सावन 2025 कब से शुरू होगा? हर राज्य में अलग तारीख! जानिए आपके शहर में कब पड़ेगा पहला सावन सोमवार और कब खत्म होगा यह पवित्र महीना।
भारत में सावन माह की तिथि क्षेत्र अनुसार भिन्न होती है। उत्तर भारत में यह श्रावण पूर्णिमा तक चलता है, जबकि दक्षिण भारत में अमावस्या तक। कुछ राज्यों में सावन 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक रहेगा। पंचांग के अनुसार ये तिथियाँ तय होती हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में...
श्रावण मास भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। मान्यता है कि इसी समय उन्होंने समुद्र मंथन से निकले विष को अपने कंठ में धारण कर सृष्टि की रक्षा की थी। इसलिए इस पवित्र मास में शिव पूजा, विशेषकर श्रावण सोमवार व्रत का विशेष महत्व होता है। श्रावण सोमवार को व्रत रखकर शिवलिंग पर जल, बेलपत्र आदि अर्पित करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है, और विवाह, संतान, स्वास्थ्य व जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं। लेकिन हर वर्ष एक बड़ा भ्रम ये होता है कि श्रावण मास किस तारीख से प्रारंभ हो रहा है, क्योंकि हर राज्य में इसकी तिथि अलग होती है। इस लेख में जानिए कि वर्ष 2025 में श्रावण कब से प्रारंभ हो रहा है, राज्य अनुसार कौन-सी तिथि मान्य है, और अलग अलग राज्यों में क्यों ये तिथियाँ अलग-अलग होती हैं।
भारत के अलग-अलग राज्यों में श्रावण मास की तिथियाँ अलग-अलग पंचांगों के आधार पर मानी जाती हैं। यह अंतर पंचांग की गणना प्रणाली के अनुसार होता है।
उत्तर भारत के राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश आदि पूर्णिमांत पंचांग का पालन करते हैं। इस पंचांग में प्रत्येक माह की गणना पूर्णिमा (पूर्ण चंद्रमा) के दिन या उसके बाद से की जाती है। इसलिए उत्तर भारत में श्रावण 2025 में 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त को समाप्त होगा।
दक्षिण भारत के राज्य जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना आदि अमान्त पंचांग का पालन करते हैं। इसमें माह की गणना अमावस्या (नया चाँद) के बाद की जाती है। इस कारण यहां श्रावण 25 जुलाई से शुरू होकर 23 अगस्त को समाप्त होगा।
नेपाल व हिमालयी क्षेत्र के कुछ भाग सौर पंचांग को आधार मानते हैं। इसमें श्रावण का महीना सूर्य की स्थिति पर आधारित होता है, जिससे इसकी तारीखें अलग होती हैं। यहां श्रावण 16 जुलाई से शुरू होकर 16 अगस्त 2025 तक चलेगा।
नेपाल, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में सौर पंचांग मान्य है। इसमें महीनों की गणना सूर्य की गति और राशि परिवर्तन पर आधारित होती है, जबकि अन्य पंचांग चंद्रमा की गति पर आधारित होते हैं। इसी कारण इन क्षेत्रों में श्रावण की तिथियाँ अलग होती हैं।
उत्तर भारत के राज्यों में पूर्णिमांत पंचांग का पालन किया जाता है, जिसमें श्रावण 2025 में 11 जुलाई को शुरू होकर 9 अगस्त को समाप्त होगा। इन राज्यों में श्रद्धालु इसी अवधि में व्रत, पूजन और कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक कार्य करते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड जैसे राज्य इस गणना को मानते हैं।
श्रावण सोमवार व्रत की तिथियाँ इस प्रकार होंगी:
दक्षिण भारत और महाराष्ट्र-गुजरात जैसे पश्चिमी राज्यों में अमान्त पंचांग का पालन किया जाता है। यहां श्रावण मास 25 जुलाई 2025 को प्रारंभ होकर 23 अगस्त 2025 को समाप्त होगा।
श्रावण सोमवार व्रत की तिथियाँ इस प्रकार होंगी:
महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में इस पंचांग का विशेष रूप से पालन होता है।
नेपाल और हिमालयी राज्यों के कुछ क्षेत्रों में सौर पंचांग का पालन होता है। यहां महीनों की गणना सूर्य की राशि में गति के अनुसार होती है और उसी के अनुसार श्रावण की तिथियाँ निर्धारित होती हैं। 2025 में इस क्षेत्र में श्रावण 16 जुलाई से 16 अगस्त तक चलेगा।
श्रावण सोमवार व्रत की तिथियाँ इस प्रकार होंगी:
नेपाल में श्रावण मास में विशेष परंपराएँ और धार्मिक आयोजन होते हैं, जिनमें महिलाएं व्रत रखती हैं और शिव मंदिरों में विशेष पूजन करती हैं।
श्रावण मास विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। पौराणिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला, और सम्पूर्ण संसार संकट में आ गया, तो भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। यह घटना श्रावण मास में हुई थी, इसलिए इस महीने को शिव आराधना का श्रेष्ठ काल माना जाता है। श्रद्धालु इस महीने में सोमवार व्रत रखते हैं, रुद्राभिषेक करते हैं, महामृत्युंजय मंत्र, रुद्राष्टक और शिव चालीसा का पाठ करते हैं। विशेष रूप से स्त्रियों व कुंवारी कन्याओ के लिए इस मास में की गई शिव पूजा मनोवांछित वर, सौभाग्य और पारिवारिक सुख प्रदान करने वाला माना जाता है
तो ये थी अलग-अलग राज्यों में श्रावण मास प्रारंभ होने की अलग-अलग तिथियां के बारे में जानकारी। आप अपनी राज्य के अनुसार बताई गई तिथि पर श्रावण मास के धार्मिक अनुष्ठान करें। हमारी कामना है कि इस पवित्र मास में आपके द्वारा की गई व्रत-उपासना सफल हो, और भगवान शिव सदा अपनी कृपा बनाए रखें। व्रत-त्यौहारों से जुड़ी धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।
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