ग्वालियर में घूमने की जगह
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ग्वालियर में घूमने की जगह

ग्वालियर में घूमने की जगह ढूंढ रहे हैं? आइए जानें उन खास धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के बारे में, जिन्हें हर यात्री को ज़रूर देखना चाहिए।

ग्वालियर में घूमने की जगह के बारे में

ग्वालियर, मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगर है, जो हिंदू धर्म के विभिन्न तीर्थस्थलों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ कुछ प्रमुख धार्मिक स्थल हैं जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, आइये जानते हैं इसके बारे में...

ग्वालियर में घूमने की जगह: एक आध्यात्मिक यात्रा

घूमने की जगह वाले इस टॉपिक में अगर आप ग्वालियर शहर को चुनते हैं, तो आप न सिर्फ इतिहास और किलों की भव्यता का अनुभव करेंगे, बल्कि आपको यहां आध्यात्मिकता की भी अनमोल झलक मिलेगी। मध्य प्रदेश के इस ऐतिहासिक नगर को जहां एक ओर तोपों और तलवारों की गूंज के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर यहां के मंदिर श्रद्धा, संस्कृति और शांति के अद्भुत संगम हैं। इस लेख में हम ग्वालियर के उन प्रमुख मंदिरों की बात करेंगे जो न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थापत्य कला, इतिहास और संस्कृति के भी अनमोल उदाहरण हैं।

1. सास-बहू मंदिर

मुख्य विशेषताएं:

  • भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर 11वीं शताब्दी में बना था।
  • निर्माण कच्छपघात वंश के राजा महिपाल द्वारा कराया गया।
  • ‘सास-बहू’ नाम वास्तव में ‘सहस्त्रबाहु’ (हज़ार भुजाओं वाले विष्णु) से उत्पन्न हुआ है।
  • यह दो मंदिरों का समूह है – एक बड़ा (सास) और एक छोटा (बहू)।
  • ग्वालियर किले के अंदर स्थित है।
  • जटिल नक्काशी और उत्कृष्ट शिल्प कला का उदाहरण।

संक्षिप्त विवरण:

सास-बहू मंदिर ग्वालियर का एक ऐतिहासिक रत्न है जो सहस्त्रबाहु विष्णु को समर्पित है। इसकी दीवारों पर बनी मूर्तियाँ और नक्काशी स्थापत्य कौशल की मिसाल हैं। दो मंदिरों के इस समूह में एक विशाल और दूसरा छोटा है, जिसे स्थानीय लोग सास और बहू के नाम से जानते हैं। यह स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों दृष्टियों से आकर्षक है।

2. तेली का मंदिर

मुख्य विशेषताएं:

  • यह ग्वालियर का सबसे ऊंचा मंदिर है (लगभग 100 फीट)।
  • 9वीं सदी में निर्मित।
  • नागर और द्रविड़ स्थापत्य शैलियों का मिश्रण।
  • भगवान विष्णु और शिव दोनों के प्रतीक यहां मौजूद हैं।
  • मंदिर का नाम किसी तेली जाति के दानदाता से जुड़ा माना जाता है।

संक्षिप्त विवरण:

तेली का मंदिर स्थापत्य का अद्वितीय उदाहरण है। इसकी ऊंचाई और शैली इसे विशिष्ट बनाती है। ग्वालियर किले के भीतर स्थित यह मंदिर अपने भव्य द्वार और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। इतिहास और धर्म के संगम का ये मंदिर पर्यटकों का विशेष आकर्षण है।

3. सूर्य मंदिर

मुख्य विशेषताएं:

  • 1988 में G.D. बिड़ला द्वारा बनवाया गया।
  • डिज़ाइन कोणार्क के सूर्य मंदिर से प्रेरित।
  • लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से निर्मित।
  • भगवान सूर्य की दिव्य प्रतिमा मुख्य आकर्षण।
  • साधना और ध्यान के लिए शांत स्थल।

संक्षिप्त विवरण:

ग्वालियर का सूर्य मंदिर आधुनिक काल में निर्मित होते हुए भी प्राचीन मंदिरों जैसी गरिमा रखता है। कोणार्क की झलक इसमें स्पष्ट देखी जा सकती है। इसका शांत वातावरण और सुंदरता मन को सुकून देती है। यह एक अद्वितीय दर्शनीय स्थल है।

4. गुप्तेश्वर महादेव मंदिर

मुख्य विशेषताएं:

  • प्राचीन गुफा में स्थित शिव मंदिर।
  • भगवान शिव ने यहां गुप्त तपस्या की, ऐसी मान्यता है।
  • सुभाष नगर क्षेत्र में स्थित।
  • शिवरात्रि पर भव्य उत्सव और मेले का आयोजन।
  • प्राकृतिक जलधारा और गुफा अद्वितीय आकर्षण।

संक्षिप्त विवरण:

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर एक रहस्यमय स्थल है जो श्रद्धा और शांति दोनों का प्रतीक है। गुफा के भीतर स्थित शिवलिंग और आसपास बहती जलधारा इसे दिव्य अनुभव वाला स्थल बनाते हैं। यह ग्वालियर के धार्मिक स्थलों में प्रमुख स्थान रखता है।

5. काल भैरव मंदिर

मुख्य विशेषताएं:

  • भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव को समर्पित।
  • हजीरा क्षेत्र में स्थित।
  • भक्तों द्वारा शराब चढ़ाने की अनोखी परंपरा।
  • कालभैरव अष्टमी विशेष पर्व होता है।
  • पुरानी मूर्तियां और रहस्यमय माहौल।

संक्षिप्त विवरण:

काल भैरव मंदिर तांत्रिक परंपराओं और लोक विश्वासों का केंद्र है। यहां भक्त श्रद्धा के साथ भैरव बाबा को शराब चढ़ाते हैं। मंदिर का वातावरण और परंपराएं इसे अन्य मंदिरों से अलग पहचान दिलाते हैं। रात्रि की पूजा और विशेष पर्वों पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

6. अचलेश्वर महादेव मंदिर

मुख्य विशेषताएं:

  • लश्कर क्षेत्र में स्थित प्रमुख शिव मंदिर।
  • यहां की शिवलिंग स्वयंभू मानी जाती है।
  • शिवरात्रि पर भव्य मेला और पूजा आयोजन होता है।
  • तुलसी वाटिका और छोटा सरोवर परिसर में मौजूद।
  • स्थानीय लोगों में गहरी आस्था।

संक्षिप्त विवरण:

अचलेश्वर महादेव मंदिर ग्वालियर के निवासियों के लिए गहरी आस्था का केंद्र है। इसकी स्वयंभू शिवलिंग और शांत वातावरण श्रद्धालुओं को गहराई से जोड़ता है। त्योहारों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है, जो मंदिर की लोकप्रियता को दर्शाता है।

7. सिद्धाचल जैन गुफा मंदिर

मुख्य विशेषताएं:

  • जैन तीर्थंकरों की विशाल प्रतिमाओं से युक्त गुफा मंदिर।
  • ग्वालियर किले की चट्टानों को काटकर निर्मित।
  • 7वीं से 15वीं सदी के बीच निर्माण हुआ।
  • भगवान आदिनाथ और महावीर की विशाल मूर्तियां।
  • जैन श्रद्धालुओं के लिए तीर्थस्थल के रूप में पूज्य।

संक्षिप्त विवरण:

सिद्धाचल गुफा मंदिर जैन धर्म की वास्तुकला का जीवंत उदाहरण है। चट्टानों में उकेरी गई इन मूर्तियों की भव्यता और विस्तार देखने योग्य है। यह स्थल धार्मिक श्रद्धा के साथ-साथ स्थापत्य प्रेमियों को भी आकर्षित करता है।

8. शीतला माता मंदिर

मुख्य विशेषताएं:

  • यह मंदिर देवी शीतला को समर्पित है, जो संक्रामक रोगों से रक्षा की देवी मानी जाती हैं।
  • खासकर माता के त्योहार और शीतला अष्टमी पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
  • मंदिर झांसी रोड के निकट स्थित है, जिससे यहां पहुंचना सुविधाजनक होता है।
  • मंदिर में जलकुंड, पूजा स्थल और प्रसाद वितरण जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

संक्षिप्त विवरण:

ग्वालियर का शीतला माता मंदिर भक्तों की आस्था और आरोग्यता की प्रार्थनाओं का प्रमुख केंद्र है। यहां खासकर महिलाएं और बच्चे देवी से स्वास्थ्य और सुरक्षा की कामना करते हैं। त्यौहारों पर यहां धार्मिक आयोजन और पूजा-पाठ से पूरा परिसर भक्तिमय हो उठता है।

9. साईं बाबा मंदिर

मुख्य विशेषताएं:

  • यह मंदिर श्री साईं बाबा को समर्पित है, जिनकी शिक्षाएं सेवा, श्रद्धा और सबूरी पर आधारित हैं।
  • मुरार क्षेत्र में स्थित इस मंदिर का परिसर शांत और सुव्यवस्थित है।
  • हर गुरुवार को विशेष आरती और भंडारे का आयोजन होता है।
  • मंदिर में साईं बाबा की सुंदर संगमरमर की प्रतिमा स्थापित है।

संक्षिप्त विवरण:

ग्वालियर का साईं बाबा मंदिर शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। यहां हर गुरुवार श्रद्धालु बाबा की आरती में शामिल होते हैं और उनके उपदेशों को जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं। भक्ति, सेवा और सहयोग की भावना से यह स्थल विशेष बन जाता है।

10. चतुर्भुज मंदिर

मुख्य विशेषताएं:

  • यह मंदिर भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप को समर्पित है।
  • 9वीं-10वीं शताब्दी के आसपास निर्मित यह मंदिर ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • यह मंदिर शून्य (०) के सबसे पुराने अंकन के लिए प्रसिद्ध है।
  • यह स्थान इतिहास, गणित और धर्म का संगम है।

संक्षिप्त विवरण:

चतुर्भुज मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारतीय गणितीय इतिहास में भी इसका विशेष स्थान है। यहां पर शून्य का सबसे पुराना लेख अंकित है, जो इस मंदिर को विशिष्ट बनाता है। इसकी प्राचीन मूर्तियां और गहराई में बसी कहानियां इतिहास प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं।

निष्कर्ष:

ग्वालियर के मंदिर केवल पूजा-पाठ के स्थल नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, इतिहास और कला का जीवंत प्रमाण हैं। यहां के मंदिरों में जहां एक ओर पौराणिक कहानियां समाई हैं, वहीं दूसरी ओर इनकी वास्तुकला सदियों पुरानी परंपराओं को आज भी जीवित रखे हुए है। अगर आप ग्वालियर की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इन मंदिरों को अपनी सूची में ज़रूर शामिल करें – क्योंकि यह सिर्फ तीर्थ नहीं, अनुभव हैं।

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Published by Sri Mandir·May 7, 2025

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