विश्वकर्मा पूजा आरती
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विश्वकर्मा पूजा आरती

क्या आप ढूंढ रहे हैं भगवान विश्वकर्मा की आरती? यहाँ पढ़ें संपूर्ण विश्वकर्मा पूजा आरती और पाएँ आशीर्वाद व समृद्धि।

विश्वकर्मा पूजा आरती के बारे में

विश्वकर्मा पूजा आरती भगवान विश्वकर्मा की स्तुति का प्रमुख भाग है। इस दिन भक्त अपने औजार, वाहन और कार्यस्थल को सजाकर आरती करते हैं। आरती से सुख-समृद्धि, कार्य में सफलता और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा जी को देवताओं के दिव्य शिल्पकार और सृष्टि के प्रथम इंजीनियर कहा जाता है। उन्हें ब्रह्मांड का निर्माणकर्ता और समस्त यंत्र, उपकरण तथा वास्तुकला का जनक माना जाता है। हर वर्ष भाद्रपद मास की संक्रांति तिथि (मुख्यतः 17 या 18 सितंबर) को विश्वकर्मा जयंती अथवा विश्वकर्मा पूजा बड़े उत्साह से मनाई जाती है। इस दिन कारखानों, दफ्तरों, वर्कशॉप्स, मशीनों और औज़ारों की विशेष पूजा की जाती है ताकि कार्यक्षेत्र में समृद्धि, सुरक्षा और सफलता प्राप्त हो। विष्‍वकर्मा पूजा हमें यह संदेश देती है कि परिश्रम और सृजनशीलता ही प्रगति की असली कुंजी है।

विश्वकर्मा पूजा आरती

हिंदू धर्म में विष्‍वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा, भगवान ब्रह्मा के सातवें पुत्र माने जाते हैं, जिन्होंने सृष्टि रचना में उनका सहयोग किया था। इसीलिए उन्हें देवताओं का शिल्पकार और प्रथम इंजीनियर कहा जाता है। यह पर्व खासतौर पर कारीगरों, शिल्पकारों, इंजीनियरों और औद्योगिक मजदूरों के बीच अत्यंत श्रद्धा से मनाया जाता है। इस दिन वे अपने औज़ारों और मशीनों की पूजा कर उनसे सुरक्षित और सफल कार्य की प्रार्थना करते हैं।

यदि आप भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो पूजा के उपरांत उनकी आरती अवश्य करनी चाहिए। श्रद्धा भाव से की गई आरती से भगवान विष्‍वकर्मा शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सफलता, सुख-समृद्धि और मनचाहा फल प्रदान करते हैं।

ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।

सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।

शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।

ध्यान किया जब प्रभु का,सकल सिद्धि आई॥

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।

संकट मोचन बनकर,दूर दुख कीना॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।

सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।

द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।

मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥

विश्वकर्मा आरती गाने के नियम और विधि

विश्वकर्मा पूजा में आरती का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि यदि आरती विधिवत और श्रद्धा भाव से की जाए तो भगवान विश्वकर्मा प्रसन्न होकर कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। आरती गाने से पहले और बाद में कुछ नियमों और चरणों का पालन करना आवश्यक है-

  • आरती से पहले अपने कार्यस्थल, औजारों और मशीनों की अच्छी तरह सफाई करें। स्वयं भी स्नान कर पवित्र मन और तन से पूजा का संकल्प लें।
  • एक स्वच्छ स्थान पर भगवान विष्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • फूल, अक्षत, रोली, चंदन, हल्दी, दीपक, धूप, फल और मिठाई तैयार रखें।
  • आरती से पूर्व गणेश जी की पूजा कर उनकी आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • भगवान विश्वकर्मा को तिलक लगाकर फूल माला अर्पित करें। फिर अपने सभी औजारों और मशीनों पर तिलक लगाकर उन पर फूल और अक्षत चढ़ाएँ।
  • "ॐ विश्वकर्मणे नमः" मंत्र का श्रद्धा पूर्वक जाप करें।
  • अब दीपक प्रज्वलित करें और भगवान विष्वकर्मा की आरती गाएँ।
  • आरती पूर्ण होने के बाद भगवान को प्रसाद अर्पित करें, फिर परिवार, साथियों और पड़ोसियों में बाँटें।

विश्वकर्मा पूजा आरती के लाभ

भगवान विश्वकर्मा की आरती का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को विशेष आध्यात्मिक और व्यावहारिक लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसा माना जाता है कि आरती गाने से मन खुश रहता है और व्यक्ति में नई सोच और रचनात्मकता आती है।

  • आरती करने से मन प्रसन्न और शांत रहता है।
  • इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
  • इंसान में नई सोच और रचनात्मकता विकसित होती है।
  • कामकाज और पढ़ाई में ध्यान व एकाग्रता बढ़ती है।
  • भगवान विश्वकर्मा की कृपा से सफलता और उन्नति प्राप्त होती है।
  • खासकर इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर और तकनीकी क्षेत्रों में तरक्की मिलती है।

निष्कर्ष

भगवान विश्वकर्मा की आरती सिर्फ पूजा का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में खुशियाँ, अच्छी सोच और रचनात्मकता लाती है। श्रद्धा से की गई आरती से सफलता, तरक्की और सुख-समृद्धि मिलती है। भगवान विश्वकर्मा से यह विनती हैं कि वे हमारे कर्म, कौशल और प्रयासों को सदैव मंगलमय बनाएं।

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Published by Sri Mandir·September 17, 2025

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