क्या आप माँ भवानी की कृपा, शक्ति और संरक्षण चाहते हैं? भवानी अष्टकम स्तुति से पाएं माँ भवानी का आशीर्वाद – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।
भवानी अष्टकम मां भवानी को समर्पित स्तुति है। इसका नियमित पाठ करने से मां भवानी प्रसन्न होती हैं और साधकों की प्रत्येक समस्या का समाधान करती हैं। यह शक्ति, समृद्धि और मानसिक शांति प्रदान करता है। यदि आप इस स्तुति के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं जैसे पाठ विधि, इसके फायदे आदि तो हमारे इस आर्टिकल को पढ़ें और इसके बारे में जानिए संपूर्ण जानकारी।
भवानी अष्टकम एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है। जानकारी के अनुसार, इसे आदिशंकराचार्य ने मां जगदंबा की स्तुति में रचा था। इसमें आठ श्लोक हैं, जिनमें मां भवानी के विभिन्न रूपों का सुंदर और विस्तृत वर्णन मिलता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-संपन्नता आती है। यह कष्टों का नाश करता है। साथ ही विशेष दिनों पर इसका पाठ अत्यंत फलदायी होता है और मां दुर्गा की कृपा से साधक को धन, वैभव और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
न तातो न माता न बन्धुर्न दाता
न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता ।
न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥
भवाब्धावपारे महादुःखभीरु
पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः ।
कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥
न जानामि दानं न च ध्यानयोगं
जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम् ।
न जानामि पूजां न च न्यासयोगं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥
न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थ
न जानामि मुक्ति लयं वा कदाचित् ।
न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्ग
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥
कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धिः कुदासः
कुलाचारहीनः कदाचारलीनः ।
कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥
प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं
दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित् ।
न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥
विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे
जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये ।
अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥
अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो
महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः ।
विपत्तौ प्रविष्टः प्रनष्टः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥
॥ इति भवानी अष्टकम् सम्पूर्णम् ॥
भवानी अष्टकम का पाठ विधिपूर्वक करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है। नियम और श्रद्धा के साथ पाठ करने से साधक पर मां भवानी की विशेष कृपा बरसती है। वहीं, शुक्रवार या नवरात्रि जैसे विशेष दिनों में पाठ करना अधिक फलदायी माना जाता है। सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इसके बाद स्वच्छ मन से मां भगवती का ध्यान करें और स्नान करके पीला या लाल साफ कपड़े पहनें। फिर पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां के चित्र या मूर्ति को विराजें।
अब मां का पंचामृत या गंगाजल से अभिषेक करें यह कार्य करने के बाद मां को लाल फूल, कुमकुम, अक्षत, चंदन, फल और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद मां के सामने दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं। फिर ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे जैसे किसी बीज मंत्र का जाप करें और भवानी अष्टकम का सच्चे और श्रद्धाभाव मन से पाठ करें। पाठ करते समय आसपास शांति रहे इसका ध्यान रखें और मन में किसी तरह के कोई भी नकारात्मक विचार न आने दें। पाठ करने के बाद मां की आरती, भजन करें और भोग अर्पित करें।
अंत में मां भवानी से कृपा, खुशहाली,शांति, समृद्धि और आशीर्वाद की प्रार्थना करें। ध्यान रखें किसी विशेष मुहूर्त पर पूजन करने के लिए जानकारी पंडित और विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें और फिर पूजा को विधिपूर्वक करें ताकि पूजा सही समय पर हो और अधिक प्रभावशाली सिद्ध हो।
भवानी अष्टकम स्तुति का नियमित पाठ करने से कई तरह के फायदे हो सकते हैं।
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