रक्षा बंधन 2025 में कब बांधें राखी? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, इस दिन की खास परंपराएं और वो बातें जो आपको जरूर करनी और नहीं करनी चाहिए।
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व है, जिसमें बहनें भाई की कलाई पर राखी बाँधती हैं और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई जीवनभर उसकी रक्षा का वचन देता है। यह पर्व स्नेह और सुरक्षा का प्रतीक है।
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रक्षाबंधन का का पर्व हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनके लंबे व सुखी जीवन की कामना करती हैं, और भाई जीवन भर अपनी बहनों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं।
रक्षाबंधन- 09 अगस्त 2025, शनिवार (श्रावण, शुक्ल पक्ष पूर्णिमा) को मनाई जाएगी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब भद्रा का मुख, कंठ और हृदय धरती पर होता है, तब कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन भद्रा की पूंछ कार्यों की पूर्ति के लिए ठीक माना गया है। हालांकि सभी हिन्दु ग्रन्थ और पुराण भद्रा समाप्त होने के पश्चात ही राखी बांधने की सलाह देते हैं, इसलिए भद्रा के दौरान रक्षाबंधन न मनाएं।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:22 ए एम से 05:04 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:43 ए एम से 05:47 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 12:00 पी एम से 12:53 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:40 पी एम से 03:33 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 07:06 पी एम से 07:27 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 07:06 पी एम से 08:10 पी एम तक |
अमृत काल | 03:42 ए एम, अगस्त 10 से 05:16 ए एम, अगस्त 10 तक |
निशिता मुहूर्त | 12:05 ए एम, अगस्त 10 से 12:48 ए एम, अगस्त 10 तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 05:47 ए एम से 02:23 पी एम तक |
रक्षाबंधन एक पावन हिन्दू पर्व है, जिसे भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र (राखी) बांधती है और उसकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और रक्षा की प्रार्थना करती है। बदले में भाई उसे जीवनभर उसकी रक्षा करने का वचन देता है और उपहार देकर प्रेम प्रकट करता है।
'रक्षाबंधन' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है — ‘रक्षा’ यानी सुरक्षा और ‘बंधन’ यानी बंधन या डोर। यह डोर सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और पवित्रता का प्रतीक है।
रक्षाबंधन का मूल उद्देश्य है – भाई-बहन के अटूट रिश्ते को मान्यता देना। साथ ही यह पर्व हमें पारिवारिक जिम्मेदारियों, आदर्शों और परस्पर प्रेम की याद दिलाता है। धार्मिक दृष्टि से भी यह दिन अत्यंत शुभ होता है।
रक्षा बंधन के दिन, बहनें अपने भाइयों को राखी बांधने से पहले, कई तैयारियां भी की जाती हैं, जिनमें से पूजा की थाली तैयार करना एक महत्वपूर्ण कार्य होता है। क्या आप जानते हैं, कि इस आरती की थाली में किन-किन चीज़ों को अवश्य शामिल किया जाना चाहिए? अगर नहीं, तो आइए आज हम आपका परिचय इन महत्वपूर्ण बातों से करवाते हैं।
कहा जाता है, कि बहनें अगर सही तरह से आरती की थाली सुसज्जित कर अपने भाइयों को राखी बांधे, तो उनकी आयु में वृद्धि और जीवन में खुशहाली की बौछार होती है। तभी तो इस आरती की थाली को, सटीक तरीके से तैयार करना बहुत अहम होता है। सबसे पहले तो एक नई थाली को गंगाजल से पवित्र किया जाना चाहिए। फ़िर उसके बाद, उनमें निम्नलिखित चीज़ें रखी जानी चाहिए-
आरती की थाली में रखी जाने वाली सबसे अहम चीज़ होती है, राखी। तो आप अपनी आरती की थाली में, अपने प्रिय भाई के लिए ली गई राखी रखना बिल्कुल ना भूलें।
राखी के बाद आती है, रोली और चंदन की बारी। हिंदू धर्म में चंदन को अत्यंत पवित्र माना जाता है, तभी तो हर शुभ कार्य में इसका इस्तेमाल होता है। आप भी अपने भाई की आरती के लिए सजाई गई थाली में, चंदन और रोली को अवश्य शामिल करें। कहते हैं, कि ललाट पर चंदन लगाने से मनुष्य का मस्तिष्क शांत होता है और शांत मस्तिष्क, हमेशा सटीक पथ पर चलने में सहायता करता है। तभी राखी के दिन, भाइयों के माथे पर रोली और चंदन का टीका किए जाने का भी विशेष महत्व है।
किसी भी शुभ कार्य में, चावल के दानों को अक्षत के रूप में प्रयोग किया जाता है, यह तो हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आपको पता है, कि आखिर चावल के दानों को अक्षत क्यों कहा जाता है और पूजा की थाली में इसका क्या महत्व है? दरअसल, अक्षत शब्द का सरल अर्थ होता है, ‘जिसकी कोई क्षति ना हुई हो या फिर जो खंडित यानी टूटा हुआ ना हो।’ तभी तो पूजा में प्रयोग होने वाले साबुत चावल के दानों को, अक्षत कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, अक्षत जीवन से नकारात्मक ऊर्जा हटाने में सहायता करता है। तभी तो बहनें, अपने भाई के जीवन से हर नकारात्मक ऊर्जा हटाते हुए, उनके माथे पर अक्षत लगाती हैं।
रक्षा बंधन के लिए तैयार की गई आरती की थाली में, दही रखने की भी मान्यता है। दही का टीका करना भी काफ़ी शुभ माना जाता है, इसलिए आप भी अपनी आरती की थाली में दही अवश्य रखें।
आरती व पूजा की थाली, किसी ज्योत के बिना बिल्कुल अधूरी होती है। तभी तो बहनें दीपक या कपूर जलाकर, अपने भाइयों की आरती करती हैं। कहा जाता है, कि दीपक या कपूर के उस अलाव से बुरी नज़र उतर जाती है। साथ ही, दीपक की शिखा पूरे वातावरण को प्रकाशित कर देती है। तभी तो हिंदू धर्म के हर शुभ अवसर पर, दीपक जलाने को बहुत शुभ माना जाता है।
रक्षा बंधन का शुभ दिन हो और बहनें अपने भाइयों का मुंह मीठा ना करवाएं, ऐसा भला कैसे संभव हो सकता है। तभी बहनें अपनी आरती की थाली में मिठाई अवश्य रखती हैं। राखी बांधने के बाद, बहन-भाई एक दूसरे का मुंह मीठा करवाते हैं, जिनसे उनके रिश्ते की मिठास भी बनी रहे।
अपने भाई की आरती उतारने के लिए घी का दीपक अवश्य रख लें और राखी बांधते समय उसे प्रज्वलित करें और अपने भाई की प्रेमपूर्वक आरती उतारें।
रक्षाबंधन एक बेहद खास त्यौहार है क्योंकि यह पूरे देश को खुशियों और उमंग के सूत्र से बांध देता है। इस पर्व की तरह इसे मनाने का तरीका भी काफी खास है। आज हम इस लेख में इसे मनाने के तरीके के बारे में बात करेंगे और आपको बताएंगे कि आप किस प्रकार इस दिन को और भी शुभ बना सकते हैं। साथ ही हम आपको राखी बांधते वक्त बोले जाने वाले विशेष मंत्र के बारे में भी बताएंगे, इसलिए आप लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक अवश्य देखें।
राखी की थाली सजाना भी इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है, तो अब हम जानेंगे कि इस थाली में किन-किन चीज़ों को रखना जरूरी है:
अब हम आपको राखी बांधने की विधि बताएंगे:
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
तो यह थी रक्षाबंधन पर्व से संबंधित संपूर्ण जानकारी, रक्षाबंधन से संबंधित ऐसी ही आवश्यक जानकारी के लिए श्री मंदिर पर जाएं।
रक्षाबंधन केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से समृद्ध पर्व है। इसे मनाने से अनेक लाभ मिलते हैं:
रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ाता है। यह दिन एक-दूसरे के प्रति अपनत्व और सहयोग को नई ऊर्जा देता है।
यह पर्व नई पीढ़ी को पारिवारिक मूल्यों, परंपराओं और कर्तव्यों की भावना से जोड़ता है।
रक्षासूत्र को शुभ मुहूर्त में बांधने से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। इसे पहनने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से भी सुरक्षित और ऊर्जावान अनुभव करता है।
शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन के दिन बहन द्वारा भाई को राखी बांधना और भाई द्वारा वचन देना — दोनों ही कर्म पुण्यदायक माने जाते हैं।
यह पर्व सामाजिक रूप से भी भाईचारे और एकता का संदेश देता है। आजकल कई लोग इस दिन "रक्षा सूत्र" प्रकृति, सैनिकों या गुरु को भी बांधते हैं, जो इसकी व्यापकता को दर्शाता है।
प्रातः स्नान करके पूजा की तैयारी करें: इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराम या गणेश जी की पूजा करें।
शुभ मुहूर्त में राखी बांधें: रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें। भद्रा काल में राखी बांधना वर्जित माना गया है।
राखी बांधने से पहले आरती करें: बहन भाई की आरती उतारे, तिलक लगाए, मिठाई खिलाए और फिर राखी बांधे।
उपहार दें और रक्षा का वचन लें: भाई अपनी बहन को उपहार देकर उसकी रक्षा का संकल्प ले। यह दिन बहनों के स्नेह और भाइयों की जिम्मेदारी का प्रतीक है।
घर के बुजुर्गों से आशीर्वाद लें: रक्षाबंधन पर परिवार एक साथ इकट्ठा होकर पूजा करता है। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना अत्यंत शुभ माना गया है।
भद्रा काल में राखी न बांधें: भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य जैसे राखी बांधना या यात्रा शुरू करना अशुभ माना जाता है। भद्रा समाप्त होने के बाद ही राखी बांधें।
नकारात्मक विचारों से बचें: इस दिन मन में किसी के प्रति द्वेष, गुस्सा या कलह की भावना नहीं रखनी चाहिए। यह प्रेम और सौहार्द का पर्व है।
रक्षासूत्र को जमीन पर न रखें: राखी या रक्षासूत्र को पूजा के समय या बाद में कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए। यह अनादर माना जाता है।
मांसाहार और मदिरा से परहेज करें: रक्षाबंधन एक धार्मिक त्योहार है, इसलिए इस दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए। मांसाहार और मदिरा आदि का सेवन वर्जित माना गया है।
ध्यान और पूजा में लापरवाही न करें: इस दिन पूजा विधि, तिलक, आरती आदि में मन लगाकर श्रद्धा पूर्वक करें। यह केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक आत्मिक संस्कार है।
हम लोग हर दुख-सुख में अपने आराध्य का स्मरण करते हैं और हमारे बीच उनकी उपस्थिति का जश्न त्योहारों के माध्यम से मनाते हैं। इसलिए हमारे यहां मनाएं जाने वाले त्योहारों में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा का विशेष महत्व होता है। अगर बात करें साल के सबसे खूबसूरत त्योहारों में से एक ‘रक्षाबंधन’ की,
तो क्या आपको पता है? कि इस दिन भाई के अलावा इन देवताओं को भी राखी बांधने की परंपरा है। ऐसा करके हम लोग भगवान से हमारी रक्षा करने की कामना करते हैं। तो चलिए जानते हैं कि रक्षाबंधन के पावन अवसर पर किन किन देवताओं को राखी बांधनी चाहिए।
गणपति जी को हर शुभ कार्य में सबसे पहले याद किया जाता है। ऐसा मानते हैं कि रक्षाबंधन पर उन्हें लाल रंग की राखी अर्पित करनी चाहिए। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि राखी रक्षा के साथ प्रेम का भी प्रतीक है तो भगवान गणेश को राखी बांधकर हम उनके प्रति अपने प्रेम एवं भक्ति भाव को भी व्यक्त करते हैं।
आप रक्षाबंधन पर शिव जी को भी राखी अवश्य बांधे। शिव जी कृपा से जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ के प्रति अपनी श्रद्धा को दर्शाने के लिए उन्हें राखी बांधना शुभ होता है।
हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है क्योंकि वह सभी संकटों का नाश कर देते हैं। सभी भक्तों पर हनुमान जी की कृपा एक कवच की तरह हर कठिनाई से उनकी रक्षा करती है। ऐसा माना जाता है कि उन्हें राखी बांधने से बुद्धि की भी प्राप्ति होती है। इसलिए हनुमान जी का आशीर्वाद मांगते हुए रक्षाबंधन पर उन्हें राखी अवश्य बांधे।
रक्षाबंधन के विषय में महाभारत की एक बहुत रोचक कहानी मिलती है, जो द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण और पांडवों की धर्म पत्नी द्रौपदी के विषय में है। धर्मग्रंथों में यह निहित है, कि श्री कृष्ण पांडवों के गुरु समान थे। एक बार, युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के बाद, बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं से भरे दरबार में श्रीकृष्ण की बुआ के बेटे, शिशुपाल ने उनका और भीष्म सहित अन्य कई लोगों का अपमान करना शुरू कर दिया। जब शिशुपाल को लाख बार समझाने के बाद भी वह नहीं रुका, तब श्री कृष्ण ने उसे अपने सुदर्शन चक्र द्वारा मार दिया।
ऐसा करने से उनकी उँगलियों में भी चोट आई और रक्तस्राव होने लगा। जब द्रौपदी ने यह देखा, तो उन्होंने तुरंत ही अपनी साड़ी के एक हिस्से को फाड़कर, उसे श्री कृष्ण की चोट पर बांध दिया। कहा जाता है, कि उनकी करुणा से भावविभोर होकर, श्री कृष्ण ने उनको अपनी बहन का दर्जा दिया और कहा, “यह तुम्हारा मुझ पर ऋण है। तुम जब भी मुझे पुकारोगी, मैं तुम्हारी रक्षा हेतु अवश्य आऊंगा।”
तब से ही रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण को राखी बांधने की परंपरा चली आ रही है।
भगवान विष्णु अपने भक्तों की रक्षा एवं पापों के विनाश के लिए समय-समय पर कई रूपों में धरती पर अवतरित हुए हैं। समस्त सृष्टि का पालन करने वाले भगवान विष्णु के प्रति अपने प्रेम भाव एवं कृतज्ञता को प्रकट करने के लिए आप उन्हें पीले रंग की राखी रक्षाबंधन के दिन अवश्य बांधें। ऐसा करना अत्यंत शुभ एवं लाभकारी माना गया है।
तो इस प्रकार रक्षाबंधन पर भगवान को अपने भाई के रूप में पूजा कर आप इस पर्व को अधिक पुण्यकारी एवं शुभ बना सकते हैं। आप रक्षाबंधन पर इन 5 देवताओं को राखी अवश्य बांधे और उनके आशीष की कामना करें।
रक्षा बंधन हमारी संस्कृति का एक बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है। रक्षा बंधन में राखी' या 'रक्षासूत्र' का सबसे अधिक महत्व है। लेकिन क्या यह राखी का त्योहार सिर्फ भाई बहन के रिश्ते तक ही सीमित है? आज हम इस बात पर ही प्रकाश डालेंगे और विस्तार से बात करेंगे।
भाई बहन के अतिरिक्त अनेक भावनात्मक रिश्ते भी इस त्योहार से बंधे होते हैं जो किसी हर सीमा के परे हैं। रक्षा बंधन का पवित्र पर्व रिश्तों को मज़बूती प्रदान करता है। इसलिए इस अवसर पर बहन केवल भाई को ही नहीं, अपितु अन्य सम्बन्धों में भी राखी बांध सकती है। कुछ जगहों पर ब्राह्मणों, गुरुओं और छोटी लड़कियों द्वारा राखी बंधवाई जाती है।
अक्सर हम देखते हैं कि कुछ बहनों के भाई नहीं होते, ऐसे में बहनें भी आपस में एक-दूसरे को राखी बांध देती हैं। इसके अलावा वो अपने पिता,अन्य भाइयों या मुंह बोले भाई को भी राखी बांध सकती हैं ।
इसी प्रकार अगर आपकी कोई बहन नहीं है या रक्षाबंधन के दिन बहन किसी कारण से घर नहीं आ पा रही है, तो आप अपनी मुंह बोली बहन या फिर चचेरी, ममेरी, फूफेरी बहनों से भी राखी बंधवा सकते हैं। इसके अतिरिक्त किसी के मौजूद ना होने पर गुरु द्वारा भी राखी बंधवाई जा सकती है।
आपको बता दें, कई परिवारों में पंडित जी या पुरोहित को भी राखी बांधने की परंपरा है। प्राचीन काल में भी मंदिर में पूजापाठ के बाद पुरोहित, राजाओं या उच्च समाज के लोगों को कलावे के रूप मे रक्षासूत्र बांधते थे, ठीक उसी तरह आज के ज़माने में किसी के घर में पूजापाठ के बाद पंडित जी घर के सभी सभासद के हाथ में कलावा बांधते हैं।
इसके अलावा आप किसी व्यक्ति के प्रति अपने सम्मान को दर्शाने के लिए भी राखी बाँध सकते हो और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। इसी कारण से कई लड़कियां फौजियों और पुलिस कर्मियों को भी राखी बाँधती हैं, क्योंकि यह लोग हमेशा हमारी रक्षा करते हैं।
यह दर्शाता है कि रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार कई रिश्तों को एक मज़बूत डोर से बाँधने की क्षमता रखता है। इसकी खूबसूरती मात्र भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है और यह आपका किसी भी रिश्ते में अटूट विश्वास का प्रतीक है।
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