राम भगवान पे क्या चढ़ाना चाहिए?
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राम भगवान पर क्या चढ़ाना चाहिए?

क्या आप चाहते हैं श्रीराम की कृपा सदैव बनी रहे? जानिए राम भगवान पर क्या-क्या चढ़ाना चाहिए और पूजा में किन चीजों का है खास महत्व।

भगवान राम को चढ़ाई जाने वाली सामग्री के बारे में

भगवान श्रीराम मर्यादा, सौम्यता और सात्त्विकता के प्रतीक हैं। उनकी पूजा में अर्पित की जाने वाली वस्तुएं भी इन्हीं गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं। वेदों, रामायण और पुराणों में जिन विशिष्ट वस्तुओं को श्रीराम को चढ़ाने योग्य बताया गया है, उनमें चंदन, पुष्प और पायस (खीर) प्रमुख हैं। इनका आध्यात्मिक महत्व, पौराणिक समर्थन और पूजन में फल इस प्रकार है।

भगवान श्रीराम पर क्या चढ़ाएं? जानें सामग्री की पूरी लिस्ट

तुलसी पत्ता: भगवान श्रीराम को तुलसी चढ़ाना वैदिक और पौराणिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और आवश्यक माना गया है। वेदों, पुराणों और रामायण में तुलसी को भगवान विष्णु और उनके अवतारों की अत्यंत प्रिय बताया गया है। श्रीराम, भगवान विष्णु के अवतार हैं और इसलिए तुलसी उन्हें विशेष रूप से प्रिय हैं। तुलसी केवल एक पत्ता नहीं, बल्कि पवित्रता, समर्पण और शुद्ध भक्ति की प्रतीक मानी जाती है। श्रीराम को तुलसी अर्पित करना, वस्तुतः आत्मसमर्पण की भावना से की गई पूजा है। यह मन, वाणी और कर्म की शुद्धि का सूचक है।

चंदन: भगवान श्रीराम को चंदन चढ़ाना अत्यंत शुभ माना गया है। चंदन को वेदों और विष्णु धर्मसूत्र में शुद्धता और शीतलता का प्रतीक माना गया है। श्रीराम, जो कि करुणा, धैर्य और शांति के मूर्त हैं, उन्हें चंदन का लेप अर्पण करने से मन को शांति मिलने के साथ साथ क्रोध और तनाव जैसे दोष भी शांत होते हैं। चंदन का शीतल प्रभाव शरीर, वाणी और मन, तीनों को संतुलित करता है। यह अर्पण भक्त के पवित्र भाव का परिचायक होता है और सौम्यता बढ़ाता है।

केवड़ा और चंपा के पुष्प: वाल्मीकि रामायण में और दक्षिण भारत के मंदिरों की परंपराओं में केवड़ा व चंपा के फूलों का खास ज़िक्र मिलता है। माना जाता है कि इनकी सुंदरता और खुशबू से भगवान श्रीराम बेहद प्रसन्न होते हैं। चंपा को वैदिक परंपरा में विवाह, प्रेम और सात्त्विक समर्पण का प्रतीक माना गया है। केवड़ा की भीनी सुगंध वातावरण को शुद्ध और आध्यात्मिक रूप से जागृत करती है। इन पुष्पों को श्रीराम को अर्पित करने से प्रेम, पारिवारिक सुख, संतति और मन की पवित्रता की प्राप्ति होती है।

खीर या चावल से बनी मिठाई: वाल्मीकि रामायण में वर्णित प्रसिद्ध प्रसंग के अनुसार, राजा दशरथ ने जब पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया, तब अग्निदेव ने उन्हें पायस (खीर) प्रदान किया था, उसी के प्रभाव से श्रीराम का जन्म हुआ। इसलिए पायस श्रीराम के जन्म और दिव्यता से सीधा जुड़ा हुआ है। पूजा में खीर अर्पण करने से संतान-सुख, मनोकामना पूर्ति और गृहस्थ जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही यह अन्न की पवित्रता और ईश्वर को समर्पण का भाव भी दर्शाता है।

रामनाम लिखित पत्र: राम का नाम ही परम ब्रह्म है। तुलसीदास जी कहते हैं कि इसका जप चारों दिशाओं में मंगल फैलाता है। जब हम रामनाम लिखकर प्रभु को चढ़ाते हैं, तो यह हमारे समर्पण और निश्चय का संकेत होता है। शास्त्रों के अनुसार रामनाम का लिखित रूप मन, वाणी और कर्म, तीनों से की गई भक्ति का प्रतीक होता है। यह भावात्मक और साधनात्मक भक्ति का मिलाजुला रूप है, जो भक्त को मानसिक शुद्धि, कष्टों से मुक्ति और प्रभु के निकटता का अनुभव कराता है। ऐसे पत्र अर्पण करना विशेष पुण्यदायक माना गया है, विशेषकर किसी मनोकामना पूर्ति या संकट निवारण के लिए।

पीत वस्त्र (पीले रंग का वस्त्र अर्पण): शास्त्रों और पुराणों में भगवान श्रीराम को पीतांबरधारी कहा गया है। पीला रंग सूर्य, धर्म, समृद्धि और सात्त्विकता का प्रतीक है। यह रंग मन में प्रसन्नता, विनम्रता और पवित्रता उत्पन्न करता है। श्रीराम को पीला वस्त्र अर्पण करना स्वयं को उनके चरणों में समर्पित करने और जीवन में शांति, संतुलन तथा उजास लाने का सूचक होता है। यह रंग गृहस्थ और आध्यात्मिक दोनों जीवन में शुभ फलदायी माना गया है।

धूप व दीपक (घृत दीपक या गुग्गुल धूप): घृत दीपक और गुग्गुल धूप वेदों में अत्यंत पवित्र माने गए हैं। दीपक अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला है और श्रीराम स्वयं “अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश” का प्रतीक हैं। दीप अर्पण कर हम अपने भीतर के अज्ञान, अहंकार और असंतुलन को जलाकर राम के तेज से जुड़ते हैं। वहीं गुग्गुल धूप वातावरण को शुद्ध करता है, नकारात्मक शक्तियों को हटाता है और चेतना को निर्मल बनाता है। पूजा में दीप-धूप अनिवार्य माने गए हैं, विशेषकर त्रेतायुगीन विधि अनुसार।

बेलपत्र (विशेष रूप से शिवराम आराधना में): बेलपत्र पारंपरिक रूप से भगवान शिव को चढ़ाया जाता है, परंतु राम और शिव में अद्वैत संबंध है। स्कंद पुराण और रामरहस्य उपनिषद में कहा गया है कि “राम बिना शिव और शिव बिना राम” की उपासना अधूरी है। इसलिए शिवराम आराधना में बेलपत्र का अर्पण अत्यंत प्रभावशाली होता है। बेलपत्र त्रिगुणात्मक दोषों (रज, तम, सत) को शुद्ध करता है और मन को भगवान के प्रति एकनिष्ठ करता है। शिव-राम के समन्वित पूजन में यह विशेष रूप से उपयोगी है।

गुड़-चना या श्रीफल (नारियल): गुड़-चना अति प्राचीन पूजन सामग्री है, जो विशेष रूप से ग्रामीण और लोक परंपरा से जुड़ी हुई है। यह सरल, सात्त्विक और स्वास्थ्यवर्धक है। इसे श्रीराम को अर्पित करना जीवन में मिठास, सहयोग और स्थायित्व की कामना का प्रतीक है। वहीं श्रीफल (नारियल) को 'पूर्ण फल' कहा गया है और इसे अर्पित करने का अर्थ है – "हे प्रभु, मैं अपना संपूर्ण समर्पण आपके चरणों में करता हूँ।" नारियल को शक्ति, त्याग और आस्था का प्रतीक माना गया है।

निष्कर्ष

श्रीराम को अर्पित की जाने वाली ये वस्तुएं जैसे रामनाम पत्र, पीतवस्त्र, दीप-धूप, बेलपत्र और गुड़-चना/श्रीफल न केवल पूजा को विधिपूर्वक पूर्ण करती हैं, बल्कि इनसे भक्त के जीवन में सकारात्मकता, स्थिरता और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह होता है। ये सभी अर्पण भावनात्मक, प्रतीकात्मक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायक माने जाते हैं।

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Published by Sri Mandir·July 16, 2025

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