधनों को नमन करें और भगवान विश्वकर्मा से अपने जीवन में कुशलता, रचनात्मकता और सफलता की प्रार्थना करें।

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Published by Sri Mandir·September 15, 2025

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