
क्या आप जानते हैं अरुद्र दर्शन 2026 कब है? जानिए इस पवित्र दिन की तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और भगवान नटराज की कृपा पाने का रहस्य – सब कुछ एक ही जगह!
अरुद्र दर्शन भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा का पवित्र दिन है। यह मार्गशीर्ष महीने में तिरुवाथिरा नक्षत्र के दौरान मनाया जाता है। इस दिन शिव के तांडव नृत्य का उत्सव भक्तिभाव से किया जाता है।
अरुद्रा दर्शन हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक पर्व है, जो भगवान शिव के ब्रह्मांडीय नृत्य (कॉस्मिक डांस) का प्रतीक है। यह पर्व हर वर्ष तमिल महीने मार्गज़ी (दिसंबर–जनवरी) में मनाया जाता है। साल 2026 में अरुद्रा दर्शन 3 जनवरी को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान शिव के नटराज रूप को समर्पित है, जिसमें वे सृष्टि (रचना), पालन और संहार (विनाश) का नृत्य करते हैं।
अरुद्रा दर्शन एक प्रसिद्ध तमिल त्यौहार है जो पूरी तरह भगवान शिव को समर्पित है। यह पर्व तमिल महीने मार्गज़ी (दिसंबर–जनवरी) में मनाया जाता है। इस दिन अरुद्रा नक्षत्रम्, जिसे थिरुवाथिराई नक्षत्रम् भी कहा जाता है, विशेष रूप से शुभ माना जाता है। जब अरुद्रा नक्षत्रम् और पूर्णिमा का दिन एक साथ आते हैं, तभी अरुद्रा दर्शन का पर्व मनाया जाता है।
इस दिन सुबह (सूर्योदय से पहले का समय) में भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा की जाती है। इस अवसर पर वेदों के पवित्र मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। भगवान शिव के नटराज रूप को समर्पित होने के कारण इस दिन को भगवान शिव का जन्मदिवस भी माना जाता है। हालाँकि भारत के अन्य भागों में महा शिवरात्रि को भगवान शिव का जन्मदिवस माना जाता है, लेकिन तमिल परंपरा में अरुद्रा दर्शन का विशेष महत्व है।
यह पर्व भगवान शिव की अनंत ऊर्जा और सृष्टि के चक्र का प्रतीक है। नटराज रूप में शिव पाँच दिव्य क्रियाओं — सृष्टि, संरक्षण, विनाश, अवतार और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह हमें यह संदेश देता है कि ब्रह्मांड का हर कण भगवान शिव की शक्ति से ही गतिशील है।
अरुद्रा दर्शन का पर्व न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह आध्यात्मिक जागरण और सांसारिक समृद्धि दोनों का स्रोत माना गया है। इस पवित्र दिन भगवान शिव के नटराज रूप की उपासना करने से भक्त को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, शांति और संतुलन की प्राप्ति होती है। अरुद्रा दर्शन के दिन व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है।
अरुद्रा दर्शन भगवान शिव के अनंत नृत्य, शक्ति और सृष्टि के चिरंतन चक्र का उत्सव है। यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि ब्रह्मांड की हर गति शिव की ऊर्जा से ही संचालित है। इस पावन अवसर पर की गई पूजा, व्रत और भक्ति से पापों का नाश, आध्यात्मिक जागरण, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। अरुद्रा दर्शन वास्तव में शिव की करुणा और ब्रह्मांडीय चेतना का दिव्य अनुभव है, जहाँ भक्ति ही मोक्ष का मार्ग बन जाती है।
अरुद्र दर्शन भगवान शिव के नटराज रूप की आराधना का पर्व है, जिसमें उनके ब्रह्मांडीय नृत्य (आनंद तांडव) का उत्सव मनाया जाता है। यह दिन शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है और आत्मिक शुद्धि व मोक्ष की प्राप्ति का प्रतीक है।
अरुद्र एक पवित्र नक्षत्र है जो भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। यह उनके नटराज रूप और आनंद तांडव का प्रतीक माना जाता है।
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