कामकला काली
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कामकला काली

क्या आप जानते हैं कामकला काली साधना के पीछे छिपे रहस्य और इससे मिलने वाले शक्तिशाली लाभ? जानिए पूरी विधि और लाभ विस्तार से।

कामकला काली कवच के बारे में

कामकला देवी कवच एक पवित्र मंत्र है, जिसमें देवी कामकला की महिमा और सुरक्षा का वर्णन किया गया है। यह तंत्र और शक्ति साधना से जुड़ी किताबों में मिलता है और साधकों के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है।

कामकला काली कवच

॥ श्री कामकला काली कवचम् ॥

ॐ अस्य श्री कामकला काली कवचस्य

भगवान् सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः,

श्री कामकला काली देवता, मम सर्वरक्षार्थे जपे विनियोगः ॥

ॐ कालीं कालि महाकाली भद्रकाली नमोऽस्तु ते।

चण्डि चण्डे महाचण्डे सर्वदुष्ट विनाशिनी ॥ 1 ॥

कामकला जगद्धात्रि सर्वशक्ति स्वरूपिणी।

रक्ष मां सर्वदा देवी सर्वदुष्ट निवारिणी ॥ 2 ॥

अग्निज्वाला महाशक्ति सर्वरोग निवारिणी।

कामकला महामाया सर्वसिद्धि प्रदायिनी ॥ 3 ॥

रक्तबीजप्रमथिनी चामुण्डा भीषणाकृति।

शत्रून् संहर मां रक्ष भद्रकाली नमोऽस्तु ते ॥ 4 ॥

इदं कवचं दिव्यं सर्वसिद्धि प्रदायकम्।

सर्वरोग प्रशमनं सर्वशत्रु विनाशनम् ॥ 5 ॥

या पठेच्छृणुयाद्वापि भक्त्या श्रद्धासमन्वितः।

तस्य सर्वाणि सिद्ध्यन्ति कामकलाभिरक्षितः ॥ 6 ॥

॥ इति श्री कामकला काली कवचं सम्पूर्णम् ॥

कामकला देवी कवच का पाठ करने के लाभ

कामकला काली कवच देवी काली का एक शक्तिशाली मंत्र है, जिसे पढ़ने से इंसान को सुरक्षा, सफलता और आत्मबल मिलता है। यह कवच नकारात्मक शक्तियों, शत्रुओं और जीवन की परेशानियों से बचाव करता है।

बुरी शक्तियों से रक्षा

यह कवच बुरी आत्माओं, भूत-प्रेत और तांत्रिक प्रभाव से बचाता है। अगर किसी पर बुरी नजर या जादू-टोने का असर है, तो यह उसे दूर करता है।

शत्रुओं से बचाव

जो लोग दुश्मनों से परेशान हैं, उन्हें इस कवच का पाठ करना चाहिए। यह शत्रुओं की बुरी योजनाओं को विफल कर देता है। कानूनी मामलों में भी जीत दिलाने में मदद करता है।

मन की शांति और आत्मविश्वास

डर, चिंता और तनाव को दूर करता है। आत्मबल और हिम्मत बढ़ाता है। दिमाग को शांत और सकारात्मक बनाता है।

तांत्रिक और आध्यात्मिक साधना में सहायक

यह तंत्र साधना करने वालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ध्यान और पूजा में मन को स्थिर रखने में मदद करता है। देवी काली की कृपा पाने में सहायता करता है।

रोग और परेशानियों से छुटकारा

यह कवच कई तरह की बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। लगातार बीमार रहने वाले लोग इसका पाठ करें तो फायदा होता है। घर-परिवार की समस्याओं को दूर करने में भी मददगार है।

धन और सफलता बढ़ाने में मदद

व्यापार, नौकरी और करियर में उन्नति दिलाता है। पैसे से जुड़ी परेशानियों को दूर करता है। घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।

ग्रह दोष और कुंडली दोष का निवारण

यह शनि, राहु, केतु और मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करता है। पितृ दोष, कालसर्प दोष जैसी कुंडली की समस्याओं को हल करता है। अचानक आने वाली परेशानियों को टालने में मदद करता है।

कामकला देवी कवच पाठ विधि

कामकला देवी कवच पढ़ने से देवी काली की कृपा प्राप्त होती है और साधक को नकारात्मक शक्तियों, शत्रुओं और जीवन की बाधाओं से रक्षा मिलती है। इस कवच का सही तरीके से पाठ करने से इसका प्रभाव अधिक बढ़ जाता है।

पाठ करने की सही विधि

कब करें?

यह पाठ रोज़ किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को विशेष लाभकारी होता है। अमावस्या, पूर्णिमा या नवमी तिथि को करना सबसे शक्तिशाली माना जाता है।

रात के समय (12 बजे के बाद) करने से तांत्रिक प्रभाव सबसे अधिक होता है, लेकिन सुबह या शाम को भी किया जा सकता है।

स्थान का चयन

साफ और शांत जगह का चयन करें। यदि संभव हो तो यह पाठ मंदिर या घर के पूजा स्थान में करें। अगर तांत्रिक प्रयोग के लिए कर रहे हैं तो इसे शिवालय, श्मशान, पीपल वृक्ष के पास या नदी किनारे करना लाभकारी माना जाता है।

स्नान और शुद्धिकरण

पाठ करने से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। काले या लाल वस्त्र पहनना श्रेष्ठ माना जाता है। अपने आसन को शुद्ध करने के लिए उस पर थोड़ा गंगाजल छिड़क लें।

देवी काली की पूजा करें

देवी काली की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। काले तिल, गुड़, नारियल, लाल फूल, धूप, दीप और काली मिर्च का अर्पण करें। "ॐ क्रीं कालिकायै नमः" मंत्र से पूजा करें। काली माता को जवाफूल (हिबिस्कस) का फूल अर्पित करें, यह उन्हें बहुत प्रिय होता है।

कामकला काली कवच का पाठ करें

पहले 108 बार "ॐ क्रीं कालिकायै नमः" मंत्र का जाप करें। फिर पूरे कामकला काली देवी कवच का पाठ करें। अगर विशेष सिद्धि चाहिए, तो इसे 21, 51 या 108 दिन तक लगातार करें। अगर केवल सुरक्षा और आशीर्वाद के लिए कर रहे हैं, तो इसे रोज़ाना या शनिवार-मंगलवार को करें।

हवन

पाठ के बाद हवन करना चाहें तो 108 बार "ॐ क्रीं कालिकायै स्वाहा" मंत्र से आहुति दें। काले तिल, घी, गुड़ और नारियल को हवन सामग्री में मिलाएं।

प्रसाद वितरण और समापन

अंत में देवी काली की आरती करें। काली माता को गुड़, नारियल या कोई मिठाई अर्पित करें और उसे प्रसाद के रूप में बांटें। माता से रक्षा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।

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Published by Sri Mandir·April 8, 2025

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