
क्या आप जानते हैं मासिक शिवरात्रि 2026 कब है? जानिए इस पवित्र व्रत की तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और भगवान शिव की कृपा पाने का रहस्य – सब कुछ एक ही जगह!
मासिक शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। माघ माह की मासिक शिवरात्रि को अमान्त पञ्चाङ्ग में महाशिवरात्रि कहा जाता है, जबकि फाल्गुन माह की शिवरात्रि को पूर्णिमान्त पञ्चाङ्ग में महाशिवरात्रि मानते हैं। यह भिन्न-भिन्न पञ्चाङ्गों के अनुसार चंद्र मास के नामकरण पर निर्भर करता है। इस लेख में हम मासिक शिवरात्रि के महत्व और पूजा विधि पर और अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे।
जानिए 2026 में मासिक शिवरात्रि के व्रत और पूजा के लिए तिथियाँ और शुभ मुहूर्त
मासिक शिवरात्रि
समय: 11:44 पीएम से 12:33 एएम, अक्टूबर 09
अवधि: 00 घण्टे 49 मिनट्स
माह: आश्विन, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ: 10:15 पीएम, अक्टूबर 08
समाप्त: 09:35 पीएम, अक्टूबर 09
मासिक शिवरात्रि
समय: 11:39 पीएम से 12:31 एएम, नवम्बर 08
अवधि: 00 घण्टे 52 मिनट्स
माह: कार्तिक, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ: 10:47 एएम, नवम्बर 07
समाप्त: 11:27 एएम, नवम्बर 08
मासिक शिवरात्रि
समय: 11:46 पीएम से 12:40 एएम, दिसम्बर 08
अवधि: 00 घण्टे 54 मिनट्स
माह: मार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ: 02:22 एएम, दिसम्बर 07
समाप्त: 04:12 एएम, दिसम्बर 08
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में चित्रभानु नामक एक शिकारी अपने परिवार का पालन-पोषण शिकार से करता था। वह एक साहूकार का कर्ज चुकाने में असमर्थ था, जिसके कारण साहूकार ने उसे शिव मठ में बंदी बना लिया। उसी दिन शिवरात्रि थी और शिकारी ने शिव की कथाएँ सुनीं। अगले दिन साहूकार से कर्ज चुकाने का वचन देकर वह कैद से मुक्त हुआ।
वह जंगल में शिकार करने निकला, लेकिन भूखा-प्यासा और थका हुआ वह एक तालाब के किनारे रात बिताने के लिए एक बेल के पेड़ पर चढ़ गया। उस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था, जो बिल्वपत्रों से ढका हुआ था। शिकारी ने अनजाने में टहनियाँ तोड़ीं, जो शिवलिंग पर गिर गईं, और इस प्रकार उसकी पूजा भी हो गई। रात के पहले पहर में, एक गर्भवती हिरणी तालाब पर पानी पीने आई। उसने शिकारी से कहा कि वह दोनों प्राणियों की हत्या न करे। शिकारी ने तीर छोड़ने के बजाय उसे जाने दिया, और इस दौरान कुछ बिल्वपत्र शिवलिंग पर गिर गए। इस प्रकार, अनजाने में ही पूजा पूरी हुई और शिकारी को भगवान शिव की कृपा प्राप्त हुई। फिर चित्रभानु का हृदय परिवर्तन हो गया और वह भगवान शिव की भक्ति में लीन हो गया। वहीं, अगली सुबह, साहूकार ने चित्रभानु का कर्ज माफ कर दिया, और चित्रभानु ने शिकारी का जीवन त्यागकर स्वयं को एक शिव भक्त के रूप में समर्पित कर दिया।
मासिक शिवरात्रि न केवल शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति और भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त करने का एक साधन भी है और इस शिवरात्रि का महत्व अत्यधिक होता है।
मनोकामनाओं की पूर्तिः मासिक शिवरात्रि का व्रत सच्चे मन से करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कुंवारी लड़कियों की वर को लेकर मनोकामनवाएं पूर्ण होती हैं।
रोग और कष्टों से मुक्तिः इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। जो लोग विभिन्न रोगों या शारीरिक समस्याओं से परेशान होते हैं, वे इस व्रत को करके रोगों से राहत पा सकते हैं।
आध्यात्मिक लाभः मासिक शिवरात्रि का व्रत आध्यात्मिक उन्नति और पारलौकिक ज्ञान की प्राप्ति में सहायक है। यह व्रत आत्मा की शुद्धि करता है और भक्त को भगवान शिव के निकट ले जाता है, जिससे उसे सच्चे ज्ञान की प्राप्ति होती है।
पापों का निवारणः इस व्रत को श्रद्धा और भक्तिभाव से करने से सभी संचित पाप समाप्त हो जाते हैं। यह व्रत व्यक्ति के जीवन में पुण्य का संचार करता है और उसे पापों से मुक्त करता है।
संतान प्राप्तिः मासिक शिवरात्रि का व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेष रूप से संतान सुख की इच्छा रखने वाले लोग इस व्रत को करते हैं, जिससे वे संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं।
धार्मिक समृद्धि और शांतिः इस व्रत से न केवल भौतिक सुख-शांति मिलती है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में धार्मिक समृद्धि और मानसिक शांति भी लाता है। भगवान शिव की पूजा से जीवन में स्थिरता और संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव की पूजा का महत्वपूर्ण अवसर है, जो हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना की जाती है, और इसे श्रद्धा एवं भक्ति के साथ निभाना अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
पूजा में शिवलिंग (मिट्टी या धातु का), पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और पानी), बेल पत्र, फूल (धतूरा, बेल, मोगरा आदि), चंदन, दीपक (घी का), धूप (अगरबत्ती), नैवेद्य (फल, मिठाई), सिंदूर (माता पार्वती के लिए) और रुद्राक्ष की माला (जप के लिए) की आवश्यकता होती है।
स्नान और पूजा स्थल तैयार करें: सर्वप्रथम पूजा से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद एक साफ स्थान पर चौकी बिछाएं और उस पर लाल कपड़ा रखें। शिवलिंग की स्थापना और अभिषेक: चौकी पर शिवलिंग स्थापित करें। फिर शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं और बेल पत्र चढ़ाएं। शृंगार और धूप-दीप: शिवलिंग को फूलों और चंदन से सजाएं। इस कार्य के बाद घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूप दें। इसके अलावा फल और मिठाई का भोग शिवलिंग को अर्पित करें। मंत्र, कथाः शिव पुराण या शिव महापुराण की कथा सुनें और मंत्रों का जाप करें। इस प्रकार, श्रद्धा और नियमपूर्वक मासिक शिवरात्रि पूजा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा पूजन के अंत में भगवान से प्रार्थना अवश्य करें कि यदि विधि-विधान में किसी भी प्रकार की भूल या त्रुटि रह गई हो तो उसे क्षमा कर दें और अपनी कृपा बनाए रखें।
पूजा विधि का पालन करें: भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें। शिवलिंग का अभिषेक करें और बेलपत्र अर्पित करें।
व्रत का पालन करें: यदि संभव हो तो भोले का निर्जला व्रत रखें, ताकि मन और शरीर दोनों की शुद्धि हो।
शिव मंदिर जाएं: यदि संभव हो सके तो किसी शिव मंदिर में दर्शन करने जाएं और वहां पूजा अर्चना करें।
शिव पुराण का पाठ करें: वर्त के दौरान शिव पुराण का पाठ करें या उसकी कथा सुनें, जिससे आध्यात्मिक लाभ मिलेगा।
जरूरतमंदों को दान करें: जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न या पैसे दान करना चाहिए, ताकि पुण्य लाभ प्राप्त हो।
भजन-कीर्तन करें: भगवान शिव के भजन गाएं और उनके नाम का जाप करें, जिससे भक्ति में वृद्धि होती है।
अशुद्ध आहार से बचें: मांस, मछली, अंडे और शराब का सेवन न करें। व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें।
झूठ बोलने से बचें: इस दिन झूठ बोलने से बचें, क्योंकि यह आत्मा को शुद्ध करने में विघ्न डालता है।
गुस्से में न रहें: गुस्से और नफरत से बचें, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करते हैं।
किसी का अपमान न करें: इस दिन किसी का अपमान न करें, यह शांति और सद्भाव को प्रभावित करता है।
नकारात्मक सोच से बचें: नकारात्मक विचारों से दूर रहें और सकारात्मक सोच को बढ़ावा दें।
तर्क-वितर्क से बचें: व्यर्थ के वाद-विवाद और तर्क से बचें, यह मानसिक शांति को भंग करता है। इन नियमों का पालन करने से शिवरात्रि का व्रत आपके जीवन में सुख, समृद्धि लाता है।
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