गणेश जी की मूर्ति दरवाजे पर लगाने से क्या होता है?
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गणेश जी की मूर्ति दरवाजे पर लगाने से क्या होता है?

क्या आप जानते हैं दरवाजे पर गणेश जी की मूर्ति लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य बढ़ता है? जानें इसके पीछे की मान्यता और फायदे।

गणपति मूर्ती के बारे में

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि अधिकतर घरों, दुकानों या ऑफिस के मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति या चित्र क्यों लगाया जाता है? यह केवल सजावट का हिस्सा नहीं, बल्कि एक गहरी धार्मिक और वास्तुशास्त्रीय सोच से जुड़ा हुआ परंपरागत विश्वास है। आइए इस आर्टिकल में हम जनते हैं कि गणेश जी की मूर्ति दरवाजे पर लगाने से क्या होता है?

गणेश जी की मूर्ति दरवाजे पर लगाने से क्या होता है?

धार्मिक मान्यता

दरवाजे पर गणेश जी की मूर्ति लगाना केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वास्तु शास्त्रीय मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।

गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, वे हर प्रकार की बाधा, विघ्न और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब गणेश जी घर के प्रवेश द्वार पर विराजमान होते हैं, तो वे एक संरक्षक की तरह काम करते हैं। वे बुरी नजर, ईर्ष्या, और नकारात्मक विचारों को भीतर प्रवेश करने से रोकते हैं। इसलिए बहुत से लोग मुख्य द्वार के ऊपर या दोनों ओर गणेश जी की मूर्ति या चित्र लगाते हैं। गणेश जी सिद्धि (सफलता) और बुद्धि (ज्ञान) के देवता हैं। दरवाजे पर उनकी उपस्थिति को घर में शुभ ऊर्जा के प्रवेश का निमंत्रण माना जाता है।यह विश्वास किया जाता है कि जहां गणेश जी का वास होता है, वहां समृद्धि, सुख-शांति, और सौभाग्य स्वतः ही आते हैं। इसलिए नए घर, दुकान, या ऑफिस के उद्घाटन से पहले गणेश स्थापना की परंपरा निभाई जाती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार लाभ

गणेश जी की मूर्ति मुख्य द्वार पर लगाने से जुड़े नियम और लाभ इस प्रकार हैं।

  • मुख्य द्वार का महत्व:- घर का मुख्य द्वार ऊर्जा का प्रवेश द्वार होता है। इसलिए वास्तु शास्त्र में इसे सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना गया है। गणेश जी की मूर्ति को यहां स्थापित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

  • मूर्ति की स्थिति:- मुख्य द्वार पर बैठी हुई मुद्रा में गणेश जी की प्रतिमा लगाना शुभ होता है, क्योंकि यह स्थिरता, शांति और समृद्धि का प्रतीक है। वहीं खड़ी हुई मुद्रा वाली मूर्ति दरवाजे के बाहर लगाना वास्तु दोष उत्पन्न कर सकती है।

  • मूर्ति का मुख किस ओर हो:- गणेश जी की मूर्ति इस प्रकार लगानी चाहिए कि उनका मुख घर के अंदर की ओर हो। ऐसा करने से उनका आशीर्वाद घर में बना रहता है और विघ्न दूर होते हैं।

  • मुख्य द्वार की दिशा:- यदि घर का मुख्य द्वार उत्तर या दक्षिण दिशा में है, तो वहां गणेश जी की मूर्ति लगाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

  • सूंड़ की दिशा का महत्व:- मूर्ति में बाईं तरफ मुड़ी हुई सूंड को घर के मुख्य द्वार पर सबसे अधिक शुभ माना जाता है। दाईं तरफ सूंड वाली मूर्ति पूजा-पाठ वाले स्थान के लिए उपयुक्त है, लेकिन द्वार पर नहीं।

  • रंग का चयन:- यदि आप सिंदूरी या सफेद रंग की गणेश प्रतिमा लगाते हैं, तो यह सुख, शांति और परिवार की उन्नति का प्रतीक माना जाता है। यह रंग मानसिक शांति और सकारात्मक वातावरण बनाए रखने में मदद करते हैं।

गणेश जी की कौन-सी मूर्ति उचित मानी जाती है?

जब हम घर या मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने की बात करते हैं, तो केवल श्रद्धा ही नहीं, बल्कि मूर्ति का आकार, मुद्रा, सूंड की दिशा और सामग्री भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सही प्रकार की मूर्ति का चयन करना शुभता और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होता है।

  • बैठे हुए गणेश जी: स्थिरता और शांति का प्रतीक

घर के लिए बैठे हुए मुद्रा में गणेश जी की मूर्ति को सबसे शुभ माना गया है। यह मुद्रा धैर्य, स्थिरता और शांति का संकेत देती है। ऐसा विश्वास है कि बैठे हुए गणेश जी घर में संतुलन, सुख और पारिवारिक सामंजस्य बनाए रखते हैं। यह मुद्रा दर्शाती है कि भगवान घर में स्थायी रूप से विराजमान हैं।

  • सूंड की दिशा: विशेष महत्व

बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड को घर, दुकान या ऑफिस के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। यह शीतलता, सौम्यता और सरलता का प्रतीक होती है। इसकी पूजा सामान्य विधि से की जा सकती है और यह सभी के लिए उपयुक्त मानी जाती है। दाईं ओर मुड़ी हुई सूंड की मूर्ति को विशेष पूजा विधि की आवश्यकता होती है। यह मूर्ति ऊर्जावान और तपस्वी स्वरूप मानी जाती है। इसे घर में स्थापित करने पर नियमित और शुद्ध पूजा आवश्यक होती है, अन्यथा इसका विपरीत प्रभाव भी हो सकता है।

  • मूर्ति की सामग्री: पंचतत्वों से जुड़ाव

मिट्टी की मूर्ति को प्राकृतिक और शुद्ध माना जाता है। विशेष रूप से गणेश चतुर्थी पर मिट्टी की मूर्ति स्थापित करने की परंपरा है। धातु की मूर्ति (तांबा, पीतल आदि) स्थायी स्थापना के लिए उपयुक्त मानी जाती है। धातु में ऊर्जा को संग्रहित करने की क्षमता होती है, जिससे दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह पूजा स्थल, मुख्य द्वार या घर के किसी शुभ स्थान पर रखी जा सकती है।

निष्कर्ष

यदि वास्तु शास्त्र के इन सभी सिद्धांतों का ध्यान रखते हुए मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाए, तो यह न केवल आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का स्थायी वास भी सुनिश्चित करती है।

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Published by Sri Mandir·September 4, 2025

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