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Indra Stuti

क्या आप जीवन में शक्ति, समृद्धि और सुरक्षा चाहते हैं? इंद्र स्तुति से पाएं देवताओं के राजा भगवान इंद्र का आशीर्वाद – जानिए इसका पाठ और अद्भुत लाभ।

इंद्र स्तुति के बारे में

इंद्र स्तुति वेदों में वर्णित एक प्रार्थना है, जिसमें इंद्र देव की वीरता, वर्षा देने की शक्ति और राक्षसों पर विजय की प्रशंसा की जाती है। यह स्तुति उन्हें बल, समृद्धि और संरक्षण के लिए आह्वान करती है। इस लेख के माध्यम से जानते हैं इसके बारे में...

देवराज इंद्र: देवताओं के राजा और वर्षा व पराक्रम के अधिष्ठाता

हिंदू धर्मग्रंथों में देवराज इंद्र को स्वर्ग के राजा, देवताओं के अधिपति और वर्षा व वज्र के नियंत्रक के रूप में पूजा जाता है। वे शक्ति, साहस और नेतृत्व के प्रतीक हैं। हालांकि, उन्हें कभी-कभी अपने मानवीय गुणों जैसे अहंकार और ईर्ष्या के लिए भी जाना जाता है, फिर भी उनका महत्व वैदिक काल से ही सर्वोपरि रहा है। इंद्र स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति को बल, पराक्रम, विजय और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है। यह स्तुति शत्रुओं पर विजय दिलाने और मनोकामनाओं को पूर्ण करने में सहायक मानी जाती है।

श्री इंद्र स्तुति

ॐ इंद्राय नमः।

ॐ सहस्रनेत्राय विद्महे, वज्रहस्ताय धीमहि।

तन्नो इन्द्रः प्रचोदयात्॥

जय जय जय सुरेशाय, जय जयति वज्रधारिणे।

सहस्राक्षाय देवेशाय, नमो नमः इंद्राय नमः॥

त्वं हि देवाधिराजोऽसि, त्वं हि शक्तिप्रदायकः।

त्वं हि वृष्टिप्रदः देव, त्वं हि शत्रुनिवारकः॥

मेघनाद विनाशाय, त्वं हि तारक-संहारकः।

अहिं हिंसितवान् यस्त्वं, त्वं हि शुभप्रदायकः॥

ऐरावत गजवाहाय, शची रमणाय ते नमः।

पुरन्दर नमस्तुभ्यं, देहि मे विजयं सदा॥

इंद्रियाणि विबोधय त्वं, बुद्धिं मे वर्धय प्रभो।

बलं पौरुषं देहि मे, त्वं हि विश्वस्य पालकः॥

यज्ञेषु यजमानोऽसि, सोमरसं पिबसि त्वम्।

आह्वानं ते करिष्यामि, आगच्छ त्वं सुराधिपः॥

हे महेन्द्र, हे देवेंद्र, हे वज्रहस्त नमोऽस्तुते।

त्वत्कृपातो भवेत् सौख्यं, त्वं हि देवाधिदेवता॥

वज्रपाणिं महाबाहुं, सर्वशत्रुविनाशनम्।

इंद्रं वन्दे सुरेशानं, सर्वश्रेयः प्रदायकम्॥

ॐ सहस्रनेत्राय नमः।

ॐ वज्रहस्ताय नमः।

ॐ पुरन्दराय नमः।

ॐ शचीपतये नमः।

इंद्र स्तुति पाठ विधि

इंद्र स्तुति का पाठ करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने से इसके पूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं:

  • शुद्धि और पवित्रता: पाठ शुरू करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन को शांत और एकाग्रचित्त करें।
  • स्थान का चुनाव: पूजा स्थान या एक शांत और स्वच्छ जगह का चुनाव करें। यदि संभव हो तो जहाँ आप शक्ति और ऊर्जा का अनुभव करते हों, वहाँ बैठकर पाठ करें।
  • मूर्ति या चित्र स्थापना: भगवान इंद्र की एक मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यदि उपलब्ध न हो तो मन में उनका ध्यान कर सकते हैं।
  • दीप प्रज्वलन: एक घी का दीपक प्रज्वलित करें। धूप और अगरबत्ती जलाएँ।
  • पुष्प और प्रसाद: भगवान इंद्र को लाल या पीले रंग के पुष्प अर्पित करें। मीठा प्रसाद जैसे लड्डू, गुड़ या शहद चढ़ा सकते हैं।
  • संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले, अपनी मनोकामना कहते हुए संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह पाठ कर रहे हैं।
  • पाठ का समय: इंद्र स्तुति का पाठ विशेष रूप से रविवार के दिन या सूर्य उदय के समय करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है। यह स्तुति किसी भी समय पढ़ी जा सकती है, लेकिन सुबह का समय अधिक शुभ होता है।
  • एकाग्रता: पाठ करते समय मन को पूरी तरह से भगवान इंद्र पर केंद्रित करें। स्तुति के प्रत्येक शब्द और उसके अर्थ पर ध्यान दें।
  • माला का उपयोग (वैकल्पिक): यदि आप मंत्रों का जाप कर रहे हैं, तो रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं।
  • क्षमा याचना: पाठ समाप्त होने के बाद, यदि कोई त्रुटि हुई हो तो भगवान से क्षमा याचना करें।
  • प्रसाद वितरण: प्रसाद को भक्तों और परिवार के सदस्यों में वितरित करें।

इंद्र स्तुति पाठ के फायदे

इंद्र स्तुति का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को कई प्रकार के भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं:

  • शत्रुओं पर विजय: इंद्र शत्रुओं के संहारक हैं। उनकी स्तुति करने से व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं।
  • बल और पराक्रम की प्राप्ति: यह स्तुति व्यक्ति में शारीरिक और मानसिक बल, साहस और पराक्रम को बढ़ाती है, जिससे वह चुनौतियों का सामना कर पाता है।
  • नेतृत्व क्षमता का विकास: इंद्र देवताओं के राजा हैं, अतः उनकी स्तुति करने से नेतृत्व क्षमता का विकास होता है और व्यक्ति अपने क्षेत्र में प्रभावी बनता है।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि: पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित होता है।
  • वर्षा और कृषि में लाभ: इंद्र वर्षा के देवता हैं। उनकी स्तुति करने से उचित समय पर वर्षा होती है, जिससे कृषि कार्य में लाभ मिलता है। यह विशेष रूप से किसानों के लिए लाभकारी है।
  • राजकीय और प्रशासनिक कार्यों में सफलता: जो लोग राजनीति, प्रशासन या किसी भी प्रकार के सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़े हैं, उन्हें इंद्र स्तुति से विशेष लाभ मिलता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: यह स्तुति घर और व्यक्ति के आसपास से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और सकारात्मक वातावरण का निर्माण करती है।
  • मान-सम्मान में वृद्धि: इंद्र की कृपा से व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
  • मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से की गई इंद्र स्तुति से व्यक्ति की उचित मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
  • ग्रह बाधा निवारण: कुछ ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, इंद्र का संबंध कुछ ग्रहों से भी है। उनकी स्तुति से ग्रह दोषों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
  • समृद्धि और ऐश्वर्य: इंद्र को स्वर्ग के अधिपति के रूप में ऐश्वर्य और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। उनकी स्तुति से जीवन में भौतिक सुख-सुविधाएँ बढ़ती हैं।

इंद्र स्तुति का पाठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक शक्तिशाली साधना है जो व्यक्ति के जीवन में शक्ति, सफलता और विजय के द्वार खोलती है।

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Published by Sri Mandir·June 17, 2025

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