सावन आरती पढ़ें और भगवान शिव की कृपा पाएं
भोलेनाथ का मन भावन महीना सावन जितना भोले शंकर को प्रिय है उतना ही भोले के भक्तों को भी। इसी के साथ सावन के महीने में महादेव को एक और कार्य अति प्रिय है और वो है सावन आरती। जी हां, क्या आप जानते हैं इस खास आरती के बारे में। अगर नहीं तो अब जानिए इस लेख में भोलेनाथ की प्रिय सावन आरती से जुड़ी हर खास बात।
सावन मन भावन- देवो के देव महादेव को सावन का महीना बहुत प्रिय है और इसी सावन में की जाती है सावन आरती। दरअसल, सावन आरती महादेव को समर्पित बहुत ही प्रसिद्ध और श्रद्धा-भाव से गाई जाने वाली आरती है। जिसे ॐ जय शिव ओंकारा औऱ शिव आरती के नाम से भी जाना जाता है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए यह आरती विशेष रूप से सावन के महीने में गाई जाती है।
सावन आरती में भोेले शंकर के ओंकार स्वरूप की स्तुति की जाती है, जो उनकी दिव्यता, सर्वशक्तिमत्ता और अनंत स्वरूप का प्रतीक है। इस आरती के माध्यम से भक्तगण महादेव के भूतभावन, नीलकंठ, त्र्यम्बकेश्वर और अन्य दिव्य रूपों की वंदना करते हैं। इससे भोलेबाबा भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त करने का आशीष देते हैं।
सावन आरती का विशेष महत्व है। खासकर जब यह भगवान शिव के भक्तों द्वारा सावन के पावन महीने में गाई या सुनी और सुनाई जाती है। यह आरती भगवान शिव के प्रति भक्ति, प्रेम और समर्पण का भाव प्रकट करने का एक सरल और प्रभावशाली माध्यम है। जब कोई भक्त श्रद्धा से सावन आरती करता है, तो भोलेनाथ भक्तों की इस भक्ति से बहुत प्रसन्न होते हैं और उन्हें मनोकामना पूर्ण होमने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। वहीं, सावन आरती से मन को शांति और नकारात्मक विचारों से मुक्ति भी मिलती है। इसके अलावा, जानकारी अनुसार, जब परिवार एक साथ सावन आरती करता है तो संपूर्ण घर और उनका जीवन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है और आपसी प्रेम तथा एकता को बढ़ावा मिलता है। इसलिए सावन में भगवान शिव की आरती का विशेष महत्व होता है, जोकि अत्यंत लाभकारी होती है।
भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए यह सावन आरती सावन के महीने में विशेष रूप से गाई जाती है।
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे।
श्वेतांबर पीतांबर, बाघंबर अंगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री, पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की, आरती जो कोइ गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपत्ति पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
सावन आरती का समय और तरीका बहुत खास होता है। क्योंकि यह भगवान शिव के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम है। सावन के पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा करना शुभ माना जाता है और इस दौरान आरती का विशेष महत्व होता है। सावन आरती रोजाना कर सकते हैं, लेकिन सोमवार को विशेष तौर पर सावन आऱती करनी चाहिए। वहीं, साव आरती सुबह औऱ शाम दोनों समय की जा सकती है। अपने समय अनुसार सावन की आरती को सच्चे मन से कर सकते हैं।
वहीं, सावन की आरती करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे आरती की शुरुआत करने से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें। फिर शिवलिंग का पूजन करें और पूजा सामग्री अप्रित करें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए शिव चालीसा या मंत्रों का पाठ करें और अंत में श्रद्धापूर्वक शिवजी की आरती करें। आरती के बाद प्रसाद चढ़ाएं। इस विधि से सावन में आरती करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति व मनोकामना की पूर्ति होती है।
सावन महीने में भगवान शिव की आरती करने से जीवन में अनेक शुभ फल प्राप्त होते हैं। तो आइए जानते हैं सावन आरती से मिलने वाले प्रमुख लाभ के बारे में।
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