क्या आप जानना चाहते हैं चंद्र की महादशा में ग्रहों की अंतर्दशा आपके जीवन को कैसे प्रभावित करती है? जानें शुभ-अशुभ फल और उपाय अभी।
चंद्रमा की महादशा 10 साल की मानी जाती है और इस दौरान व्यक्ति को चंद्रमा से जुड़े फल प्राप्त होते हैं। चंद्रमा मन, भावनाओं और शीतलता का कारक है। चंद्रमा की महादशा जीवन में शांति, मानसिक संतुलन, मातृ सुख और संवेदनशीलता को बढ़ाती है। ग्रहों में चंद्रमा को रानी का स्थान प्राप्त है, इसलिए यह मन की गहराइयों और भावनात्मक पक्ष को उजागर करता है। जब चंद्रमा की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशाएँ आती हैं, तो उनके प्रभाव चंद्रमा की शीतल और भावनात्मक ऊर्जा के साथ मिलकर अलग-अलग अनुभव कराते हैं। इस लेख में जानिए चंद्रमा महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा का महत्व, इनके शुभ-अशुभ प्रभाव और इससे जुड़ी खास बातें।
चंद्रमा की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा 10 महीने की होती है, जिसे ज्योतिष में विशेष महत्व दिया गया है। चंद्रमा मन और धन का कारक होने के साथ-साथ शांति और संतुलन का प्रतीक भी है।
सकारात्मक प्रभाव: अगर चंद्रमा उच्च राशि, अपने घर या शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो, तो इस अंतर्दशा में व्यक्ति को मानसिक शांति, धन और सुख-सुविधाएँ मिलती हैं। सफेद वस्तुओं का फायदा होता है। करियर में सही फैसलों से सफलता मिलती है। माता या बेटी से जुड़ी कोई शुभ खबर मिल सकती है। साथ ही संगीत, कला और रचनात्मक कामों में रुचि और प्रगति होती है।
नकारात्मक प्रभाव: यदि चंद्रमा नीच राशि में हो, पाप ग्रहों से प्रभावित हो, ग्रहण योग में हो या छठे, आठवें अथवा बारहवें भाव में स्थित हो, तो यह अंतर्दशा मानसिक अस्थिरता और परेशानियाँ ला सकती है। व्यक्ति आलसी, भयभीत और असमंजस में रहने लगता है। माता के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। जल्दी निराश होना और बार-बार चिंता करना भी सामान्य लक्षण हैं।
उपाय: सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल और दुग्ध चढ़ाएँ। “ॐ चन्द्राय नमः” मंत्र का जाप करना लाभकारी होगा।
सकारात्मक प्रभाव: जब चंद्रमा की महादशा में मंगल की अंतर्दशा आती है, तो यह व्यक्ति को साहस, ऊर्जा और उत्साह प्रदान करती है। कार्यक्षेत्र में प्रगति होती है और व्यापार में तरक्की मिलती है। व्यक्ति मेहनती और पराक्रमी बनकर विशेष पहचान बनाता है। यदि कुंडली में चंद्र और मंगल की युति हो, तो यह लक्ष्मी योग का निर्माण करती है, जिससे धन-धान्य, भौतिक सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
नकारात्मक प्रभाव: अगर मंगल शत्रु राशि, नीच राशि या पाप ग्रहों से प्रभावित हो, तो अशुभ फल मिलते हैं। ऐसे समय में व्यक्ति चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो सकता है। धन-संपत्ति को लेकर चिंता बढ़ती है और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ बनी रह सकती हैं। गुस्से के कारण परिवार और रिश्तेदारों से मतभेद होने की संभावना रहती है।
उपाय: मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। लाल वस्त्र, तांबे का बर्तन या मसूर दाल का दान करें।
सकारात्मक प्रभाव: चंद्रमा की महादशा में राहु की अंतर्दशा अक्सर कठिन मानी जाती है, लेकिन यह पूरी तरह नकारात्मक भी नहीं होती। अगर राहु शुभ ग्रहों के साथ हो या उन पर दृष्टि हो, तो कार्य सफल हो जाते हैं। इस समय पश्चिम दिशा की यात्रा करने से विशेष लाभ मिलता है। अचानक धन प्राप्ति और अप्रत्याशित लाभ के योग बनते हैं।
नकारात्मक प्रभाव: राहु अशुभ होने पर मन अस्थिर और भ्रमित हो जाता है। व्यापार और कामकाज में बार-बार रुकावटें आती हैं और आर्थिक हानि भी होती है। इस समय स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, मानसिक तनाव और अवसाद की स्थिति बढ़ सकती है। कानूनी मामलों, कोर्ट केस या कारावास जैसी कठिन परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
उपाय: रोज़ “ॐ चंद्राय नमः” और “ॐ रां राहवे नमः” मंत्र का जप करें। राहु की शांति हेतु नारियल को बहते जल में प्रवाहित करना शुभ रहता है। माता और स्त्रियों का सम्मान करें, उनका आशीर्वाद लेने से राहु के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
सकारात्मक प्रभाव: चंद्रमा की महादशा में गुरु की अंतर्दशा लगभग एक साल चार महीने तक चलती है। यह अवधि व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, आध्यात्मिकता और बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देती है। अगर गुरु उच्च राशि या शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो और चंद्र से केंद्र, त्रिकोण, दूसरा या ग्यारहवां भाव में स्थित हो, तो यह समय बहुत शुभ होता है। व्यक्ति की समझ और निर्णय क्षमता की सराहना होती है। समाज में मान-सम्मान मिलता है और शुभ समाचार प्राप्त होते हैं।
नकारात्मक प्रभाव: यदि गुरु नीच राशि, शत्रु राशि या पाप ग्रहों के प्रभाव में हो और छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो, तो यह समय चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। व्यक्ति बिना कारण चिंता और असंतोष से घिरा रहता है। आर्थिक हानि, परिवार में मतभेद और मानसिक तनाव की संभावना बढ़ती है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ भी सामने आ सकती हैं।
उपाय: बृहस्पति को मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें। पीली वस्तुओं (चने की दाल, हल्दी, पीले फूल) का दान करें। भगवान विष्णु या बृहस्पति देव की पूजा करें और गुरु मंत्र का जाप करें।
सकारात्मक प्रभाव: चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा एक साल सात महीने तक चलती है। यदि चंद्रमा केंद्र, त्रिकोण, धन या लाभ स्थान पर स्थित हो और शनि उच्च राशि, स्वगृही या शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो, तो यह अंतर्दशा शुभ फल देती है। व्यक्ति को गुप्त या अप्रत्याशित धन लाभ होता है। व्यापार और कार्यक्षेत्र में धीरे-धीरे लाभ की संभावनाएँ बढ़ती हैं।
नकारात्मक प्रभाव: यदि शनि छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो और नीच राशि, शत्रु राशि या पाप ग्रहों से प्रभावित हो, तो यह समय कठिनाई भरा हो सकता है। निर्णय क्षमता कमजोर हो जाती है और कार्यों में रुकावटें आती हैं। कर्जे बढ़ने, मित्रों से धोखा मिलने या आर्थिक हानि की संभावना रहती है।
उपाय: शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे तेल का दीपक जलाएँ। “ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का नियमित जाप करें। गरीबों व जरूरतमंदों को काला तिल, तेल, और काले वस्त्र दान करें।
सकारात्मक प्रभाव: चंद्रमा की महादशा में बुध की अंतर्दशा 1 साल 5 महीने तक चलती है। अगर जन्मकुंडली में बुध शुभ ग्रहों के साथ हो या शुभ दृष्टि में हो और केंद्र, त्रिकोण जैसे शुभ भावों में स्थित हो, तो यह समय बहुत अनुकूल होता है। व्यक्ति प्रसन्न, हंसमुख और चतुराई से कार्य करने वाला बनता है। व्यापार और शिक्षा में उन्नति होती है। शेयर बाजार या अन्य साधनों से अचानक धन लाभ मिलने की संभावना रहती है।
नकारात्मक प्रभाव: अगर बुध नीच राशि, शत्रु राशि या पाप ग्रहों की दृष्टि में होकर अशुभ भावों में हो, तो यह समय चुनौतियाँ लेकर आता है। कार्य बनते-बनते रुक जाते हैं और योजनाएँ अधूरी रह जाती हैं। व्यक्ति कभी-कभी अपने ही गलत निर्णयों के कारण हानि उठा सकता है। मानसिक सुख और संतोष की कमी बनी रहती है।
उपाय: बुधवार को हरी वस्त्र धारण करें और हरी सब्ज़ियों या मूंग की दाल का दान करें। गणपति अथवा विष्णु भगवान की आराधना करें। "ॐ बुं बुधाय नमः" मंत्र का नियमित जप करें।
सकारात्मक प्रभाव: चंद्रमा की महादशा में केतु की अंतर्दशा (7 महीने) की होती है। यह अवधि सामान्यतः चुनौतिपूर्ण मानी जाती है, लेकिन यदि व्यक्ति ईमानदारी और लगन से मेहनत करता है तो उसे सफलता ज़रूर मिलती है, भले ही वह थोड़ी देर से मिले। अगर जन्मकुंडली में केतु शुभ स्थिति में हो और चंद्रमा पापरहित हो, तो गुप्त धन प्राप्ति या अचानक लाभ के योग बनते हैं।
नकारात्मक प्रभाव: कार्यों में बाधा और देरी होती है, जिससे व्यक्ति को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। असफलताओं की वजह से चिंता और बेचैनी बनी रहती है। रिश्तों में गलतफहमी और दूरी की स्थिति बन सकती है।
उपाय: मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी और भैरव बाबा की पूजा करें। पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाना और शनि-केतु संबंधित उपाय करना भी शुभ फल देता है। “ॐ कें केतवे नमः” मंत्र का नियमित जप करें।
सकारात्मक प्रभाव: चंद्रमा की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा 1 साल 8 महीने की होती है। यदि जन्म कुंडली में शुक्र शुभ स्थिति में हो और चंद्रमा भी पापरहित हो, तो यह अंतर्दशा जीवन में उन्नति और समृद्धि लेकर आती है। इस समय मन की कई इच्छाएँ पूर्ण होती हैं, जैसे घर खरीदने, संपत्ति अर्जित करने या किसी बड़े सुख-साधन की प्राप्ति। दांपत्य जीवन मधुर होता है तथा जीवनसाथी या किसी महिला की मदद से सफलता और लाभ मिलता है।
नकारात्मक प्रभाव: यदि चंद्रमा कमजोर हो और शुक्र नीच राशि, शत्रु राशि या पाप ग्रहों से प्रभावित हो, तो यह समय कठिनाइयाँ देता है। महिला से जुड़ी समस्याएँ या कलंक का सामना करना पड़ सकता है। वैवाहिक जीवन में तनाव, गलतफहमियाँ या संबंधों में खटास आ सकती है। व्यक्ति मानसिक रूप से दुखी, असुरक्षित और चिंतित रहता है।
उपाय: शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी और शुक्र ग्रह की पूजा करें तथा सफेद वस्त्र धारण करें। शुक्र शांति के लिए "ॐ शुकाय नमः" मंत्र का जाप प्रतिदिन करें। सुहागिन महिलाओं को सौंदर्य प्रसाधन, वस्त्र या इत्र का दान करें।
सकारात्मक प्रभाव: चंद्रमा की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा (6 महीने) की होती है। इस अवधि में व्यक्ति के अंदर कुछ नया और अच्छा करने की प्रेरणा जागती है। चंद्रमा मन का कारक है और सूर्य आत्मा का, इसलिए यह समय आपके मन और आत्मा को दृढ़ बनाता है। व्यक्ति सही निर्णय लेने में सक्षम होता है। व्यक्ति को इस समय धन, मानसिक संतोष और मान-सम्मान मिलता है। साथ ही माता-पिता का आशीर्वाद उसके जीवन में शुभता और प्रगति लाता है।
नकारात्मक प्रभाव: अगर चंद्रमा कमजोर हो और सूर्य पाप ग्रहों की दृष्टि से प्रभावित हो, तो यह समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है। व्य मानसिक चिंता, असंतोष और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से गुजर सकता है। आँखों की परेशानी हो सकती है। दूसरों की सफलता देखकर ईर्ष्या की भावना उत्पन्न हो सकती है, जिससे मन अशांत होता है।
उपाय: प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करें। रविवार के दिन व्रत रखें और गुड़-गेहूँ का दान करें। "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जप करें।
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जानें गुरु की महादशा में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र, शनि, राहु और केतु की अंतर्दशा का जीवन पर प्रभाव, शुभ-अशुभ फल और उपाय।
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