क्या आप जानते हैं वक्रतुंड महाकाय मंत्र से कैसे दूर होते हैं विघ्न और मिलती है सफलता? जानें इसका महत्व, लाभ और जप विधि।
"वक्रतुंड महाकाय" गणेश जी का प्रसिद्ध मंत्र है, जिसे विघ्नहर्ता की कृपा पाने के लिए जपा जाता है। यह मंत्र सभी बाधाओं को दूर करता है, सफलता और समृद्धि प्रदान करता है तथा कार्यों में शुभ फल की प्राप्ति कराता है।
वक्रतुंड महाकाय मंत्र हिंदू धर्म में प्रसिद्ध गणेश उपासना का एक शक्तिशाली मंत्र है। यह मंत्र भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त करने, बाधाओं को दूर करने तथा सफलता प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। इस मंत्र में भगवान गणेश के "वक्रतुंड" (टेढ़े सूंड वाले) और "महाकाय" (विशालकाय स्वरूप) रूप की स्तुति की गई है। मान्यता है कि इस मंत्र के नियमित जप से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की विघ्न-बाधाएँ दूर होती हैं और उसे आध्यात्मिक एवं भौतिक सफलता प्राप्त होती है। यह मंत्र विशेष रूप से गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश पुराण तथा अन्य ग्रंथों में वर्णित है।
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
यह गणेश मंत्र है, जिसका अर्थ है- "हे वक्रतुंड (टेढ़ी सूंड वाले), महाकाय (विशाल शरीर वाले), सूर्यकोटि समप्रभ (करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाश वाले) देव, आप मेरे सभी कार्यों को हमेशा बिना किसी विघ्न के पूरा करें।" इस मंत्र में गणेश जी के विभिन्न पहलुओं का वर्णन है और उनसे प्रार्थना की गई है कि वे भक्तों के सभी कार्यों को बिना किसी बाधा के पूरा करें।
‘वक्र’ का अर्थ है ‘टेढ़ा’ और ‘तुंड’ का अर्थ है ‘सूंड’। गणेश जी की सूंड टेढ़ी होने के कारण उन्हें वक्रतुंड कहा जाता है।
‘महा’ का अर्थ है ‘विशाल’ और ‘काय’ का अर्थ है ‘शरीर’। गणेश जी का शरीर बहुत विशाल है, इसलिए उन्हें महाकाय कहा जाता है।
‘सूर्यकोटि’ का अर्थ है ‘करोड़ों सूर्य’ और ‘समप्रभ’ का अर्थ है ‘समान प्रकाश वाला’। गणेश जी का तेज करोड़ों सूर्यों के समान है, इसलिए उन्हें सूर्यकोटि समप्रभ कहा जाता है।
‘निर्विघ्नं’ का अर्थ है ‘बिना विघ्न के’, ‘कुरु’ का अर्थ है ‘करो’, ‘मे’ का अर्थ है ‘मेरे’, ‘देव’ का अर्थ है ‘हे देव’, ‘सर्वकार्येषु’ का अर्थ है ‘सभी कार्यों में’, और ‘सर्वदा’ का अर्थ है ‘हमेशा’। इस भाग का अर्थ है कि हे देव, मेरे सभी कार्यों को हमेशा बिना किसी विघ्न के पूरा करें।
हे वक्रतुंड, विशालकाय, सूर्य के करोड़ों प्रताप जितने तेजस्वी प्रभु गणेश! कृपया मेरे सभी कार्यों में सदा बिना किसी विघ्न के सफलता प्रदान करें।
गणेशजी को ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है, यह मंत्र हर प्रकार की रुकावटें दूर करता है। नए कार्य की शुरुआत में इसका जप करने से सफलता मिलती है। मन को स्थिरता और आत्मविश्वास प्रदान करता है। मंत्र में ‘सूर्यकोटि समप्रभ’ कहकर गणेशजी की ज्ञान-ज्योति का आह्वान किया गया है। यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। ध्यान और साधना में मन को एकाग्र करने में मदद करता है।
इस मंत्र का जाप करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं, ऐसा माना जाता है।
गणेश जी को बुद्धि का देवता माना जाता है, इसलिए इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि, ज्ञान और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
यह मंत्र सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है, ऐसा माना जाता है कि यह मंत्र।
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