अहमदाबाद में घूमने की जगह ढूंढ रहे हैं? जानिए उन खास मंदिरों और दर्शनीय स्थलों के बारे में, जो हर श्रद्धालु और पर्यटक को एक बार ज़रूर देखने चाहिए
अहमदाबाद में साबरमती आश्रम, काकरिया झील, अक्षरधाम मंदिर, जामा मस्जिद, साइंस सिटी, हाटकेश्वर मंदिर और लॉ गार्डन जैसी कई दर्शनीय जगहें हैं। यह शहर ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध अनुभव प्रदान करता है। आइये जानते हैं इसके बारे में...
अगर आप अहमदाबाद घूमने जा रहे हैं, तो इन मंदिरों के दर्शन करना बिल्कुल न भूलें। इस शहर की हवाओं में मंत्र गूंजते हैं, और हर मोड़ पर एक दिव्य कथा छुपी है। यहाँ के मंदिर सिर्फ इमारतें नहीं, आस्था के जीवंत प्रतीक हैं, जहाँ इंद्र ने तप किया, पुरुषोत्तम नारायण की झलक मिलती है और आत्मा को शांति और ब्रह्म का बोध होता है। तो चलिए, ध्यान, धर्म और दर्शन की इस अद्भुत यात्रा पर निकलते हैं, अहमदाबाद के अद्भुत मंदिरों के बारे में जानते हैं।
पुराणों के अनुसार, देवताओं के राजा इंद्र ने पाप से मुक्ति के लिए यहाँ भगवान शिवजी की घोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वयं लिंग रूप में प्रकट हुए और उन्हें पाप मुक्त किया, इसलिए इस स्थल को "देवेंद्रेश्वर" कहा गया है।
यजुर्वेद में शिव को रुद्र, महादेव, और त्र्यम्बक कहा गया है, जो सभी भूत, भविष्य और वर्तमान के स्वामी हैं। यह मंदिर शिव को दोषमोचक और करुणामयी के रूप में दर्शाने वाला स्थल भी है।
देवेंद्रेश्वर महादेव मंदिर को विशेष तौर पर खास तौर पर साधकों, योगी और भगवान शिव के भक्तों के लिए एक तंत्र-स्थल की तरह देखा जाता है। मंदिर की बनावट बेहद साधारण लेकिन शुद्ध ऊर्जा और तप की भावना से भरी हुई मानी जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से यहाँ आकर प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
गुजरात का यह सुप्रसिद्ध मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं है, यह एक धर्म-शिक्षा केंद्र भी है, जहाँ वेद, पुराण, और शास्त्रों का प्रचार-प्रसार किया जाता है। 1822 ई. में बना यह मंदिर भारत के पहले स्वामीनारायण मंदिर के रूप में माना जाता है।
स्वामीनारायण संप्रदाय का दर्शन वेदांत पर आधारित है, विशेषकर उपनिषदों, भगवद्गीता और ब्रह्मसूत्रों पर। वेदों में जिस पुरुषोत्तम नारायण की चर्चा है। वह ईश्वर, जो सगुण और निर्गुण दोनों रूपों में पूज्य है, स्वामीनारायण संप्रदाय उसी नारायण स्वरूप की पूजा करता है। भागवत पुराण में जिस धर्म की रक्षा के लिए भगवान समय-समय पर अवतार लेते हैं, स्वामीनारायण को उसी धर्मसंस्थापक रूप में माना गया है। उन्होंने अहिंसा, ब्रह्मचर्य, स्त्री-सम्मान, और नशा-मुक्त जीवन जैसे विषयों पर कार्य किया। जो मनु स्मृति और धर्मशास्त्रों के आदर्शों से प्रेरित थे।
अहमदाबाद के गांधीनगर में स्थित श्री अक्षरधाम मंदिर आधुनिक युग का एक दिव्य तीर्थ है, जिसकी जड़ें गहराई से वेदों, उपनिषदों और पुराणों में निहित हैं। मुण्डकोपनिषद, श्वेताश्वतर उपनिषद में उल्लेख है कि अक्षर और पुरुषोत्तम दो परम तत्व हैं और अक्षरधाम इन्हीं दोनों के दर्शन को समर्पित है।
इस मंदिर का मुख्य गर्भगृह भगवान स्वामीनारायण की गोल्ड-प्लेटेड मूर्ति से युक्त है, जो पूर्ण पुरुषोत्तम नारायण के रूप में पूजनीय है। यहाँ की दीवारों पर रामायण, महाभारत, और उपनिषदों से प्रेरित चित्रकारी है, जो दर्शकों को दर्शन और भक्ति की ओर प्रेरित करती है। मंदिर परिसर में बना संस्मरण-गृह वेदों की शिक्षाओं, आदर्श जीवन, और सत्संग पर गहराई से प्रकाश डालता है।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति मन, वचन और कर्म से इस मंदिर में भक्ति करता है, उसे अक्षरधाम की प्राप्ति होती है।
देवता: भगवान शिव महत्व: चंद्रमा ने अपने श्राप से मुक्ति पाने के लिए यहाँ शिव की तपस्या की थी। विशेषता: समुद्र तट पर स्थित, बाणस्तंभ से अंटार्कटिका तक कोई भू-भाग नहीं।
सोमनाथ मंदिर को बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला माना जाता है। इसका उल्लेख ऋग्वेद, शिव पुराण, और स्कंद पुराण जैसे अनेक प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि चंद्रमा ने अपने श्राप से मुक्ति पाने के लिए यहाँ भगवान शिव की तपस्या की थी। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें मुक्ति दी और सोमनाथ नाम पड़ा। सोम अर्थात चंद्रमा के स्वामी। बाहर से आए लोगों ने इस मंदिर को कई बार नष्ट करने का प्रयास किया लेकिन हर बार मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया भीमदेव प्रथम, राजा भोज, और बाद में सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा। यह मंदिर अरब सागर के किनारे स्थित है, जहाँ पर शिवलिंग के पीछे एक तीर लगाया गया है। इसे बाणस्तंभ कहा जाता है। मान्यता है कि इस तीर की सीधी रेखा में अंटार्कटिका तक कोई भू-भाग नहीं है।
हाटकेश्वर महादेव मंदिर, अहमदाबाद में स्थित भगवान शिव का एक अत्यंत पूजनीय और ऐतिहासिक मंदिर है। हाटकेश्वर नाम दो भागों से मिलकर बना है, हाटक जिसका अर्थ है सोना या दिव्य वैभव एवं ईश्वर मतलब भगवान शिव। इसका अर्थ होता है, वह शिव जो स्वर्ण-प्रकाशमय और सर्वसंपन्न हैं।
पुराणों में भी हाटकेश्वर नामक शिवलिंग का उल्लेख है, जो काशी और सोमनाथ के समकक्ष शक्तिशाली माना गया है। मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने एक बार दिव्य यज्ञ के दौरान हाटक क्षेत्र में विशेष शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसकी वजह से इस स्थान को हाटकेश्वर कहा गया है।
कहा जाता है कि यहाँ आकर शिव के दर्शन करने से व्यक्ति के हर दुख,दर्द दूर हो जाते हैं और उसकी हर मणिकांना पूर्ण होती है।
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