क्या आप जानते हैं शैलपुत्री देवी कवच का पाठ साधक को मानसिक शक्ति, स्थिरता और शुभ फल देता है? जानें इसकी पाठ विधि और अद्भुत लाभ।
नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की आराधना अत्यंत शुभ मानी जाती है। वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और देवी दुर्गा के नवस्वरूपों में प्रथम स्वरूप के रूप में पूजित होती हैं। माँ शैलपुत्री का नाम ही उनके दिव्य स्वरूप को दर्शाता है- "शैल" यानी पर्वत और "पुत्री" यानी पुत्री, अर्थात् वे प्रकृति की शक्ति और स्थिरता का प्रतीक हैं। उनकी उपासना से साधक को अद्भुत शक्ति, साहस और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
माँ शैलपुत्री का कवच एक रहस्यमय और दिव्य रक्षा कवच है, जिसे सिद्ध करके साधक अपने जीवन के समस्त संकटों, बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति पा सकता है। यह कवच केवल रक्षा प्रदान नहीं करता, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति भी लाता है। कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से इस कवच का पाठ करता है, उसके जीवन में कोई भी नकारात्मक शक्ति प्रभाव नहीं डाल सकती। इस लेख में हम शैलपुत्री देवी कवच, इसके पाठ करने के अलौकिक लाभ, और शुद्ध एवं प्रभावी पाठ विधि को विस्तार से समझेंगे, ताकि आप भी माँ की कृपा प्राप्त कर सकें और अपने जीवन को सुख, समृद्धि और शक्ति से भर सकें।
॥ ध्यान ॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
॥ कवच ॥
ॐ कार्तिकेयि वदनं पातु, ललाटे शंखधारिणी।
नेत्रे मे त्रिनेत्रा मां, श्रोत्रे मां शिवनन्दिनी॥
नासायां पातु वाराही, वदने सर्वमङ्गला।
कण्ठे पातु जगद्धात्री, स्कन्धे मां विकटानना॥
हस्तयोः शूलधारिणी, हृदये पातु पार्वती।
नाभौ पातु जगद्धात्री, जठरे माता चण्डिका॥
गुह्ये गह्वरे मां रक्षेत, पृष्ठे पातु शिवानुजा।
पादयोः मां महादेवी, सर्वाङ्गे शैलसुन्दरी॥
रात्रौ दिवा सर्वदा मां, पातु शैलात्मजा सदा॥
यह कवच साधकों को आध्यात्मिक बल, मानसिक शांति और जीवन में सफलता प्रदान करता है।
नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: यह कवच बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है।
सौभाग्य और समृद्धि: जिन व्यक्तियों को आर्थिक परेशानियां होती हैं, उनके लिए यह कवच अत्यंत लाभकारी है।
मानसिक शांति: जीवन में मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद से मुक्ति पाने के लिए इस कवच का नित्य पाठ करना शुभ होता है।
संतान सुख प्राप्ति: यह कवच नि:संतान दंपत्तियों के लिए भी लाभकारी है। माता शैलपुत्री की कृपा से संतान प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
रोग नाशक: इस कवच के प्रभाव से रोगों का नाश होता है और व्यक्ति को दीर्घायु प्राप्त होती है।
सभी संकटों से सुरक्षा: जीवन में आने वाले हर प्रकार के संकटों से यह कवच व्यक्ति की रक्षा करता है।
आध्यात्मिक उन्नति: साधक के चित्त को एकाग्र करता है और ध्यान एवं साधना में सहायता करता है।
शुद्धि और स्नान: प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। स्वच्छ और शांत स्थान पर आसन लगाएं।
मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें: देवी शैलपुत्री की मूर्ति, चित्र या यंत्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
शुद्ध घी का दीपक जलाएं: गाय के घी का दीपक जलाकर, पुष्प और धूप अर्पित करें।
संकल्प लें: सच्चे हृदय से मां शैलपुत्री का ध्यान करें और पाठ करने का संकल्प लें।
मां शैलपुत्री का ध्यान करें: "ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
कवच का पाठ करें: पूरे विधि-विधान से शैलपुत्री देवी कवच का पाठ करें।
आरती करें: अंत में देवी की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
नियमित पाठ करें: नवरात्रि के प्रथम दिन से प्रारंभ कर नित्य पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
मां शैलपुत्री का कवच जीवन को न केवल सुख-समृद्धि से भर देता है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी प्रदान करता है। इस कवच के नियमित पाठ से मन की शुद्धि, बाधाओं से मुक्ति और सभी संकटों का समाधान संभव होता है। यदि कोई श्रद्धालु विधिपूर्वक इसका पाठ करता है, तो उसे निश्चित ही मां की कृपा प्राप्त होती है।
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