सूर्य की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव और उपाय
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सूर्य की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा

क्या आप जानना चाहते हैं सूर्य की महादशा में ग्रहों की अंतर्दशा आपके जीवन को कैसे प्रभावित करती है? जानें शुभ-अशुभ फल और उपाय अभी।

सूर्य की महादशा के बारे में

जब सूर्य की महादशा चलती है, जो कुल 6 वर्षों की होती है, तब यह व्यक्ति के जीवन में शक्ति, प्रतिष्ठा, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को उजागर करती है। सूर्य को आत्मा, अधिकार, सम्मान और प्रकाश का कारक माना जाता है। यह व्यक्ति को अपने सामर्थ्य को पहचानने और जीवन के मंच पर दृढ़ता से खड़े होने के लिए प्रेरित करता है। इस लेख में जानिए शुक्र महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा का महत्व, इनके शुभ-अशुभ प्रभाव और इससे जुड़ी खास बातें।

1. सूर्य की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा

सकारात्मक प्रभाव: यदि जन्मकुंडली में सूर्य शुभ और उच्च स्थित हो तो उसकी महादशा-अंतर्दशा अत्यंत लाभकारी होती है। इस समय धन, प्रतिष्ठा, पदोन्नति और सामाजिक सम्मान में वृद्धि के साथ नेतृत्व क्षमता और आत्मविश्वास प्रबल होते हैं।

नकारात्मक प्रभाव: हालांकि, यदि सूर्य अशुभ स्थिति में हो, नीच राशि में हो या पाप ग्रहों के प्रभाव में हो, तो यह समय मन बेचैन रह सकता है, तनाव बढ़ सकता है, और अहंकार के कारण झगड़े हो सकते हैं। परिवार के साथ दूरियाँ और बड़े लोगों या बॉस से मतभेद भी हो सकते हैं।

उपाय: प्रतिदिन प्रातः सूर्य को अर्घ्य दें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। रविवार के दिन व्रत रखें और लाल वस्त्र, गेहूं या गुड़ का दान करें।

2. सूर्य की महादशा में चंद्र की अन्तर्दशा

सकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा आमतौर पर शुभ मानी जाती है। सूर्य पिता और आत्मा का, जबकि चंद्रमा माता और मन का कारक है, इसलिए इनका मेल जीवन में संतुलन और सहयोग लाता है। इस समय माता-पिता का आशीर्वाद, करियर में तरक्की, सम्मान में वृद्धि और आर्थिक लाभ के अवसर मिलते हैं, जिससे स्थिरता और संतोष प्राप्त होता है।

नकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में यदि चंद्रमा नीच राशि में हो, पाप ग्रहों के प्रभाव में हो या अशुभ भाव में स्थित हो, तो मन अस्थिर हो सकता है और निर्णय लेने में कठिनाई होती है। भावनाओं में उतार-चढ़ाव, तनाव, नींद की कमी और मानसिक थकान जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।

उपाय: प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें व “ॐ आदित्याय नमः” जप करें। सोमवार को सफेद वस्त्र पहनकर दूध-चावल दान करें।

3. सूर्य की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा

सकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में जब मंगल की अंतर्दशा चलती है, तो यह समय व्यक्ति में अद्भुत ऊर्जा, साहस और निर्णायक क्षमता का संचार करता है। मंगल पराक्रम और कार्यक्षमता का प्रतीक है, जबकि सूर्य नेतृत्व और प्रतिष्ठा देता है। इन दोनों का मेल व्यक्ति को लक्ष्य के प्रति दृढ़ और कार्यों में सफल बनाता है। इस अवधि में कार्यक्षेत्र और व्यापार में उन्नति के योग बनते हैं।

नकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में मंगल अशुभ हो तो क्रोध, जल्दबाजी और रिश्तों में तनाव बढ़ता है। बिना सोच-समझे फैसले दुर्घटना, चोट या रक्त संबंधी रोग का कारण बन सकते हैं।

उपाय: मंगलवार को हनुमान पूजा करें और “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र जपें। लाल मसूर, गुड़ और लाल वस्त्र का दान करें।

4. सूर्य की महादशा में राहु की अन्तर्दशा

सकारात्मक प्रभाव: सूर्य और राहु का मेल ज्योतिष में प्रकाश और छाया का संगम माना जाता है। सूर्य आत्मविश्वास और प्रतिष्ठा का प्रतीक है, जबकि राहु भ्रम और अप्रत्याशित घटनाओं का कारक। सूर्य की महादशा में राहु की अंतर्दशा व्यक्ति को असाधारण सोच देती है। तकनीकी, विदेशी व्यापार, राजनीति और शोध से जुड़े लोगों को नए अवसर मिलते हैं, और कठिन हालात में भी आगे बढ़ने की क्षमता मिलती है।

नकारात्मक प्रभाव: यदि राहु अशुभ हो तो यह समय मानसिक तनाव, भ्रम और डिप्रेशन ला सकता है। गलत निर्णय समस्याएँ बढ़ाते हैं। शत्रुओं या रिश्तेदारों से विवाद संभव हैं। स्वास्थ्य प्रभावित होकर रक्त, नसों या दुर्घटनाओं का खतरा रहता है।

उपाय: प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करें और “ॐ आदित्याय नमः” मंत्र का जाप करें। राहु को शांत करने के लिए नारियल, काला तिल और सरसों का तेल दान करें। इसके अलावा “ॐ रां राहवे नमः” मंत्र का नियमित जप करें।

5. सूर्य की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा

सकारात्मक प्रभाव: ज्योतिष में सूर्य और बृहस्पति का संयोग अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। सूर्य की महादशा में जब गुरु की अंतर्दशा आती है, तो यह समय विशेष रूप से कल्याणकारी होता है। इस अवधि में संतान सुख प्राप्त होता है, विवाह के शुभ योग बनते हैं और अच्छा जीवनसाथी मिलने की संभावना बढ़ती है। व्यक्ति शिक्षा, आध्यात्मिकता और सत्कर्म की ओर अग्रसर होकर श्रेष्ठ संगति का लाभ पाता है।

नकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में यदि गुरु अशुभ हो, तो गलत फैसलों के कारण आर्थिक हानि हो सकती है। जरूरत से ज्यादा उदारता या दूसरों पर अत्यधिक भरोसा नुकसान पहुँचा सकता है। संतान से जुड़ी चिंताएँ बढ़ सकती हैं या शिक्षा में बाधाएँ आ सकती हैं। साथ ही, अत्यधिक आत्मविश्वास के कारण महत्वपूर्ण अवसर हाथ से निकल सकते हैं।

उपाय: प्रतिदिन प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें और "ॐ आदित्याय नमः" मंत्र का जप करें। गुरुवार को व्रत रखें और पीले वस्त्र, चना दाल, हल्दी का दान करें।

6. सूर्य की महादशा में शनि की अन्तर्दशा

सकारात्मक प्रभाव: सूर्य और शनि का मेल चुनौतिपूर्ण होता है। सूर्य अधिकार का प्रतीक है, जबकि शनि अनुशासन और संघर्ष का कारक। सूर्य महादशा में शनि की अंतर्दशा धैर्य और जिम्मेदारी की परीक्षा लेती है। यह समय मेहनत, अनुशासन और संघर्ष के बाद धीरे-धीरे स्थायी सफलता, स्थिरता और सम्मान दिलाता है।

नकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में अशुभ शनि पिता के स्वास्थ्य, करियर और संबंधों में बाधाएँ लाता है। वरिष्ठों से टकराव, देरी से सफलता, मानसिक तनाव और रिश्तों में दूरी की स्थिति बनती है।

उपाय: प्रतिदिन प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें और "ॐ आदित्याय नमः" मंत्र का जप करें। शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करें, तिल का तेल, काला कपड़ा और उड़द का दान करें।

7. सूर्य की महादशा में बुध की अन्तर्दशा

सकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में बुध की अंतर्दशा को अत्यंत शुभ माना जाता है। यह समय व्यक्ति की बुद्धि, वाणी और निर्णय क्षमता को प्रखर बनाता है। करियर में तरक्की, प्रमोशन और नए अवसर मिलते हैं। व्यापार में विस्तार और लाभ होता है। विदेश यात्रा या नए संपर्क उन्नति दिलाते हैं। वरिष्ठों का सहयोग और समाज में सम्मान भी बढ़ता है।

नकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में यदि बुध अशुभ हो तो नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं। इस अवधि में अत्यधिक महत्वाकांक्षा तनाव और गलत दिशा में किए गए प्रयासों का कारण बन सकती है। जल्दबाजी या अधिक बोलने की प्रवृत्ति से रिश्तों में खटास आ सकती है। शिक्षा और कार्य में एकाग्रता की कमी के कारण अच्छे अवसर हाथ से निकल सकते हैं।

उपाय: हरे वस्त्र धारण करें और बुधवार का व्रत रखें। गणपति जी और विष्णु भगवान की पूजा करें। साथ ही हरी मूंग का दान और गौ सेवा करें।

8. सूर्य की महादशा में केतु की अन्तर्दशा

सकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में केतु की अंतर्दशा को मिश्रित प्रभाव देने वाला समय माना जाता है। इस दौरान व्यक्ति का झुकाव आध्यात्मिकता, साधना और गूढ़ विषयों की ओर बढ़ता है। अंतर्ज्ञान मजबूत होता है और शोध, आयुर्वेद, ज्योतिष, तंत्र-मंत्र या विदेशी कार्यों में सफलता की संभावना रहती है। सांसारिक आसक्ति कम होकर आत्मिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है।

नकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में केतु की अशुभ अंतर्दशा से गले-आंखों की समस्या, मानसिक तनाव, कार्यक्षेत्र में बाधाएँ, शत्रुओं की वृद्धि और जल्दबाजी के निर्णय से आर्थिक हानि व कर्ज की संभावना रहती है।

उपाय: भगवान गणेश और भगवान सूर्य की नियमित पूजा करें। तांबे के पात्र में जल भरकर उसमें लाल फूल डालकर सूर्य को अर्पित करें।

9. सूर्य की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा

सकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा मिश्रित फल देती है। प्रेम और दांपत्य जीवन में मधुर क्षण तो मिलते हैं, परंतु गलतफहमियों की संभावना रहती है। आर्थिक मामलों में सावधानी आवश्यक है, अन्यथा नुकसान हो सकता है। कार्यक्षेत्र में अधिक परिश्रम से सम्मान और अवसर मिलते हैं। भौतिक सुख-सुविधाओं और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि भी होती है।

नकारात्मक प्रभाव: सूर्य की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा के नकारात्मक प्रभाव के रूप में वैवाहिक जीवन या प्रेम संबंधों में तनाव और गलतफहमियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। आर्थिक मामलों में गलत निर्णय या अनुचित निवेश से हानि की संभावना रहती है। साथ ही, सामाजिक या व्यक्तिगत रिश्तों में कटुता, मतभेद और विवाद बढ़ सकते हैं।

उपाय: शुक्र को मजबूत करने हेतु शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनें और सुगंधित वस्तुएँ दान करें। शिव पार्वती की पूजा करें और "ॐ शुक्राय नमः" मंत्र का जाप करें।

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Published by Sri Mandir·August 25, 2025

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