माँ कूष्माण्डा के मंत्र

माँ कूष्माण्डा के मंत्र

मंत्र और जाप विधि


माँ कूष्माण्डा के मंत्र

माँ कूष्माण्डा के मंत्र और जाप विधि:

मां कूष्मांडा, मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक है, जिनकी पूजा नवरात्र के चौथे दिन की जाती है। मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की निर्माता कहा जाता है।

मां कूष्मांडा को सृष्टि की आदि स्वरूपा यानी आदिशक्ति कहते हैं। मां दुर्गा के इस स्वरूप का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है।

मां कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग मिट जाते हैं। मां के इस स्वरूप की भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।

मां कूष्मांडा के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र:

ऐं ह्री देव्यै नम:।

माँ कूष्माण्डा का पूजन मंत्र:

सुरासम्पूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

जाप विधि:

मां कुष्मांडा के बीज मंत्रों का जाप एक माला यानी 108 बार करना चाहिए। मां कूष्माण्डा के बीज मंत्रों का जाप करने से आप जीवन में हमेशा उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं।

मां दुर्गा अपने कूष्मांडा स्वरूप में सात हाथों में कमंडल, धनुष-बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा धारण किए हुए हैं।

मां के आठवें हाथ में सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना से सभी प्रकार के रोग और शारीरिक परेशानियां दूर होती है।

मां कूष्मांडा अपने भक्तों की थोड़ी सी भक्ति से भी प्रसन्न हो जाती हैं, और यश-बल और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

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