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Vishnu Stuti

क्या जीवन में अस्थिरता, आर्थिक संकट या मानसिक अशांति है? विष्णु स्तुति से पाएं पालनकर्ता भगवान विष्णु का आशीर्वाद – जानिए पाठ और इसके दिव्य लाभ।

विष्णु स्तुति के बारे में

‘विष्णु स्तुति’ एक भक्तिपूर्ण काव्य रचना है जिसमें भगवान विष्णु के दिव्य गुणों, अवतारों और उनके द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन होता है। इसका पाठ न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि साधक को जीवन की कठिनाइयों से उबारने में भी सहायक होता है। आइए इस लेख में इसके बारे में विस्तार से जानते हैं

विष्णु स्तुति

सनातन धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में पूजा जाता है। वे त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में से एक हैं, जिनका कार्य है संसार के संतुलन की रक्षा करना और धर्म की स्थापना के लिए समय-समय पर अवतार लेना। भगवान विष्णु करुणा, दया, ज्ञान और प्रेम का प्रतीक हैं। जब भी पृथ्वी पर पाप और अधर्म का भार बढ़ता है, तब वे विभिन्न अवतारों के माध्यम से अधर्म का विनाश करते हैं और धर्म की पुनः स्थापना करते हैं।

विष्णु स्तुति (संस्कृत व भावार्थ सहित)

यहाँ एक लोकप्रिय विष्णु स्तुति दी जा रही है, जिसे प्राचीन काल से ऋषियों और भक्तों द्वारा जपा जाता रहा है:

श्लोक 1

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं ।

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ॥

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं ।

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

भावार्थ:

जो सदा शांत हैं, शेषनाग की शय्या पर विराजमान हैं, जिनकी नाभि में कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए हैं, जो समस्त देवताओं के स्वामी हैं, समस्त सृष्टि का आधार हैं, आकाश के समान व्यापक हैं, मेघ के समान वर्ण वाले हैं, सुंदर अंगों से युक्त हैं, लक्ष्मीजी के पति हैं, कमल के समान नेत्रों वाले हैं, योगियों द्वारा ध्यान में देखे जाते हैं, मैं ऐसे विष्णु को नमस्कार करता हूँ जो संसार के भय को दूर करते हैं और सम्पूर्ण लोकों के एकमात्र स्वामी हैं।

श्लोक 2

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।

प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः ॥

भावार्थ:

जो कृष्ण रूप में वासुदेव के पुत्र हैं, जो हरि हैं, जो परमात्मा हैं, जो संकटों का नाश करते हैं, मैं उन्हें बारंबार नमस्कार करता हूँ।

श्लोक 3

नमस्ते विष्णवे तुभ्यं वासुदेवाय ते नमः ।

श्रीधराय नमस्तुभ्यं माधवाय नमो नमः ॥

भावार्थ:

हे विष्णु! आपको नमस्कार है। हे वासुदेव! आपको नमस्कार है। हे श्रीधर! आपको नमस्कार है। हे माधव! आपको बारंबार नमस्कार है।

श्लोक 4

दयानिधे जगन्नाथ भक्तानां परदेवता ।

प्रसीद पुरुषोत्तम त्राहि मां शरणागतम् ॥

भावार्थ:

हे करुणासागर, हे जगन्नाथ, भक्तों के आराध्य देवता, हे पुरुषोत्तम! मुझ पर कृपा करें। मैं आपकी शरण में आया हूँ, मेरी रक्षा करें।

विष्णु स्तुति पाठ विधि

1. शुभ समय का चयन

विष्णु स्तुति का पाठ प्रतिदिन किया जा सकता है, लेकिन गुरुवार, एकादशी, पुरुषोत्तम मास, वैष्णव एकादशी, राम नवमी, कृष्ण जन्माष्टमी जैसे पावन अवसरों पर इसका पाठ विशेष फलदायक होता है।

2. स्नान और पवित्रता

पाठ से पूर्व स्नान करना चाहिए। वस्त्र स्वच्छ और पवित्र होने चाहिए। पुरुष पीले रंग के वस्त्र पहन सकते हैं और स्त्रियाँ पीली या लाल चुनरी धारण करें तो शुभ होता है।

3. स्थान का चयन

पाठ किसी पवित्र स्थान पर करें, जैसे मंदिर, पूजा कक्ष, तुलसी के पास, या गंगाजल से शुद्ध किया हुआ स्थान। शांत वातावरण हो और मन एकाग्र हो।

4. आसन पर बैठना

कुश, ऊन या सूती आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। सीधा व स्थिर बैठें।

5. दीप व नैवेद्य

भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं, उन्हें तुलसी पत्र, पीले पुष्प, फल, और मिश्री अर्पित करें।

6. ध्यान व मंत्रजप

आँखें बंद कर भगवान विष्णु का ध्यान करें। फिर ओंकार या "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र का जप करें। उसके पश्चात स्तुति का पाठ करें।

7. पाठ की विधि

स्तुति का पाठ शुद्ध उच्चारण के साथ करें। पाठ के अंत में भगवान से क्षमा प्रार्थना और कृपा की याचना करें।

8. नित्य नियम

यदि आप चाहें तो इसका नित्य पाठ कर सकते हैं — विशेषकर सूर्योदय से पूर्व या सूर्यास्त के समय, जब वातावरण शांत और सात्विक होता है।

9. प्रसाद वितरण

पाठ के पश्चात प्रसाद ग्रहण करें और परिवार में बाँटें। तुलसीपत्र भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, अतः वह अवश्य अर्पित करें।

विष्णु स्तुति के लाभ

1. मन की शुद्धता और शांति

विष्णु स्तुति का पाठ मन को शुद्ध करता है और भीतर की अशांति को दूर करता है।

2. संकटों से रक्षा

यह स्तुति विपत्तियों से रक्षा करती है और जीवन में आने वाले कष्टों को हरती है।

3. आध्यात्मिक जागृति

विष्णु जी की स्तुति से आत्मा जागृत होती है और ईश्वर से जुड़ाव गहरा होता है।

4. धन, वैभव और सुख की प्राप्ति

श्रीहरि लक्ष्मीपति हैं। उनका स्मरण सुख, समृद्धि और सम्पन्नता देता है।

5. कुंडली के दोषों से राहत

विशेष रूप से गुरु या केतु के दोष, पित्र दोष और कुछ कालसर्प दोषों में भी विष्णु स्तुति लाभकारी होती है।

6. नींद में शांति और स्वप्न शुद्धि

रात्रि में स्तुति का पाठ करने से नींद शांतिपूर्ण होती है और भयावह स्वप्न दूर होते हैं।

7. परिवार में शांति

विष्णु स्तुति परिवार में प्रेम, सहयोग और शांति की भावना को बढ़ावा देती है।

8. एकाग्रता व अध्ययन में वृद्धि

विद्यार्थियों के लिए यह स्तुति अत्यंत लाभकारी है क्योंकि यह बुद्धि और स्मृति को पुष्ट करती है।

9. मुक्ति व मोक्ष की ओर मार्ग

यह स्तुति केवल सांसारिक लाभ ही नहीं देती, बल्कि साधक को मुक्ति और मोक्ष की ओर भी अग्रसर करती है।

10. ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद

नित्य विष्णु स्तुति करने वाले साधक पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है।

निष्कर्ष

विष्णु स्तुति केवल शब्दों की श्रृंखला नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है, एक सेतु है जो भक्त को भगवान से जोड़ता है। जो श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करता है, उसे भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। यह स्तुति जीवन की दिशा को सकारात्मक मोड़ देती है और भक्त को भौतिक तथा आध्यात्मिक दोनों ही सुखों से परिपूर्ण करती है।

यदि आप जीवन में शांति, समृद्धि और दिव्यता की खोज में हैं — तो विष्णु स्तुति को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

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Published by Sri Mandir·June 6, 2025

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