पुरी में घूमने की जगह
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पुरी में घूमने की जगह

पुरी में घूमने की जगहों की तलाश है? यहां जानिए उन पावन स्थलों और दर्शनीय जगहों के बारे में, जिन्हें देखे बिना पुरी यात्रा अधूरी मानी जाती है।

पुरी में घूमने की जगह के बारे में

पुरी, ओडिशा का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ स्थित जगन्नाथ मंदिर हिंदू श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र है। समुद्र तट के दर्शन, गुंडिचा मंदिर, लोकनाथ मंदिर और रथ यात्रा का अनुभव भी बेहद आध्यात्मिक और मन को शांति देने वाला होता है। आइये जानते हैं इसके बारे में...

पुरी में घूमने की जगह

अगर आप सोच रहे हैं कि इस बार की छुट्टियों में कहां जाएं, तो एक ऐसी जगह चुनिए जहां सैर के साथ-साथ आत्मा को भी सुकून मिले।

भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक, ओडिशा का पुरी शहर सिर्फ समुद्र तटों और रथ यात्रा के लिए ही नहीं, बल्कि अपने भव्य और ऐतिहासिक मंदिरों के लिए भी मशहूर है। घूमने की जगहों की बात करें तो पुरी का जिक्र बिना मंदिरों के अधूरा है। इस आर्टिकल में हम आपको पुरी के उन प्रमुख मंदिरों की सैर कराएंगे, जो धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद खास हैं। आइए जानते हैं पुरी के 6 प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में, जिन्हें अपनी यात्रा सूची में जरूर शामिल करना चाहिए।

1. श्री जगन्नाथ मंदिर

मुख्य विशेषताएं

  • यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के अवतार श्री जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है।
  • 12वीं सदी में गंगा वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा बनवाया गया।
  • यह मंदिर चार धामों में से एक है (बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम, पुरी)
  • यहां हर साल भव्य रथ यात्रा होती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
  • मंदिर की वास्तुकला ‘कलिंग शैली’ की उत्कृष्ट मिसाल है।

पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर न सिर्फ ओडिशा बल्कि पूरे भारत का धार्मिक हृदयस्थल है। इसे देखने लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मंदिर का मुख्य आकर्षण है यहां की रथ यात्रा, जिसमें तीन विशाल रथों पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को नगर भ्रमण के लिए ले जाया जाता है। 12वीं सदी में बने इस मंदिर की ऊंचाई करीब 65 मीटर है और इसकी नक्काशी देखने लायक होती है। मंदिर परिसर में 120 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं। इस मंदिर का प्रसाद ‘महाप्रसाद’ कहलाता है, जिसे हज़ारों लोगों में रोज़ बांटा जाता है।

2. गुंडिचा मंदिर

मुख्य विशेषताएं

  • यह मंदिर रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का अस्थायी निवास बनता है।
  • इसे ‘जगन्नाथ जी की मौसी का घर’ भी कहा जाता है।
  • रथ यात्रा में भगवान यहां सात दिनों तक रहते हैं।
  • मंदिर का निर्माण 16वीं सदी में हुआ।
  • शांत वातावरण और हरे-भरे बगीचों से घिरा हुआ है।

गुंडिचा मंदिर, श्री जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित है और इसे भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। जब रथ यात्रा निकलती है, तो भगवान सात दिनों तक इसी मंदिर में विश्राम करते हैं। इसकी सरल लेकिन प्रभावशाली स्थापत्य शैली और शांति प्रिय वातावरण इसे एक विशेष स्थान बनाते हैं। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि गुंडिचा मंदिर में भगवान ज्यादा प्रसन्न होते हैं।

3. लोकनाथ मंदिर

मुख्य विशेषताएं

  • यह भगवान शिव को समर्पित है।
  • माना जाता है कि मंदिर का शिवलिंग हमेशा जल में डूबा रहता है।
  • इसे स्वयं श्रीराम द्वारा स्थापित किया गया बताया जाता है।
  • शिवरात्रि और सावन माह में यहां भारी भीड़ रहती है।
  • पास ही एक प्राचीन कुआं है, जिसका जल पवित्र माना जाता है।

पुरी के लोकनाथ मंदिर में भगवान शिव के रूप में श्रद्धालु आस्था प्रकट करते हैं। कहा जाता है कि यह शिवलिंग राम द्वारा स्थापित किया गया था, और यही वजह है कि यह मंदिर भगवान राम से भी जुड़ा हुआ है। यहां का शिवलिंग साल भर जल में डूबा रहता है, और सिर्फ विशेष अवसरों पर ही पूरी तरह दिखाई देता है। शिवभक्तों के लिए यह मंदिर बेहद खास है, विशेष रूप से शिवरात्रि के दिन।

4. मार्कंडेश्वर मंदिर

मुख्य विशेषताएं

  • यह मंदिर ऋषि मार्कंडेय को समर्पित है।
  • मंदिर के पास एक प्राचीन कुंड है- मार्कंडेय टैंक।
  • यहां भगवान शिव की पूजा होती है।
  • मंदिर परिसर में अनेक छोटे-छोटे मंदिर हैं।
  • वास्तुकला में प्राचीन काल का प्रभाव स्पष्ट नजर आता है।

मार्कंडेश्वर मंदिर एक शांत वातावरण में स्थित है और ऋषि मार्कंडेय की तपस्थली माना जाता है। यहां पास में ही एक विशाल टैंक (तालाब) है जिसे मार्कंडेय टैंक कहा जाता है, जहां श्रद्धालु स्नान कर पूजा करते हैं। इस मंदिर में शिवलिंग के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी देखी जा सकती हैं। यहां की शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा इसे खास बनाती है।

5. आलारनाथ मंदिर

मुख्य विशेषताएं

  • यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
  • रथ यात्रा के दौरान जब जगन्नाथ मंदिर बंद रहता है, तब श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।
  • यहां भगवान को ‘चतुर्भुज रूप’ में पूजा जाता है।
  • भक्तों को यहां प्रसाद के रूप में ‘खीर’ दिया जाता है।
  • यह मंदिर ब्रह्मगिरि गांव में स्थित है, पुरी से करीब 25 किलोमीटर दूर।

पुरी की यात्रा अगर रथ यात्रा से जुड़ी हो तो आलारनाथ मंदिर की यात्रा भी जरूरी है। जब श्री जगन्नाथ मंदिर रथ यात्रा से पहले 15 दिनों के लिए बंद हो जाता है (अनवसर काल), तब भक्त आलारनाथ मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं। यह मंदिर भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप को समर्पित है। यहां की ‘खीर’ प्रसाद के रूप में काफी प्रसिद्ध है और इसे बहुत श्रद्धा से ग्रहण किया जाता है।

6. साक्षी गोपाल मंदिर

मुख्य विशेषताएं

  • भगवान कृष्ण को समर्पित यह मंदिर एक रोचक कथा पर आधारित है।
  • मान्यता है कि भगवान स्वयं गवाह बनकर भक्त के साथ चले थे।
  • पुरी से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है।
  • विवाह और कानूनी विवादों में न्याय की मांग करने वाले भक्त यहां आते हैं।
  • मंदिर का स्थापत्य काफी आकर्षक है।

साक्षी गोपाल मंदिर एक खास मान्यता के साथ जुड़ा हुआ है – यहां भगवान श्रीकृष्ण साक्षी (गवाह) बनकर एक भक्त के साथ न्याय के लिए चले थे। यही कारण है कि इस मंदिर को ‘साक्षी गोपाल’ कहा जाता है। यह मंदिर न्याय और सच्चाई की प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से कोई वचन देता है, वह यहां आकर भगवान को साक्षी मानते हुए अपनी बात कहते हैं।

निष्कर्ष

पुरी की यात्रा केवल एक पर्यटन स्थल की सैर नहीं है, बल्कि यह आत्मा को छू लेने वाली एक आध्यात्मिक अनुभूति है। यहां के मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भारत की संस्कृति, कला और इतिहास का जीवंत चित्रण भी हैं। यदि आप शांति, भक्ति और वास्तुकला का अद्भुत संगम एक साथ देखना चाहते हैं, तो पुरी के इन मंदिरों की यात्रा जरूर करें।

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Published by Sri Mandir·April 30, 2025

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