गुरु की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव और उपाय
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गुरु की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा

क्या आप जानना चाहते हैं गुरु की महादशा में ग्रहों की अंतर्दशा आपके जीवन को कैसे प्रभावित करती है? जानें शुभ-अशुभ फल और उपाय

गुरु की महादशा के बारे में

गुरु की महादशा ज्योतिष शास्त्र में विम्शोत्तरी दशा प्रणाली के अनुसार मिलने वाली एक प्रमुख दशा है। यह कुल 16 साल तक चलती है। गुरु (बृहस्पति) को देवगुरु और ज्ञान, अध्यात्म, धर्म, धन, संतान, भाग्य और विवाह का कारक ग्रह माना गया है। शिक्षा, करियर, विवाह और संतान सुख में प्रगति मिल सकती है। यह दशा जीवन में आर्थिक उन्नति और सम्मान भी दिला सकती है। इस लेख में जानिए गुरु महादशा का महत्व, इसके शुभ-अशुभ प्रभाव और इससे जुड़ी खास बातें।

गुरू की महदशा के उपाय

पूजा-पाठ और मंत्र

  • हर गुरुवार को गुरु बृहस्पति का पूजन करें।
  • पीले फूल, चना दाल, हल्दी और गुड़ चढ़ाएं।
  • ‘ॐ ब्रं बृहस्पतये नमः’ मंत्र का 108 बार जप करें।
  • गुरुवार के दिन व्रत रखना भी शुभ रहता है।

दान-पुण्य

  • पीली चीज़ें दान करें: चना दाल, हल्दी, पीला वस्त्र, गुड़।
  • गरीबों, ब्राह्मणों या विद्यार्थियों को दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • शिक्षा और धर्म से जुड़े कार्यों में सहयोग करें।

जीवनशैली में सुधार

  • माता-पिता, गुरुजन और शिक्षकों का आदर करें।
  • सत्य बोलें और गलत संगति से बचें।
  • नियमित गायत्री मंत्र और विष्णु भगवान की पूजा करना भी गुरु को प्रसन्न करता है।

रत्न और धारण

  • अगर आपकी कुंडली में गुरु वाकई शुभ है लेकिन कमजोर है, तो पुखराज (पीला नीलम) धारण किया जा सकता है।
  • इसे हमेशा योग्य ज्योतिषी की सलाह से ही पहनें, क्योंकि गलत रत्न नुकसान भी दे सकता है।

विशेष उपाय

  • हर गुरुवार पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं और परिक्रमा करें।
  • पीली गाय (या किसी भी गाय) को गुड़-चना खिलाना अत्यंत शुभ है।
  • शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों की मदद करें, यह गुरु को बलवान करता है।

गुरू की महदशा का फल

  • यह दशा आमतौर पर शुभ फलदायी होती है और जीवन में नए सकारात्मक अवसर लेकर आती है।
  • इस दौरान धन, संपत्ति, वाहन और सुख-सामग्री में वृद्धि होने के योग बनते हैं। नौकरी में पदोन्नति, व्यवसाय में विस्तार और आर्थिक लाभ की संभावना रहती है।
  • व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान, यश और ख्याति प्राप्त होती है। उसके कार्यों की सराहना होती है।
  • सन्तान से विशेष सुख और उनकी उन्नति देखने को मिलती है। संतान की शिक्षा, करियर आदि में सफलता मिलती है।
  • विद्या, ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है। नया ज्ञान प्राप्त होता है और बुद्धि का विकास होता है।
  • इस अवधि में व्यक्ति का झुकाव आध्यात्मिकता, धर्म-कर्म और दान-पुण्य की ओर बढ़ता है। मन को शांति मिलती है।

1. गुरु की महादशा में गुरु की अंतर्दशा

गुरु की दशा में गुरु की अंतर्दशा ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण अवधि मानी जाती है। यह 16 साल की गुरु की महादशा के भीतर आती है, और 2 साल 1 महीने तक चलती है। इस दौरान, जातक को आध्यात्मिक खोज, धन, मान-सम्मान, और भौतिक सुखों में वृद्धि का अनुभव हो सकता है, खासकर यदि गुरु कुंडली में मजबूत स्थिति में हो।

  • गुरु की अंतर्दशा में, जातक की आध्यात्मिक खोज में रुचि बढ़ सकती है, और वह धार्मिक कार्यों, पूजा-पाठ, और सत्संग में संलग्न हो सकता है।
  • यदि गुरु कुंडली में शुभ स्थिति में है, तो यह अवधि धन, संपत्ति, और भौतिक सुखों में वृद्धि ला सकती है। जातक को नए अवसरों और सफलताएं मिल सकती हैं।
  • गुरु की कृपा से, जातक को समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिल सकती है। उसे शुभचिंतकों और गुरुजनों का सहयोग प्राप्त हो सकता है।
  • गुरु की अंतर्दशा में, पारिवारिक जीवन में सुख-शांति और खुशहाली आ सकती है। संतान प्राप्ति के योग भी बन सकते हैं।
  • गुरु ज्ञान और बुद्धि का कारक है। इस अवधि में, जातक की ज्ञान-पिपासा बढ़ सकती है, और वह नई चीजें सीखने और समझने में रुचि ले सकता है।

2. गुरु की महादशा में शनि की अंतर्दशा

गुरु (बृहस्पति) की महादशा में शनि की अंतरदशा का फल ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे समझने के लिए हमें पहले यह जानना होगा कि गुरु की महादशा में व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, धर्म, शिक्षा और भाग्य का असर ज्यादा होता है।

  • शनि की अंतरदशा में कामकाज और जीवन में बाधाएं आ सकती हैं। आपको अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है और परिणाम धीरे-धीरे मिलते हैं।
  • शनि अनुशासन, जिम्मेदारी और समयबद्धता की शिक्षा देता है। इस समय अनुशासन अपनाने से लंबी अवधि में सफलता मिल सकती है।
  • नौकरी या व्यवसाय में स्थिरता आती है, लेकिन अचानक लाभ कम ही मिलते हैं। वित्तीय मामलों में सतर्क रहना जरूरी है।
  • शारीरिक रूप से तनाव और थकान हो सकती है। हड्डियों, त्वचा और पीठ के स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।
  • गुरु की महादशा में शनि की अंतरदशा धार्मिक, आध्यात्मिक या सामाजिक कार्यों में स्थायित्व और गंभीरता ला सकती है।

3. गुरु की महादशा में बुध की अंतर्दशा

गुरु (बृहस्पति) की महादशा में बुध की अंतरदशा का योग ज्योतिष में बहुत खास माना जाता है। इसे समझने के लिए ध्यान दें कि गुरु का स्वभाव धर्म, शिक्षा, ज्ञान, भाग्य और बुद्धिमत्ता से जुड़ा होता है, जबकि बुध का स्वभाव बुद्धि, संचार, व्यापार, तर्क और व्यवहारिकता से जुड़ा होता है। इसलिए, गुरु की महादशा में बुध की अंतरदशा में ज्ञान और कौशल के विकास के अवसर बढ़ते हैं, लेकिन इसके साथ थोड़ा मानसिक व्यस्तता और निर्णय लेने में सतर्कता की आवश्यकता भी होती है।

  • इस समय आपका बुद्धि और तर्क शक्ति अधिक तेज होती है। पढ़ाई, लेखन, व्याख्यान, व्यवसायिक संचार या नौकरी में संवाद कौशल बढ़ता है।
  • व्यापारिक फैसले सही समय पर लाभ दे सकते हैं। नौकरी में नई जिम्मेदारियां या पदोन्नति के अवसर मिल सकते हैं।
  • गुरु की महादशा में बुध की अंतरदशा में अध्ययन और धार्मिक अनुष्ठानों में रुचि बढ़ सकती है।
  • छोटे या माध्यम आकार की यात्रा लाभदायक हो सकती है। सामाजिक संपर्क और नेटवर्क मजबूत होता है।
  • बुध की प्रकृति तंत्रिका और पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती है। मानसिक तनाव और थकान पर ध्यान दें।

4. गुरु की महादशा में केतु की अंतर्दशा

गुरु की महादशा में केतु की अंतरदशा का फल ज्योतिष में थोड़ा जटिल और गूढ़ माना जाता है। इसे समझने के लिए ध्यान दें कि गुरु ज्ञान, शिक्षा, धर्म, भाग्य और जीवन में मार्गदर्शन का कारक। केतु – अलगाव, वैराग्य, आध्यात्मिकता, अनदेखी, रहस्य और कर्मों का फल। जब गुरु की महादशा में केतु की अंतरदशा आती है, तो व्यक्ति के जीवन में धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्ति बढ़ सकती है, लेकिन सांसारिक सुख-सुविधाओं में उतार-चढ़ाव हो सकता है।

  • ध्यान, योग, साधना और धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ सकती है।
  • नौकरी, व्यवसाय या पारिवारिक मामलों में अचानक बदलाव या अस्थिरता आ सकती है।
  • गुरु की महादशा के कारण अवसर मिलते हैं, लेकिन केतु की अंतरदशा में उन्हें पहचानने में या उन्हें स्थायी बनाने में कठिनाई हो सकती है।
  • मानसिक तनाव, चिंता और कभी-कभी पाचन या अस्थि संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
  • परिवार और सामाजिक संबंधों में दूरी या अलगाव महसूस हो सकता है। यात्राएं आध्यात्मिक उद्देश्य वाली लाभकारी हो सकती हैं।

5. गुरु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा

गुरु (बृहस्पति) की महादशा में शुक्र (Venus) की अंतरदशा का योग ज्योतिष में बहुत शुभ माना जाता है। इसे समझने के लिए ध्यान दें कि गुरु (बृहस्पति) – ज्ञान, धर्म, शिक्षा, भाग्य और जीवन में मार्गदर्शन। शुक्र (Venus) – प्रेम, वैभव, सुख, सृजनात्मकता, मनोरंजन और आर्थिक समृद्धि। जब गुरु की महादशा में शुक्र की अंतरदशा आती है, तो व्यक्ति के जीवन में संपत्ति, सुख-सुविधा और सामाजिक मान-प्रतिष्ठा बढ़ सकती है।

  • आर्थिक स्थिति में सुधार, निवेश और लाभ के अवसर बढ़ सकते हैं।
  • वैवाहिक जीवन सुखद, प्रेम संबंध मधुर और सामाजिक जीवन सक्रिय रहेगा।
  • रचनात्मकता, कला, संगीत, साहित्य या अन्य सृजनात्मक गतिविधियों में रुचि और सफलता मिल सकती है।
  • शारीरिक स्वास्थ्य सामान्यतः अच्छा रहेगा, विशेषकर सुख-सुविधा और आराम के कारण मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।
  • समाज में मान-प्रतिष्ठा और दोस्तों, परिवार या वरिष्ठों से सहयोग मिलने की संभावना बढ़ती है।

6. गुरु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा

गुरु (बृहस्पति) की महादशा में सूर्य की अंतरदशा का योग ज्योतिष में महत्वपू्र्ण माना जाता है। इसे समझने के लिए देखें: गुरु (बृहस्पति) – ज्ञान, शिक्षा, धर्म, भाग्य और जीवन में मार्गदर्शन। सूर्य – आत्मबल, नेतृत्व, पिता, प्रतिष्ठा, अधिकार और स्वास्थ्य। जब गुरु की महादशा में सूर्य की अंतरदशा आती है, तो व्यक्ति के जीवन में प्रतिष्ठा, आत्मविश्वास और जिम्मेदारियों का महत्व बढ़ जाता है।

  • समाज और कार्यक्षेत्र में सम्मान, पहचान और नेतृत्व क्षमता बढ़ती है।
  • स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, लेकिन विशेष ध्यान हृदय और रक्त संबंधी समस्याओं पर देना चाहिए।
  • नौकरी या व्यवसाय में उच्च पद या महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिल सकती हैं।
  • पिता या वरिष्ठ व्यक्ति का सहयोग मिलेगा, लेकिन कभी-कभी उनके साथ मतभेद भी हो सकते हैं।
  • धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में सक्रियता बढ़ती है, लेकिन अहंकार से बचना जरूरी है।

7. गुरु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा

गुरु की महादशा में चंद्र की अंतरदशा का फल ज्योतिष में संवेदनशील और भावनात्मक माना जाता है। इसे समझने के लिए ध्यान दें: गुरु (बृहस्पति) – ज्ञान, धर्म, शिक्षा, भाग्य और मार्गदर्शन। चंद्र मन, भावनाएँ, परिवार, मानसिक स्थिति और मां या मातृसदृश संबंध। जब गुरु की महादशा में चंद्र की अंतरदशा आती है, तो व्यक्ति के जीवन में भावनात्मक संवेदनशीलता, परिवार और मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है।

  • मानसिक शांति और भावनात्मक स्थिरता पर ध्यान देना आवश्यक है। कभी-कभी तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है।
  • परिवार में सहयोग और सुख मिल सकता है, विशेषकर मातृ या पत्नी संबंध मजबूत होते हैं।
  • गुरु की महादशा के सकारात्मक प्रभाव से शिक्षा, मार्गदर्शन और नौकरी में लाभ मिलता है, लेकिन निर्णय भावनाओं के प्रभाव में आने से सतर्कता जरूरी है।
  • धार्मिक क्रियाओं और ध्यान में रुचि बढ़ सकती है, मानसिक शांति के लिए ध्यान और साधना लाभकारी।
  • मानसिक तनाव, नींद की समस्या या पेट संबंधी हल्की बीमारियाँ हो सकती हैं।

8. गुरु की महादशा में मंगल की अंतर्दशा

गुरु की महादशा में मंगल की अंतरदशा का फल ज्योतिष में ऊर्जा, साहस और संघर्ष से जुड़ा माना जाता है। इसे समझने के लिए ध्यान दें: गुरु (बृहस्पति) – ज्ञान, धर्म, शिक्षा, भाग्य और मार्गदर्शन। मंगल (Mars) – साहस, ऊर्जा, क्रोध, कर्मठता, और संघर्ष। जब गुरु की महादशा में मंगल की अंतरदशा आती है, तो व्यक्ति के जीवन में साहस, कार्यक्षमता और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता बढ़ती है।

  • नौकरी या व्यवसाय में सक्रियता बढ़ती है, कार्यक्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं।
  • साहसिक निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, लेकिन कभी-कभी क्रोध या अधीरता में हानिकारक फैसले हो सकते हैं।
  • शारीरिक ऊर्जा बढ़ती है, लेकिन चोट, एलर्जी या मांसपेशियों और रक्त संबंधी समस्याओं पर ध्यान देना आवश्यक है।
  • परिवार और सामाजिक संबंधों में तनाव या मतभेद संभव हैं, इसलिए संयम और समझदारी जरूरी है।
  • गुरु की महादशा के कारण धार्मिक कार्यों में रूचि बनी रहती है, मंगल कर्म और प्रयास को सक्रिय बनाता है।

9. गुरु की महादशा में राहु की अंतर्दशा

गुरु (बृहस्पति) की महादशा में राहु की अंतरदशा का फल ज्योतिष में मिश्रित और गूढ़ माना जाता है। इसे समझने के लिए ध्यान दें: गुरु – ज्ञान, धर्म, शिक्षा, भाग्य और मार्गदर्शन। राहु – आवेग, लोभ, भ्रामक परिस्थितियाँ, अप्रत्याशित घटनाएँ और आसाधारण आकांक्षाएं। जब गुरु की महादशा में राहु की अंतरदशा आती है, तो व्यक्ति के जीवन में अप्रत्याशित अवसर और चुनौतियाँ दोनों देखने को मिल सकते हैं।

  • अचानक उन्नति या लाभ हो सकता है, लेकिन धोखे और जोखिम भी बढ़ सकते हैं। सतर्क रहना जरूरी है।
  • दोस्तों, सहकर्मियों या साझेदारों के साथ मतभेद या भ्रम की स्थिति आ सकती है।
  • आध्यात्मिक रुचि बढ़ सकती है, लेकिन राहु भ्रम और अधूरी इच्छाओं का प्रतीक भी है।
  • मानसिक तनाव, अनिद्रा, सर या दिमाग संबंधी परेशानियाँ हो सकती हैं। स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान आवश्यक है।
  • भाग्य अच्छा रहता है, लेकिन राहु की अंतरदशा में उसे सही दिशा में लगाना जरूरी है।
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Published by Sri Mandir·August 26, 2025

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