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Vishwakarma Stuti

क्या आप कार्यक्षेत्र में रुकावट, तकनीकी समस्याएं या असफलता से परेशान हैं? विश्वकर्मा स्तुति से पाएं देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद – जानिए इसका पाठ और विशेष लाभ।

विश्वकर्मा स्तुति के बारे में

विश्वकर्मा स्तुति भगवान विश्वकर्मा की आराधना के लिए की जाने वाली एक पवित्र स्तुति है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के प्रथम इंजीनियर, वास्तुकार और निर्माणकर्ता माना जाता है। उन्होंने ही देवताओं के अस्त्र-शस्त्र, रथ, भवन और स्वर्गलोक का निर्माण किया था।

भगवान विश्वकर्मा: सृजन और शिल्प के अधिष्ठाता

हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड के दिव्य वास्तुकार, इंजीनियर और शिल्पकार के रूप में पूजा जाता है। उन्हें सृष्टि के आदिम निर्माता के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने देवताओं के भव्य महलों, अस्त्रों और स्वर्गलोक का निर्माण किया। हर वर्ष, विशेष रूप से विश्वकर्मा पूजा के दिन, भक्तजन उनकी स्तुति कर उनसे कला, कौशल और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में रचनात्मकता और सफलता आती है।

श्री विश्वकर्मा स्तुति

ॐ नमो विश्वकर्मणे ||

जयति देव विश्वकर्मा देवाधिदेव सुधाम |

मम मानस मन में वासा करो, हे प्रभु राम ||

तू ही सृष्टि का रचयिता, तू ही सबका निर्माता |

जल, थल, नभ और पाताल में, तेरी ही है सत्ता ||

चारों वेदों का ज्ञाता, तू ही शिल्प का आधार |

देवताओं के अस्त्रों का निर्माता, तू ही है संसार ||

महान तपस्वी, महान योगी, तू ही है विज्ञान का मूल |

अद्भुत कला का सागर है तू, तू ही है हर फूल ||

सत्ययुग में स्वर्ग बनाया, त्रेता में लंका नगरी |

द्वापर में द्वारका धाम, तूने ही तो संवारी ||

तेरी कृपा से ही चलता है, जग का ये व्यापार |

हर उद्योग और हर कला में, तेरा ही है आधार ||

लोहा, लकड़ी, मिट्टी और पत्थर, सब तेरी ही माया |

तेरी प्रेरणा से ही सब कुछ, बनता है यहाँ काया ||

हम सब हैं तेरे बालक, हमें दे ज्ञान का दान |

हर कार्य में सफलता मिले, हमें दे ऐसा वरदान ||

तू ही आदि, तू ही अंत है, तू ही है सब कुछ सार |

हे प्रभु विश्वकर्मा देव, कर दे हमारा उद्धार ||

ॐ जय विश्वकर्मा देवा, जय जयति हे देवा |

सब पर कृपा बरसाओ, तुम हो जगत के सेवा ||

विश्वकर्मा स्तुति पाठ विधि

विश्वकर्मा स्तुति का पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करने से अधिकतम लाभ प्राप्त होता है:

  • शुद्धि और पवित्रता: पाठ शुरू करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन को शांत और एकाग्र रखें।
  • स्थान का चुनाव: पूजा स्थान या एक शांत और स्वच्छ जगह का चुनाव करें। यदि संभव हो तो जहाँ आप काम करते हैं या आपके औज़ार रखे हैं, वहाँ पाठ करें।
  • मूर्ति या चित्र स्थापना: भगवान विश्वकर्मा की एक मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यदि उपलब्ध न हो तो मन में उनका ध्यान कर सकते हैं।
  • दीप प्रज्वलन: एक घी का दीपक या तेल का दीपक प्रज्वलित करें। धूप और अगरबत्ती जलाएँ।
  • पुष्प और प्रसाद: भगवान को पीले या नारंगी रंग के पुष्प अर्पित करें। मिठाई, फल या कोई भी सात्विक प्रसाद चढ़ा सकते हैं।
  • संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले, अपनी मनोकामना कहते हुए संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह पाठ कर रहे हैं।
  • पाठ का समय: यह स्तुति किसी भी समय पढ़ी जा सकती है, लेकिन सुबह या शाम को, विशेष रूप से विश्वकर्मा पूजा के दिन, इसका पाठ अधिक फलदायी माना जाता है।
  • एकाग्रता: पाठ करते समय मन को पूरी तरह से भगवान विश्वकर्मा पर केंद्रित करें। स्तुति के अर्थ पर ध्यान दें।
  • क्षमा याचना: पाठ समाप्त होने के बाद, यदि कोई त्रुटि हुई हो तो भगवान से क्षमा याचना करें।
  • प्रसाद वितरण: प्रसाद को भक्तों और परिवार के सदस्यों में वितरित करें।

विश्वकर्मा स्तुति पाठ के फायदे

विश्वकर्मा स्तुति का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं:

  • ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: यह स्तुति ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाती है, जिससे कार्यक्षेत्र में नई सोच और रचनात्मकता आती है।
  • कार्यक्षेत्र में सफलता: भगवान विश्वकर्मा को शिल्प और निर्माण का देवता माना जाता है। उनकी स्तुति करने से उद्योगों, व्यवसायों और किसी भी प्रकार के रचनात्मक कार्य में सफलता मिलती है।
  • आर्थिक समृद्धि: यह पाठ धन और समृद्धि को आकर्षित करता है, जिससे व्यक्ति की आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं और बरकत आती है।
  • तकनीकी कौशल में निपुणता: इंजीनियरिंग, वास्तुकला, मशीनरी या किसी भी तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह स्तुति विशेष रूप से लाभदायक है। यह उनके कौशल को निखारने में मदद करती है।
  • नकारात्मकता का नाश: स्तुति पाठ से घर और कार्यस्थल से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है।
  • वास्तु दोष निवारण: माना जाता है कि विश्वकर्मा जी की उपासना से घर या कार्यस्थल के वास्तु दोषों का निवारण होता है।
  • मानसिक शांति और एकाग्रता: नियमित पाठ से मन को शांति मिलती है, एकाग्रता बढ़ती है और तनाव कम होता है।
  • बाधाओं से मुक्ति: कार्यक्षेत्र में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने में यह स्तुति सहायक होती है।
  • मान-सम्मान में वृद्धि: जो लोग अपने कौशल और कला से जुड़े हैं, उन्हें समाज में मान-सम्मान और पहचान मिलती है।
  • आत्मविश्वास में बढ़ोतरी: स्तुति पाठ से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित होता है।

विश्वकर्मा स्तुति का पाठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक साधना है जो व्यक्ति के जीवन में रचनात्मकता, सफलता और समृद्धि के द्वार खोलती है।

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Published by Sri Mandir·June 11, 2025

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