क्या आप थकान, कमजोरी या नकारात्मक ऊर्जा से परेशान हैं? सूर्य स्तुति से पाएं सूर्य देव का आशीर्वाद, जीवन में ऊर्जा और सफलता – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।
सूर्य स्तुति भगवान सूर्य को समर्पित एक पवित्र स्तुति है, जो ऊर्जा, स्वास्थ्य और तेज प्रदान करने वाली मानी जाती है। इसका नियमित पाठ शरीर को बल, मन को स्थिरता और जीवन को प्रकाशमय बनाता है। सूर्य स्तुति से नेत्र रोगों में लाभ, आत्मविश्वास में वृद्धि और सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है।
हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को जीवन का आधार, ऊर्जा का स्रोत और सत्य का प्रतीक माना गया है। उन्हें प्रत्यक्ष देवता कहा गया है, क्योंकि वे प्रत्यक्ष रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। सूर्य देव की उपासना से आत्मविश्वास, स्वास्थ्य, तेज, और मान-सम्मान प्राप्त होता है। सूर्य स्तुति का नियमित पाठ जीवन में सफलता, मानसिक स्पष्टता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
ॐ आदित्याय च सोमाय मङ्गलाय बुधाय च।
गुरु शुक्र शनिभ्यश्च राहवे केतवे नमः॥
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥
सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणम्यहम्॥
सप्तलोकप्रकाशं च तेजोराशिं समुद्भवम्।
सप्तवर्णैः समायुक्तं सूर्यं देव नमोऽस्तु ते॥
यः शत्रूणां विनाशाय रक्षणाय च सज्जनम्।
सदैव पथदर्शी च तं सूर्यं प्रणम्यहम्॥
सर्वदोषहरं देवं सर्वरोगनिवारणम्।
अर्जुनस्य सखा कृष्णे साक्षात् देवदिवाकरः॥
नमस्ते रविरूपाय नमस्ते दिव्यचक्षुषे।
नमस्ते सर्वलोकस्य जीवनं तेजसां निधे॥
(यह स्तुति सरल हिंदी में मौलिक रूप से रची गई है, ताकि हर व्यक्ति इसका पाठ कर सके और लाभ पा सके)
रथ पर सवार, रश्मियों से सज्जित,
तेजस्वी प्रभु, दिव्य प्रकाश युक्त।
हे आदित्य, जीवन के आधार,
तेरे बिना अंधकार हर द्वार।
तप्त स्वर्ण जैसा रूप तुम्हारा,
करुणा, शक्ति, और ज्ञान तुम्हारा।
सात घोड़ों की गति तेज तुम्हारी,
हर युग में तुम बने सहारे हमारी।
अंधकार मिटाने वाले देव,
प्रकाश से जग को भरने वाले हे सूर्यदेव।
प्रातः तुम्हें जो मन से ध्याता,
जीवन में सदा उन्नति पाता।
साक्षात ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र स्वरूप,
तुमसे चलती सृष्टि की रूप।
ग्रहों में तुम प्रधान कहलाए,
नवग्रहों में सर्वोच्च बतलाए।
सूर्य नमस्कार जो नित करता,
तन-मन स्वस्थ और तेज से भरता।
हे मित्र, पूषा, भास्कर महान,
कृपा करो, करो कल्याण।
ध्यान तुम्हारा जो नित लगाता,
उसका भाग्य स्वयं चमक जाता।
हे दिवाकर, जीवन के रक्षक,
करो हमारे दोषों का नाशक।
जय सूर्यदेव, तेज के धारी,
सृष्टि के आदि, शक्ति के अधिकारी।
तेरे चरणों में सिर नवाते,
भक्त तुम्हारे कृपा पाते।
सूर्य स्तुति का पाठ करने से पहले कुछ आवश्यक नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सके:
सूर्य की कृपा से बुद्धि में तेज आता है और छात्र अधिक ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।
सूर्य स्तुति एक शक्तिशाली वैदिक साधना है, जो तन, मन और आत्मा को ऊर्जा प्रदान करती है। इसका नियमित अभ्यास जीवन में स्थायित्व, शांति, स्वास्थ्य और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। यदि श्रद्धा और नियमितता के साथ इसे अपनाया जाए, तो यह साधक को आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों लाभ प्रदान करती है।
Did you like this article?
वायु स्तुति का पाठ करने से प्राण शक्ति, स्वास्थ्य और जीवन में गति व संतुलन प्राप्त होता है। यहाँ पढ़ें सम्पूर्ण वायु स्तुति हिन्दी में, लाभ और महत्व सहित।
चंद्र स्तुति का पाठ करने से मन की शांति, सौम्यता और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है। यहाँ पढ़ें सम्पूर्ण चंद्र स्तुति हिन्दी में, लाभ और महत्व सहित।
विश्वकर्मा स्तुति का पाठ करने से निर्माण कार्यों में सफलता, कौशल और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यहाँ पढ़ें सम्पूर्ण विश्वकर्मा स्तुति हिन्दी में, लाभ और महत्व सहित।