हनुमान जी को क्या चढ़ाएं जिससे वे तुरंत प्रसन्न हों? जानिए सिंदूर, चमेली तेल, लड्डू व अन्य पूजन सामग्री जो बजरंगबली की कृपा दिला सकती है।
मंगलवार को भगवान हनुमान जी की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है क्योंकि यह दिन उनके आराधन, संकटमोचन स्वरूप और मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव शमन के लिए उपयुक्त है। वेद, पुराण, हनुमान चालीसा और लोक परंपराओं के अनुसार, मंगलवार के दिन कुछ विशिष्ट वस्तुएं हनुमान जी को चढ़ाना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।
सिंदूर और चमेली का तेल: हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाना अत्यंत शुभ माना गया है। यह परंपरा उस कथा से जुड़ी है जब माता सीता ने हनुमान जी से पूछा कि वे अपने शरीर पर सिंदूर क्यों लगाते हैं, तो उन्होंने कहा “जिससे श्रीराम की आयु बढ़े।” तब से यह चढ़ावा भक्ति और समर्पण का प्रतीक बन गया। चमेली का तेल उनके बल और ऊर्जा का प्रतीक है, जो नकारात्मकता को दूर करता है और आत्मबल बढ़ाता है।
लाल वस्त्र: हनुमान जी को लाल रंग अत्यंत प्रिय है, क्योंकि यह रंग ऊर्जा, पराक्रम और मंगलत्व का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों और लोक परंपराओं में उन्हें लाल अंगवस्त्र या कच्छा पहनाकर पूजा करना बहुत पुण्यदायी बताया गया है। मंगलवार के दिन लाल वस्त्र चढ़ाने से जीवन में साहस, आत्मविश्वास और संकट निवारण की शक्ति प्राप्त होती है। यह अर्पण हनुमान जी के रक्षक रूप को प्रसन्न करता है और ग्रह बाधाओं से बचाव करता है। लाल वस्त्र समर्पण, वीरता और अडिग भक्ति का प्रतीक होते हैं, जिससे भक्त को मानसिक शक्ति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
लड्डू या बूंदी का भोग: हनुमान जी को मोतीचूर के लड्डू अथवा बूंदी का भोग अत्यंत प्रिय है। यह भोग उनकी बाल लीलाओं और भक्तवत्सल भाव से जुड़ा हुआ है। लोकमान्यताओं के अनुसार हनुमान जी लड्डू देख अत्यंत प्रसन्न होते हैं, और इसे श्रद्धा से अर्पित करने पर वे भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यह अर्पण प्रेम, स्नेह और मधुरता का प्रतीक है। कई लोग हनुमान जी को 11, 21 या 51 लड्डू चढ़ाकर अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। खासकर मंगलवार और शनिवार को ऐसा भोग लगाने से कार्यों में सफलता, नज़र से बचाव और हनुमान जी की खास कृपा मिलने की मान्यता है।
बेलपत्र, दूर्वा या तुलसी: हनुमान जी को बेलपत्र, दूर्वा और तुलसी तीनों ही पत्तियाँ अत्यंत प्रिय हैं, क्योंकि वे शिव के अंशावतार हैं और श्रीराम-भक्ति के मूर्त रूप हैं। बेलपत्र उन्हें शिवतत्व से जोड़ता है, जो त्रिगुणों पर नियंत्रण और रोग-शांति का प्रतीक है। दूर्वा पवित्रता, सरलता और शीतलता को दर्शाती है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। तुलसी श्रीराम भक्ति और सात्त्विक प्रेम का प्रतीक है। इन पत्तियों को मंगलवार या शनिवार को अर्पित करने से जीवन में दोषों का नाश होता है, चित्त की एकाग्रता बढ़ती है और हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
गुड़ और चना: गुड़ और चना हनुमान जी का अत्यंत प्रिय भोग है, जिसे विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को अर्पित करने की परंपरा है। यह अर्पण न केवल सरल और सुलभ है, बल्कि इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक अर्थ भी छिपा है। गुड़ मिठास, शांति और संतुलन का प्रतीक है, जबकि चना बल, पोषण और स्थिरता का द्योतक है। हनुमान जी को यह भोग अर्पित करने से शरीर और मन दोनों को ऊर्जा मिलती है, आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं और मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव शांत होते हैं। यह अर्पण विशेष रूप से संकटमोचन स्वरूप को प्रसन्न करता है।
पंचमेवा या सूखे नारियल: पंचमेवा (काजू, बादाम, किशमिश आदि) या सूखा नारियल हनुमान जी को अर्पित करना समृद्धि, संतुलन और पूर्ण भक्ति का सूचक है। श्रीफल यानि नारियल संकल्प, श्रद्धा और संपूर्ण समर्पण का प्रतीक होता है। जब भक्त सूखे नारियल या मेवों को श्रद्धा से चढ़ाते हैं, तो वह यह दर्शाता है कि उसने अपने संपूर्ण कर्म, इच्छाएं और फल प्रभु के चरणों में समर्पित कर दिए हैं। यह अर्पण विशेष रूप से मनोकामना सिद्धि, कार्य की सफलता और घर-परिवार में स्थायित्व के लिए किया जाता है। यह हनुमान जी की कृपा को आकर्षित करता है।
राम नाम लिखित पत्र: हनुमान जी के लिए सबसे प्रिय वस्तु है – श्रीराम का नाम। जब कोई भक्त राम नाम को पत्र पर लिखकर हनुमान जी को अर्पित करता है, तो यह साधना का सर्वोच्च रूप माना जाता है। यह केवल एक अर्पण नहीं, बल्कि संकल्प, श्रद्धा और आत्मिक समर्पण की पूर्ण अभिव्यक्ति होती है। रामनाम लिखने से मन एकाग्र होता है और हमारे कर्म भी शुद्ध होते हैं। हनुमान जी, जो खुद रामभक्ति की मिसाल हैं, ऐसे भक्तों से तुरंत खुश हो जाते हैं। यह साधना हमें मन की शांति देती है, भक्ति में मजबूती लाती है और भगवान से हमारा रिश्ता और भी गहरा कर देती है।
मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर-चमेली तेल, लाल वस्त्र, लड्डू, गुड़-चना, बेलपत्र और राम नाम का अर्पण करके हम न केवल कष्टों से मुक्ति पाते हैं, बल्कि जीवन में बल, बुद्धि, भक्ति और विजय का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ये अर्पण सरल, सच्चे और सात्त्विक भाव से करें, तभी हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
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