जगन्नाथ चालीसा
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जगन्नाथ चालीसा

क्या आप चाहते हैं भगवान जगन्नाथ की कृपा? अभी पढ़ें श्री जगन्नाथ चालीसा और अपने जीवन में सुख-शांति का अनुभव करें!

जगन्नाथ चालीसा के बारे में

भगवान जगन्नाथ हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं, जो भगवान विष्णु के पूर्ण कला श्रीकृष्ण का ही एक रूप माने जाते हैं। उनका सबसे प्रसिद्ध मंदिर ओडिशा राज्य के पुरी शहर में स्थित है, जिसे जगन्नाथ पुरी धाम के नाम से जाना जाता है। यह चार धामों में से एक है, जिसका हिंदू धर्म में बहुत महत्व है।

भगवान जगन्नाथ और उनकी चालीसा का महत्व

मान्यता है कि जगन्नाथ पुरी को "धरती का वैकुंठ" भी कहा जाता है। भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्तियां, जिनमें केवल बड़ी-बड़ी आंखें हैं, यह दर्शाती हैं कि वे अपने भक्तों को हर पल देखते रहते हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

  • जगन्नाथ चालीसा भगवान जगन्नाथ को समर्पित एक भक्तिमय पाठ है। इसका पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
  • चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में सुख और सौभाग्य आता है।
  • यह पाठ व्यक्ति को धनी बनाता है और उसे जीवन में तरक्की दिलाता है।
  • जगन्नाथ चालीसा के पाठ से सभी प्रकार के कष्टों और संतापों का नाश होता है।
  • ज्ञान और विवेक की प्राप्ति: इसके पाठ से ज्ञान और विवेक में वृद्धि होती है।
  • यह भक्तों को हर मुसीबत से बचाता है और उनके घर-आंगन में खुशियां लाता है।
  • यह भक्तों को आध्यात्मिक रूप से उन्नत करता है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है।

जगन्नाथ चालीसा

॥दोहा॥

जय जगन्नाथ स्वामी जय बलभद्र संभाव।

जय सुबद्रा ताई अग्या करैं सब काज॥

॥चालीसा॥

जय जगन्नाथ दयालु दया निधान।

करुणा रस सिन्धु नयन अन्धकार।।

कटकट धनुस विराजत शंखाधार।

मुख में कमल नैनन में चकार।।१।।

कनकमय शीश नव चारु चंद्र भाला।

नख सिखर छवि गंजित सोहे बाला।।२।।

अरुणांचल मुकुट श्रिया सोहत नूप।

मुख में मुरली बनमाल अजरे।।३।।

शंख बाजे मृदुँग बाजत ताल।

वज्रांकुश गदा शुभ बदन काल।।४।।

रक्त अंग वस्त्र बिभूषण बाजत।

प्रतीत शोभित नील विशाल जाजत।।५।।

आवत धावत तब जू तार गृहवत।

कारज सर्व करैं सुधीर बुधवत।।६।।

शची जब भय भए सागर पार।

रामदास कहैं बेद बिख्यात।।७।।

श्री जगन्नाथ चालीसा जो कोई।

गावैं पाठ करैं कलेश नखटाई।।८।।

जो यह पाठ करे मन लाई।

तेस ही कृपा करहु जगदीश।।९।।

॥दोहा॥

पवन तनय संकट हरण गोसाई।

कृपा द्रिष्टि तुम्हारी करहु विलासा।।

जगन्नाथ चालीसा पाठ विधि और नियम

विधि

  • सुबह जल्दी उठने के बाद शरीर की शुद्धि हेतु स्नान करें और स्वच्छ कपड़ों का चयन करें।
  • पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
  • पूजन के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और माता सुभद्रा की मूर्ति या चित्र श्रद्धा पूर्वक स्थान पर रखें।
  • एक चौकी पर पीला या लाल वस्त्र बिछाकर मूर्तियों/चित्र को विराजमान करें।
  • भगवान को फल और मिठाई का भोग लगाएं। खिचड़ी भगवान जगन्नाथ को विशेष रूप से प्रिय है, इसलिए यदि संभव हो तो उसका भोग लगाएं।
  • बैठने के लिए एक साफ आसन (कुशा या कपड़े का) बिछाएं।
  • हाथ जोड़कर भगवान जगन्नाथ का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके पाठ को स्वीकार करें।
  • भगवान जगन्नाथ के मंत्रों का जाप करें, जैसे- "नीलाचल निवासाय नित्याय परमात्मने, बलभद्र सुभद्राभ्यां जगन्नाथाय ते नमः", "ॐ विश्वमूर्तये जगन्नाथाय नमः", "अनंताय जगन्नाथाय नमः"
  • "ॐ नमो भगवते जगन्नाथाय:" आप 11 या 108 बार इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
  • अब जगन्नाथ चालीसा का पाठ शुरू करें। इसे स्पष्ट उच्चारण और शांत मन से पढ़ें।
  • चालीसा पाठ समाप्त होने पर, भगवान जगन्नाथ की आरती करें।

नियम

  • पाठ करते समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • सुबह या शाम को पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है। एकादशी, पूर्णिमा, चतुर्दशी या रथयात्रा जैसे शुभ दिनों में पाठ करने से अधिक फल प्राप्त होता है।
  • पाठ करते समय हमेशा आसन पर बैठें।
  • पाठ के दिनों में (और यदि संभव हो तो एक दिन पहले से) मांसाहार और मद्यपान से बचें।
  • चालीसा के शब्दों का सही और स्पष्ट उच्चारण करें। यदि संभव हो, तो पहले सुनकर अभ्यास करें।
  • कुछ परंपराओं में चालीसा के अंत में जहां "तुलसीदास सदा हरि चेरा" आता है, वहां अपना नाम जोड़ने की बात कही जाती है, जैसे "[आपका नाम] सदा हरि चेरा"। यह व्यक्तिगत प्रार्थना को और गहरा बनाता है।

जगन्नाथ चालीसा पाठ के लाभ

  • जगन्नाथ चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के सभी ज्ञात और अज्ञात पापों का नाश होता है।
  • जो भक्त नियमित रूप से इस चालीसा का पाठ करते हैं, उनके जीवन से सभी प्रकार के दुख, कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं।
  • यह पाठ बुद्धि और विवेक को बढ़ाता है। भक्तों को सही निर्णय लेने की क्षमता मिलती है और वे जीवन की जटिलताओं को सरलता से समझ पाते हैं।
  • यह पाठ भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ाता है। यह भगवान जगन्नाथ के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण विकसित करने में मदद करता है, जिससे अंततः मोक्ष और वैकुंठ धाम की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ जगन्नाथ चालीसा का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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Published by Sri Mandir·June 23, 2025

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