भद्रा में राखी बांधना अशुभ होता है! रक्षाबंधन 2025 में भद्राकाल की सही जानकारी पाएं और त्योहार को बनाएं सफल और मंगलमय।
रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल का विशेष महत्व होता है। भद्रा को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस अवधि में राखी बांधना वर्जित होता है। शुभ मुहूर्त में ही रक्षासूत्र बांधना फलदायी और सौभाग्यवर्धक माना गया है।
सनातन धर्म में जब भी कोई शुभ कार्य किया जाता है, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण या रक्षाबंधन जैसा पावन पर्व, तो सबसे पहले मुहूर्त देखा जाता है। लेकिन केवल शुभ मुहूर्त ही काफी नहीं होता, इसके साथ एक और बहुत ही महत्वपूर्ण बात का ध्यान रखा जाता है, जो है ‘भद्रा काल’।
भद्रा काल को वैदिक ज्योतिष में अशुभ समय माना गया है। पंचांग के अनुसार, जब विष्टि करण सक्रिय होता है, तब भद्राकाल माना जाता है। यह काल ऐसा होता है जिसमें कोई भी शुभ काम करना वर्जित होता है, क्योंकि माना जाता है कि इस दौरान किए गए कार्यों में बाधा आ सकती है, या वे सफल नहीं हो पाते।
शास्त्रों के अनुसार, भद्रा माता सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की पुत्री तथा शनिदेव की बहन हैं। उनका जन्म देवताओं के तेज से हुआ था, लेकिन उनका रूप बहुत ही उग्र और विकराल था। जैसे ही भद्रा माता का जन्म हुआ, उन्होंने पूरी सृष्टि को निगल जाने का संकल्प लिया। यह सुनकर सारे देवता भयभीत हो गए और भगवान ब्रह्मा जी से प्रार्थना करने पहुँचे।
ब्रह्मा जी ने भद्रा माता को स्नेहपूर्वक समझाया और उन्हें शांत करने के लिए पंचांग में एक विशेष स्थान दिया। उन्होंने भद्रा माता को ‘विष्टि करण’ का रूप देकर कहा कि आप एक विशेष समय में सक्रिय रहेंगी, और वह समय 'भद्राकाल' कहलाएगा। इस समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाएगा, जिससे आपकी शक्ति को सम्मान भी मिलेगा और सृष्टि का संतुलन भी बना रहेगा। तभी से भद्राकाल को अशुभ माना जाता है और इस समय कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है।
रक्षाबंधन का पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। साल 2025 में रक्षाबंधन शनिवार, 9 अगस्त को पड़ रहा है। अब बात करें भद्रा काल की, तो इस बार भद्रा का समय 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 9 अगस्त की सुबह 1 बजकर 52 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।
इसका मतलब ये हुआ कि रक्षाबंधन के दिन, यानी 9 अगस्त को सूर्योदय से पहले ही भद्रा समाप्त हो जाएगी। ये भाई-बहन दोनों के लिए एक राहत भरी बात है क्योंकि इस बार पूरे दिन राखी बांधने के लिए शुभ समय उपलब्ध रहेगा।
रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के लिए सुबह 5:29 बजे से लेकर दोपहर 1:24 बजे तक का समय बहुत ही शुभ माना गया है। इस बार शुभ मुहूर्त 7 घंटे 55 मिनट तक रहेगा।
रक्षाबंधन पर राखी बांधने का सबसे शुभ समय 'अपराह्न मुहूर्त' माना जाता है। इस बार यह मुहूर्त दोपहर 1:22 बजे से 1:24 बजे तक रहेगा। भले ही यह केवल 2 मिनट का है, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से यह समय अत्यंत पुण्यदायी और विशेष फलदायक माना गया है।
साथ ही एक और शुभ संकेत यह है कि 9 अगस्त को पूर्णिमा तिथि दोपहर 1:24 बजे तक बनी रहेगी। यानी इस दिन निश्चिंत होकर सुबह से दोपहर तक राखी बांधी जा सकती है।
रक्षाबंधन पर कभी-कभी ऐसा होता है कि बहनों द्वारा भेजी गई राखी समय पर नहीं पहुंचती, या किसी कारणवश बहन-भाई एक साथ नहीं मिल पाते। ऐसे में रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त निकल जाता है और बहन राखी नहीं बांध पाती। लेकिन अगर ऐसा हो जाए तो निराश होने की जरूरत नहीं है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, रक्षाबंधन के बाद भी तीन विशेष तिथियाँ ऐसी होती हैं जो राखी बांधने के लिए शुभ मानी जाती हैं।
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता पार्वती की विशेष पूजा का भी विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भी बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं, और इसका भी उतना ही शुभ फल प्राप्त होता है।
कजरी तीज के अगले दिन, यानी चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। यह वर्ष की चार प्रमुख चतुर्थियों में से एक मानी जाती है। बहुला चतुर्थी के दिन गणेश जी को भी राखी अर्पित करने का विधान हैं। इस दिन भाई को राखी बांधना भी शुभ और स्वीकार्य माना जाता है।
भाद्रपद मास की कृष्ण अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण को राखी अर्पित करने की भी परंपरा है। इसलिए, यदि राखी बंधवाने का अवसर रक्षाबंधन के दिन नहीं मिल पाया हो, तो जन्माष्टमी का दिन भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
ये थी रक्षाबंधन के दिन भद्रा व राखी बांधने के शुभ मुहूर्त के बारे में। आप इस लेख में बताए गए मुहूर्त के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व मनाएं। हमारी कामना है कि सभी भाई बहनों के रिश्ते में स्नेह बना रहे।
रक्षाबंधन 2025 के लिए आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं!
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