क्या आप जानते हैं गणेश विसर्जन की सही तारीख और मुहूर्त क्या है? जानें 2025 का शेड्यूल, पूजन विधि और पर्यावरण-हितैषी विसर्जन टिप्स।
गणेश विसर्जन गणेश चतुर्थी का अंतिम और महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन भक्त अपने प्रिय गणपति बप्पा को धूमधाम से विदा करते हैं। जल में विसर्जन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अगले वर्ष पुनः आगमन की कामना करते हैं।
गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, भगवान श्रीगणेश के जन्मोत्सव के रूप में श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहाँ भक्तजन अपने घरों और पंडालों में श्रीगणेश की स्थापना कर श्रद्धा, पूजा और भक्ति में लीन हो जाते हैं। इस पर्व का समापन गणेश विसर्जन के साथ होता है। विसर्जन का अर्थ केवल मूर्ति को जल में प्रवाहित करना नहीं है, बल्कि यह गहरा प्रतीकात्मक महत्व रखता है। यह दर्शाता है कि
सृजन और विसर्जन का शाश्वत चक्र – जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है, हर आरंभ का एक अंत होता है और हर अंत से एक नई शुरुआत होती है।
अनासक्ति का भाव – जो प्रिय है, उसे भी सम्मानपूर्वक छोड़ देना ही सच्चा त्याग है।
नवचेतना और नवीनीकरण – आस्था और आत्मविश्वास के साथ नई ऊर्जा से जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा।
विघ्नों का विनाश – सभी बाधाओं को दूर कर एक शुभ आरंभ की ओर अग्रसर होना।
गणपति उत्सव का अंतिम दिन, जब गणेश जी का विसर्जन किया जाता है, अनंत चतुर्दशी होता है। इस वर्ष यह दिन शनिवार, 6 सितंबर 2025 को पड़ेगा। विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त इस प्रकार हैं।
प्रातः काल (शुभ) | 07:36 AM से 09:10 AM |
अपराह्न काल (चर, लाभ, अमृत) | 12:19 PM से 05:02 PM |
सायंकाल (लाभ) | 06:37 PM से 08:02 PM |
रात्रिकाल (शुभ, अमृत, चर) | 09:28 PM से 01:45 AM |
उषाकाल (लाभ) | 04:36 AM से 06:02 AM |
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ | 6 सितंबर 2025 (शनिवार) को प्रातः 03:12 बजे |
चतुर्दशी तिथि समाप्त | 7 सितंबर 2025 (रविवार) को प्रातः 01:41 बजे |
इसके अलावा, भक्त अपनी श्रद्धा और परंपरा के अनुसार विभिन्न दिनों पर भी गणपति विसर्जन करते हैं। उन तिथियों का विवरण निम्नलिखित है:
डेढ़ दिन का विसर्जन | गुरुवार, 28 अगस्त 2025 |
तीसरे दिन का विसर्जन | शुक्रवार, 29 अगस्त 2025 |
पांचवें दिन का विसर्जन | रविवार, 31 अगस्त 2025 |
सातवें दिन का विसर्जन | मंगलवार, 2 सितंबर 2025 |
दसवें दिन (अनंत चतुर्दशी) – मुख्य विसर्जन दिवस | शनिवार, 6 सितंबर 2025 |
गणेश चतुर्थी केवल भगवान गणेश के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह जीवन में नए आरंभ, बुद्धि, सौभाग्य और विघ्नों से मुक्ति का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जब हम पूरे श्रद्धा और विधि-विधान से गणपति की पूजा करते हैं, तो उनके आशीर्वाद से हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
गणपति विसर्जन के साथ हम बप्पा को ससम्मान विदा करते हैं, यह कहते हुए “आओ शुभता के साथ, जाओ आशीर्वाद देकर।” पूरे वातावरण में गणपति बप्पा मोरया! पुढच्या वर्षी लवकर या! (हे गणपति बप्पा, अगले वर्ष जल्दी आना!) के भक्तिमय जयघोष गूंज उठते हैं, जो इस पर्व को त्याग, पुनर्मिलन और आत्मिक जुड़ाव का प्रतीक बना देते हैं। यह पर्व न केवल उत्सव है, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा भी है, जो हमें विनम्रता, आस्था और आत्मिक बल प्रदान करती है।
बप्पा को विदाई देने से पहले, आप नीचे दिए गए गणपति विसर्जन पूजन विधि के अनुसार ये मुख्य अनुष्ठान कर सकते हैं। यदि आपने घर पर छोटी या इको-फ्रेंडली मिट्टी की मूर्ति स्थापित की है, तो आप घर पर ही सरल और पर्यावरण-सम्मत तरीके से विसर्जन कर सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित विधि अपनाएं...
गणपति विसर्जन केवल मूर्ति को जल में प्रवाहित करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर विनम्रता, समर्पण और प्रकृति के प्रति सम्मान की भावना को जाग्रत करता है। गणेश चतुर्थी का पर्व हमें न केवल धार्मिक रूप से जोड़ता है, बल्कि जीवन के मूलभूत सिद्धांतों - श्रद्धा, अनुशासन और संतुलन का गहन संदेश भी देता है।
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