कामिका एकादशी कब है
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कामिका एकादशी कब है

क्या आप जानते हैं कामिका एकादशी 2026 कब है? जानिए इस व्रत की तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का रहस्य – सब कुछ एक ही जगह!

कामिका एकादशी के बारे में

कामिका एकादशी श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि कामिका एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत सुख, शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

कामिका एकादशी क्या है?

श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करते हैं और कामिका एकादशी व्रत का पालन करते हैं। यह व्रत रखने, भगवान विष्णु की पूजा करने और तुलसी दल चढ़ाने से पापों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन कथा सुनने या दान करने से भी पुण्य मिलता है। मान्यता है इस दिन आस्था भाव से श्री हरि की उपासना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

कामिका एकादशी का धार्मिक महत्व

इस व्रत को रखने से ब्रह्महत्या जैसे महापाप से भी मुक्ति मिलती है और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत करने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है और वह नरक के कष्टों से बचता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से उन्नति की ओर ले जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कामिका एकादशी का व्रत रखने के पुण्य का फल हजारों अश्वमेध यज्ञों के बराबर होता है। जीवन में आने वाली सभी प्रकार की विपत्तियों और संकटों से भी इस व्रत के माध्यम से मुक्ति मिलती है। इस दिन दीपक जलाने वाले व्यक्ति के पितर स्वर्ग में अमृत का पान करते हैं।

कामिका एकादशी कब है?: जानें शुभ मुहूर्त

कामिका एकादशी – 9 अगस्त 2026, रविवार को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि 08 अगस्त, 2026 को 01:59 पी एम बजे प्रारम्भ होगी।

  • एकादशी तिथि का समापन 09 अगस्त, 2026 को 11:04 ए एम बजे होगा।
  • (पारण का) समय - 05:29 ए एम से 08:00 ए एम
  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 08:00 ए एम

शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:02 ए एम से 04:45 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:24 ए एम से 05:29 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:37 ए एम से 12:30 पी एम

विजय मुहूर्त

02:15 पी एम से 03:07 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

06:38 पी एम से 07:00 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

06:38 पी एम से 07:43 पी एम

अमृत काल

06:42 ए एम से 08:09 ए एम

निशिता मुहूर्त

11:42 पी एम से 12:25 ए एम, 10 अगस्त

द्विपुष्कर योग

11:04 ए एम से 02:43 पी एम

कामिका एकादशी व्रत की पूजा विधि

हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस लेख में आप एकादशी की पूजा की तैयारी एवं विधि जानेंगे।

पूजा की तैयारी

  • एकादशी के दिन व्रत करने वाले जातक दशमी तिथि की शाम में व्रत और पूजन का संकल्प लें।
  • दशमी में रात्रि के भोजन के बाद से कुछ भी अन्न या एकादशी व्रत में निषेध चीजों का सेवन न करें।
  • एकादशी के दिन प्रातःकाल उठें, और किसी पेड़ की टहनी से दातुन करें।
  • इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्वयं को चन्दन का तिलक करें।
  • अब भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और नमस्कार करते हुए, आपके व्रत और पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें।
  • अब पूजा करने के लिए सभी सामग्री इकट्ठा करें और पूजा शुरू करें।

एकादशी की पूजा विधि

  • सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके इस स्थान पर एक चौकी स्थापित करें, और इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
  • इसके बाद चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं। इस चौकी के दायीं ओर एक दीप प्रज्वलित करें।
  • (सबसे पहले दीप प्रज्वलित इसीलिए किया जाता है, ताकि अग्निदेव आपकी पूजा के साक्षी बनें)
  • चौकी के सामने एक साफ आसन बिछाकर बैठ जाएं। जलपात्र से अपने बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर दोनों हाथों को शुद्ध करें। अब स्वयं को तिलक करें।
  • अब चौकी पर अक्षत के कुछ दानें आसन के रूप में डालें और इस पर गणेश जी को विराजित करें।
  • इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
  • अब स्नान के रूप में एक जलपात्र से पुष्प की सहायता से जल लेकर भगवान गणेश और विष्णु जी पर छिड़कें।
  • भगवान गणेश को हल्दी-कुमकुम-अक्षत और चन्दन से तिलक करें।
  • इसके बाद वस्त्र के रूप में उन्हें जनेऊ अर्पित करें। इसके बाद पुष्प अर्पित करके गणपति जी को नमस्कार करें।
  • भगवान विष्णु को रोली-चन्दन का तिलक करें। कुमकुम, हल्दी और अक्षत भी चढ़ाएं।
  • अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए श्रीहरि को पुष्प, जनेऊ और माला अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु को पंचामृत में तुलसीदल डालकर अर्पित करें। चूँकि भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है इसीलिए भगवान के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें। (ध्यान दें गणेश जी को तुलसी अर्पित न करें)
  • इसके बाद भोग में मिष्ठान्न और ऋतुफल अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम या श्री हरि स्त्रोतम का पाठ करें, इसे आप श्री मंदिर के माध्यम से सुन भी सकते हैं। अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। अब सभी लोगों में भगवान को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में वितरित करें।

कामिका एकादशी के उपाय और लाभ

उपाय

  • इस दिन निर्जला व्रत करना सबसे उत्तम है।
  • यदि निर्जला उपवास संभव न हो, तो फलाहारी उपवास करें जिसमें फल, दूध, दही और सिंदूरमुक्त व्यंजन शामिल हों।
  • तुलसी, दीपक, फूल और अक्षत से पूजा करें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  • इस दिन कामिका एकादशी की कथा सुनना या पढ़ना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
  • साथ ही विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
  • गरीबों, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को फल, अनाज, वस्त्र या पैसे दान करें।
  • दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • पितरों की संतुष्टि के लिए तर्पण या पिंडदान करें।
  • इससे परिवार में शांति और खुशहाली बनी रहती है।

लाभ

  • इस व्रत को करने से सभी पाप समाप्त होते हैं और व्यक्ति का जीवन शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।
  • व्रती को धन-धान्य, वैभव और पारिवारिक खुशहाली प्राप्त होती है।
  • यह व्रत संतान सुख और वैवाहिक जीवन में प्रेम व सौभाग्य लाने वाला माना जाता है।
  • उपवास, पूजा और भजन से मन का ध्यान भगवान पर केंद्रित होता है।
  • यह व्रत मोक्ष प्राप्ति और आत्मिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • कामिका एकादशी का व्रत करने से शारीरिक और मानसिक रोगों से राहत मिलती है।
  • जीवन में आने वाले संकट और बाधाओं से सुरक्षा प्राप्त होती है।

कामिका एकादशी में क्या करें क्या न करें

कामिका एकादशी में क्या करें

  • निर्जला व्रत सबसे श्रेष्ठ है।
  • अगर निर्जला व्रत संभव न हो, तो फलाहारी व्रत करें (फल, दूध, दही आदि)।
  • तुलसी, दीपक, फूल और अक्षत से पूजा करें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  • कामिका एकादशी की कथा सुनें या पढ़ें।
  • भजन-कीर्तन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • गरीबों, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान दें।
  • दान में अनाज, फल, वस्त्र या पैसे शामिल कर सकते हैं।
  • पितरों के संतोष के लिए तर्पण या पिंडदान करें।
  • इस दिन मन को शुद्ध रखें और सकारात्मक, धार्मिक कर्मों में व्यस्त रहें।

कामिका एकादशी में क्या न करें

  • मांस, मछली, अंडा और शराब बिल्कुल न खाएं।
  • झगड़ा, नकारात्मक विचार और क्रोध से दूर रहें।
  • अत्यधिक मेहनत और कठोर काम न करें।
  • चोरी, छल, जुआ या किसी के नुकसान के काम न करें।
  • पूजा और कथा के बाद उचित विश्राम करें।
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Published by Sri Mandir·December 24, 2025

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