image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

Dattatreya Stuti

क्या आप अपने जीवन में दिव्य ज्ञान, शांति और सफलता चाहते हैं? दत्तात्रेय स्तुति से पाएं भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।

दत्तात्रेय स्तुति के बारे में

दत्तात्रेय स्तुति भगवान दत्तात्रेय की महिमा का गुणगान करने वाली एक दिव्य प्रार्थना है। इसका पाठ साधक को ज्ञान, वैराग्य और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है। यह स्तुति विशेष रूप से गुरुवार के दिन की जाती है।

भगवान दत्तात्रेय: त्रिमूर्ति स्वरूप और गुरु परंपरा के आदिगुरु

भगवान दत्तात्रेय को हिंदू धर्म में एक अद्वितीय और परम पूजनीय देवता माना जाता है। वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश - इन तीनों देवों के संयुक्त अवतार हैं, जो अत्रि ऋषि और देवी अनुसूया के पुत्र के रूप में प्रकट हुए। उन्हें गुरु परंपरा का आदिगुरु और परम ज्ञानी माना जाता है। दत्तात्रेय स्तुति का पाठ करने से साधक को ज्ञान, वैराग्य, आध्यात्मिक शक्ति और समस्त सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। यह स्तुति भक्तों को जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करती है।

श्री दत्तात्रेय स्तुति

जटाधरं पाण्डुरङ्गं शूलहस्तं कृपानिधिम्।

सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयं नमामिहम्॥

ॐ दिगम्बराय विद्महे, अवधूताय धीमहि।

तन्नो दत्तः प्रचोदयात्॥

जय योगेश्वर दत्ता, तेरा ही गुणगान।

त्रिदेवा का अवतार, तेरी लीला महान॥

अनुसूया सुत प्यारे, अत्रि के घर जन्मे।

वेद ज्ञान के दाता, ब्रह्मज्ञानी मन में॥

शूल, डमरू और कमंडल, तेरे हाथ बिराजे।

सब दुखों को हरने वाले, भक्तजनों के काजे॥

गाऊँ तेरी महिमा, हे प्रभु दिगम्बर।

तेरी कृपा से होवे, जीवन मेरा सुखकर॥

योग सिद्धि के दाता, तू ही है अवधूत।

तेरी शरण में आए, हर एक है मजबूत॥

अष्ट सिद्धियों के स्वामी, तू ही है नौ निधियाँ।

तेरी दया से मिलती, हर बाधा से निधियाँ॥

भूत-प्रेत पिशाच डरे, जब नाम तेरा उच्चारण।

सब विपदाएँ दूर हों, हो जाए सब निवारण॥

शिष्य तेरे चालीस, तूने ज्ञान का दीप जलाया।

जीवन के हर पथ पर, तूने ही राह दिखाया॥

सद्गुरु तू ही मेरा, तू ही मेरा आधार।

अज्ञान तिमिर हरण कर, दे ज्ञान का भंडार॥

जय जय जय श्री गुरुदेव, जय जय दत्तात्रेय।

दीन जनों का तारनहारा, तू ही है सर्वश्रेय॥

दत्तात्रेय स्तुति पाठ विधि

दत्तात्रेय स्तुति का पाठ करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने से इसके पूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं:

  • शुद्धि और पवित्रता: पाठ शुरू करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन को शांत और एकाग्रचित्त करें।
  • स्थान का चुनाव: पूजा स्थान या एक शांत और स्वच्छ जगह का चुनाव करें। यदि संभव हो तो जहाँ आप आध्यात्मिक शांति मिलती हो, वहाँ बैठकर पाठ करें।
  • मूर्ति या चित्र स्थापना: भगवान दत्तात्रेय की एक मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यदि उपलब्ध न हो तो मन में उनका ध्यान कर सकते हैं।
  • दीप प्रज्वलन: एक घी का दीपक प्रज्वलित करें। धूप और अगरबत्ती जलाएँ।
  • पुष्प और प्रसाद: भगवान दत्तात्रेय को पीले या सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें। फल, मिठाई या कोई भी सात्विक प्रसाद चढ़ा सकते हैं।
  • संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले, अपनी मनोकामना कहते हुए संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह पाठ कर रहे हैं।
  • पाठ का समय: दत्तात्रेय स्तुति का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन गुरुवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या शाम को सूर्यास्त के समय पाठ करना अधिक फलदायी होता है।
  • एकाग्रता: पाठ करते समय मन को पूरी तरह से भगवान दत्तात्रेय पर केंद्रित करें। स्तुति के प्रत्येक शब्द और उसके अर्थ पर ध्यान दें।
  • माला का उपयोग (वैकल्पिक): यदि आप मंत्रों का जाप कर रहे हैं, तो रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं।
  • क्षमा याचना: पाठ समाप्त होने के बाद, यदि कोई त्रुटि हुई हो तो भगवान से क्षमा याचना करें।
  • प्रसाद वितरण: प्रसाद को भक्तों और परिवार के सदस्यों में वितरित करें।

दत्तात्रेय स्तुति पाठ के फायदे

दत्तात्रेय स्तुति का नियमित पाठ करने से साधक को कई प्रकार के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और लौकिक लाभ प्राप्त होते हैं:

  • ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति: भगवान दत्तात्रेय को परम ज्ञानी माना जाता है। उनकी स्तुति करने से ज्ञान और बुद्धि का विकास होता है, जिससे व्यक्ति सही निर्णय ले पाता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तुति आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए अत्यंत लाभदायक है। यह ध्यान, योग और आत्मज्ञान की दिशा में प्रगति में मदद करती है।
  • गुरु कृपा की प्राप्ति: दत्तात्रेय को आदिगुरु माना जाता है। इस स्तुति के पाठ से व्यक्ति को सही गुरु का मार्गदर्शन मिलता है और गुरु कृपा प्राप्त होती है।
  • नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति: यह स्तुति नकारात्मक ऊर्जाओं, भूत-प्रेत बाधाओं और टोने-टोटके के प्रभावों से रक्षा करती है।
  • रोगों से मुक्ति: दत्तात्रेय स्तुति के पाठ से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
  • शत्रु बाधा निवारण: यह पाठ शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने और उनसे होने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक है।
  • धन और समृद्धि: भगवान दत्तात्रेय की कृपा से आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  • संतोष और वैराग्य: यह स्तुति व्यक्ति के मन में संतोष और वैराग्य की भावना को जगाती है, जिससे सांसारिक मोह-माया कम होती है।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि: पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और वह जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है।
  • समस्त सिद्धियों की प्राप्ति: योग और तंत्र मार्ग में यह माना जाता है कि दत्तात्रेय स्तुति का नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ करने से अष्ट सिद्धियाँ और नौ निधियाँ प्राप्त हो सकती हैं।
  • पारिवारिक सुख-शांति: इस स्तुति का पाठ घर में सुख-शांति और सौहार्द का वातावरण बनाता है।

दत्तात्रेय स्तुति का पाठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक शक्तिशाली आध्यात्मिक अभ्यास है जो व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित कर सकता है और उसे पूर्णता की ओर ले जा सकता है।

divider
Published by Sri Mandir·June 13, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Address:
Firstprinciple AppsForBharat Private Limited 435, 1st Floor 17th Cross, 19th Main Rd, above Axis Bank, Sector 4, HSR Layout, Bengaluru, Karnataka 560102
Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.