जानिए कंकाली माता मंदिर का इतिहास, दर्शन व आरती का समय और कैसे पहुँचें।
श्री कंकाली माता मंदिर, भोपाल से लगभग 15‑18 किमी दूर रायसेन जिले के गुदावल गाँव में स्थित है। लगभग 400 वर्ष पुराना यह सिद्ध स्थान मां काली की 20‑भुजाओं वाली तीखी‑गरदनी प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में...
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 20 किलोमीटर दूर रायसेन जिले के गुदावल गांव में स्थित कंकाली माता मंदिर मां दुर्गा के चमत्कारी स्थलों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की विशेषता यहां स्थापित मां काली की 45 डिग्री झुकी हुई गर्दन वाली प्रतिमा है, जो देशभर में एकमात्र है। मान्यता है कि दशहरे के दिन मां की गर्दन सीधी हो जाती है, जिसे देखने का सौभाग्य हजारों में से केवल किसी एक भक्त को मिलता है। नवरात्रि के समय यहां विशाल मेला लगता है और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर का शांत, हरे-भरे परिवेश और प्राकृतिक वातावरण भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करता है।
इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1731 के आसपास मानी जाती है। मान्यता है कि गुदावल गांव के हरलाल मेड़ा को एक रात स्वप्न में माता के दर्शन हुए, जिसके बाद खुदाई कराई गई और माता की मूर्ति प्राप्त हुई। यहीं पर मंदिर का निर्माण किया गया और तब से लेकर आज तक यह आस्था का केंद्र बना हुआ है। दशहरे के दिन यहां विशेष आयोजन होता है, जिसमें आसपास के गांवों से दुर्गा झांकियां लाई जाती हैं और मां की आरती के बाद उन्हें विसर्जन के लिए भेजा जाता है।
यहां दर्शन मात्र से जीवन की कई बाधाएं दूर होने की मान्यता है। कहा जाता है कि मां काली की सीधी गर्दन के दर्शन से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। खासकर संतान सुख की प्राप्ति के लिए यह मंदिर प्रसिद्ध है। महिलाएं उल्टे हाथ से गोबर के निशान बनाकर मन्नत मांगती हैं और पूरी होने पर सीधे हाथों से निशान लगाती हैं। मंदिर में चुनरी बांधकर मन्नत मांगने और फिर खोलने की परंपरा भी है। हजारों भक्तों की आस्था के प्रतीक हाथों के निशान मंदिर की दीवारों पर देखे जा सकते हैं।
मंदिर में मुख्य रूप से 20 भुजाओं वाली तिरछी गर्दन वाली मां काली की मूर्ति स्थापित है, जिसे पांडव कालीन बताया जाता है। इसके अलावा परिसर में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियां भी विराजमान हैं। मंदिर के भीतर 10 हजार वर्गफुट का एक हॉल बना है, जिसमें कोई भी पिलर नहीं है, जो इसकी अद्भुत वास्तुकला का प्रमाण है। वर्तमान में मंदिर का विस्तार कार्य जारी है।
यहां मां काली को नारियल, फूल, चुनरी, मिश्री, लईया और बताशा आदि अर्पित किए जाते हैं।
मंदिर से सबसे निकटतम हवाई अड्डा भोपाल का राजाभोज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 34 किलोमीटर दूर स्थित है। वहां से मंदिर तक टैक्सी या बस से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
नजदीकी रेलवे स्टेशन हबीबगंज है, जो मंदिर से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर है। स्टेशन से ऑटो या कैब से मंदिर पहुंचा जा सकता है।
भोपाल देश के सभी प्रमुख सड़कों से जुड़ा है। भोपाल से रायसेन रोड पर स्थित गुदावल गांव आसानी से पहुंचा जा सकता है। निजी वाहन, सरकारी बस या टैक्सी द्वारा मंदिर तक पहुंचना आसान है।
यह मंदिर उन श्रद्धालुओं के लिए विशेष स्थान रखता है जो चमत्कारी अनुभव और मां काली की कृपा की कामना रखते हैं।
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