चंद्रघंटा माता का पसंदीदा रंग कौन सा है?
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चंद्रघंटा माता का पसंदीदा रंग कौन सा है?

क्या आप जानते हैं चंद्रघंटा माता का प्रिय रंग कौन सा है और नवरात्रि पूजा में इसका प्रयोग क्यों किया जाता है? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल शब्दों में।

चंद्रघंटा माता के पसंदीदा रंग के बारे में

माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। हमारे शास्त्रों और हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार माता का प्रिय रंग सुनहरा और सफेद है। इस दिन भक्त पीले या सुनहरे वस्त्र पहनते हैं और माता को सफेद या सुनहरे फूल अर्पित करते हैं।

माँ चंद्रघंटा कौन हैं?

माँ चंद्रघंटा, माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। उनके दस हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र सजे हुए होते हैं। जो व्यक्ति उनकी भक्ति और पूजा करता है, वह साहसी और पराक्रमी बन जाता है। ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माँ चंद्रघंटा की पूजा से भय और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथा के अनुसार, दानवों के आतंक को समाप्त करने के लिए माँ दुर्गा ने चंद्रघंटा का स्वरूप धारण किया।

चंद्रघंटा माता का पसंदीदा रंग कौन सा है?

1. सुनहरा

  • यह रंग माँ की शक्ति, वैभव और समृद्धि को दर्शाता है।
  • सुनहरा रंग पहनने या अर्पित करने से व्यक्ति में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • यह रंग मानसिक शक्ति और दृढ़ता का प्रतीक भी है।

2. सफेद

  • सफेद रंग शांति, पवित्रता को दिखाता है।
  • इस रंग के वस्त्र पहनने से मन शांत और साफ रहता है।
  • यह नकारात्मक एनर्जी और डर को दूर करने में मदद करता है।

3. पीला रंग

  • यह रंग आशावाद, प्रसन्नता और नई प्रेरणा का प्रतीक है।
  • पूजा में पीले वस्त्र या फूल अर्पित करने से मानसिक शांति और आत्मविश्वास मिलता है।
  • पीला रंग सूर्य की तरह प्रकाश फैलाकर नकारात्मकता और आलस्य को दूर करता है।

4. लाल रंग

  • लाल रंग पराक्रम, जोश और साहस को दर्शाता है।
  • माँ चंद्रघंटा को यह रंग विशेष रूप से प्रिय माना जाता है।
  • लाल रंग का प्रयोग पूजा में करने से आत्मबल बढ़ता है और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।

पूजा में रंगों का महत्व

  • इस दिन भक्त पीले, सुनहरे या सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करते हैं।
  • माता को सफेद या सुनहरे फूल अर्पित किए जाते हैं।
  • सही रंग का चुनाव पूजा में अधिक प्रभाव और आशीर्वाद लाने वाला माना जाता है।

माँ चंद्रघंटा के रंग का धार्मिक महत्व

माँ चंद्रघंटा नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाती हैं। उनके प्रिय रंगों में मुख्य रूप से सुनहरा और सफेद शामिल हैं। ये रंग केवल सजावट के लिए नहीं, बल्कि उनके आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व को दर्शाते हैं।

1. सुनहरा रंग

  • शक्ति और वैभव का प्रतीक: सुनहरा रंग माता की शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  • साहस और आत्मविश्वास: इस रंग का उपयोग करने से भक्त में निर्भयता और पराक्रम का विकास होता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: सुनहरा रंग बुराई और नकारात्मक प्रभाव से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • पारंपरिक महत्व: पूजा में सुनहरे फूल, वस्त्र और सजावट का प्रयोग शुभ माना जाता है।

2. सफेद रंग

  • शांति और पवित्रता: सफेद रंग मन की शांति और आत्मा की निर्मलता दर्शाता है।
  • भय और नकारात्मकता दूर करना: सफेद रंग भय और नकारात्मक शक्तियों को कम करने में मदद करता है।
  • भक्ति और आध्यात्मिक विकास: सफेद वस्त्र पहनकर या सफेद फूल अर्पित करके पूजा करने से भक्ति में गहराई आती है।
  • मानसिक संतुलन: यह रंग भावनाओं को स्थिर और मन को शांत बनाए रखता है

धार्मिक विश्वास

  • माँ चंद्रघंटा की भक्ति से व्यक्ति निर्भय और पराक्रमी बनता है।
  • इन रंगों और पूजा के माध्यम से भक्त शत्रु, भय और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रहते हैं।
  • पूजा और सही रंगों के उपयोग से जीवन में सफलता, समृद्धि और मानसिक संतुलन आता है।

माँ चंद्रघंटा की पूजा किस दिन की जाती है

माँ चंद्रघंटा नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाती हैं। नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की नौ दिनों तक पूजा की जाती है, और तीसरे दिन माँ दुर्गा के तीसरे रूप, चंद्रघंटा, की आराधना की जाती है। उनका स्वरूप अत्यंत सुंदर और भव्य है, जिसमें उनके दस हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र हैं और कंधे पर घंटी जैसी आभूषण की सजावट होती है।

पूजा का महत्व

साहस और निर्भयता

  • जो भक्त माँ चंद्रघंटा की भक्ति करता है, वह भय और डर से मुक्त होता है।
  • यह शक्ति उसे कठिन परिस्थितियों में भी साहसिक और निडर बनाती है।

समृद्धि और वैभव

  • माता की पूजा से व्यक्ति के जीवन में सफलता, धन और समृद्धि आती है।
  • नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा
  • माँ चंद्रघंटा के आशीर्वाद से भक्त शत्रु, बुराई और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षित रहते हैं।

माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि और मिलने वाले लाभ

माँ चंद्रघंटा नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाती हैं। उनके पूजन से भक्त साहस, शक्ति और मानसिक स्थिरता प्राप्त करते हैं।

पूजा विधि

स्थान की तैयारी

  • पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें।
  • चौकी या थाल पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएँ।
  • माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • फूल, दीपक, अगरबत्ती और तोरण से स्थान सजाएँ।

पूजा सामग्री

  • दीपक, अगरबत्ती, लाल फूल, दूर्वा, हल्दी, रोली, अक्षत, फल, मिठाई

पूजा का प्रारंभ

  • दीपक जलाएँ और माता को चरणामृत या पंचामृत से स्नान कराएँ।
  • “ॐ चंद्रघंटायै नमः” मंत्र का जाप करें।
  • माता के दस हाथों में सजे अस्त्र-शस्त्र का ध्यान करके पूजा करें।

भोग अर्पित करना

  • माता को फल, मिठाई या प्रसाद अर्पित करें।
  • पूजा के बाद प्रसाद परिवार और मित्रों में वितरित करें।

आरती और समापन

  • सुबह और संध्या आरती करें।
  • पूजा समाप्त होने के बाद माता से आशीर्वाद लें और अपने मनोकामनाओं की प्रार्थना करें।

पूजा से मिलने वाले लाभ

  • साहस और निर्भयता
  • माता की भक्ति से भय और डर दूर होता है।
  • व्यक्ति मुश्किल हालात में भी साहसिक और निडर बनता है।

शक्ति और पराक्रम

  • जीवन में कठिनाइयों का सामना करने की शारीरिक और मानसिक शक्ति मिलती है।

समृद्धि और वैभव

  • माता की कृपा से सफलता, धन-समृद्धि और भौतिक सुख प्राप्त होते हैं।
  • नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा
  • पूजा से शत्रु, बुरी शक्तियाँ और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।
  • मानसिक शांति और संतुलन
  • भक्त का मन शांत रहता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

निष्कर्ष

माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। वे माँ दुर्गा का तीसरा रूप हैं और उनका रूप अत्यंत भव्य, शक्तिशाली और दिव्य माना जाता है। उनके दस हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र होते हैं और उनके कंधे पर घंटी जैसी आभूषण सजावट देखी जाती है।

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Published by Sri Mandir·September 27, 2025

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