क्या आप जीवन में शांति, समृद्धि और दिव्य आशीर्वाद चाहते हैं? जगन्नाथ स्तुति से पाएं भगवान जगन्नाथ का कृपालु वरदान – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।
जगन्नाथ स्तुति एक भक्ति भरी प्रार्थना है जिसमें भगवान जगन्नाथ की महिमा का गुणगान किया जाता है। भगवान जगन्नाथ को श्रीकृष्ण का खास रूप माना जाता है और इनका मुख्य मंदिर ओडिशा के पुरी में है। भक्त इस स्तुति को श्रद्धा से पढ़ते या गाते हैं ताकि उन्हें भगवान का आशीर्वाद और कृपा मिल सके।
जगन्नाथ स्तुति एक भक्ति से भरी हुई प्रार्थना है, जो भगवान जगन्नाथ की महिमा और सौंदर्य का गुणगान करती है। यह स्तुति भगवान को प्रसन्न करने और उनके चरणों में श्रद्धा प्रकट करने का माध्यम होती है। भगवान जगन्नाथ, भगवान श्रीकृष्ण का एक विशेष रूप हैं। उन्हें उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ पूजा जाता है।
कदाचित् कालिन्दी-तट-विपिन-सङ्गीत-करवो
मुदाभीरी-नारी-वदन-कमलास्वाद-मधुपः।
रमाशम्भु-ब्रह्मामरपति-गणेशार्चित-पदो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥
भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिच्छं कटितटे
दुकूलं नेत्रान्तं नयनम् अनु बिभ्रत्स्मितमुखः।
पुनीषेणो भावान्निज-भजन-मुद्रामुपदिशन्
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥
कृपा-पारावारः सजल-जलद-श्रेणिरुचिरो
रमा-वानि-ब्रह्माद्यैररचित-पदाम्भोज-युगलः।
रथारूढः भक्तारिणि जन-संसार-नवहो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥
महाम्भोधेस्तीरे कनक-रुचिरे नील-शिखरे
वसन् प्रासादान्तः सह जनक-तनया-पत्र-नयना।
सदा श्रीमद्-व्रन्दावन-वसति-लीला-परिचयो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥
रथारूढः पाणौ पथि मिलित-भूपाल-निकरो
रथोत्साहं याति प्रचलित-पथो बध्द-कमठः।
सदा लोकोत्सारैः नयन-रसदातैक-पुरुषो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥
परं ब्रह्मापीडः कवलित-वदान्योपनि-षदो
निराकारो नित्यं निज-जन-गणानन्द-करणः।
परब्रह्म-लीलो नट-वर-वपुः प्रकटितः
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥
श्रियः कान्ता कान्तः परमहंस कुलीनो नृहरिः
विभुः स्वानन्दो भक्ति-जन-मनसाहंस च भुवः।
सदा लीलालाभैः निखिल-दृगुत्तीर्य दिव्यः
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥
इदं यः पठेन्नित्यं स्तोत्रं श्रद्धान्वितो नरः
सर्व-पापविनिर्मुक्तः विष्णुलोकं स गच्छति।
जगन्नाथस्य कृपया भवेत् तस्य न संशयः
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥
1.शुद्धि और ध्यान करें
2. 11 या 108 बार मंत्र जप करें
3. स्तुति पाठ करें
4. प्रार्थना करें
5. तिलक या आचमन
6. आरती करें
7. प्रसाद चढ़ाएं और बाँटें
भगवान जगन्नाथ की स्तुति को हर दिन या विशेष दिनों पर पढ़ने से जीवन में कई अच्छे बदलाव आते हैं। यह पाठ मन, शरीर और आत्मा तीनों को शांति देता है।
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