श्री जगन्नाथ जी की मंगल आरती (Shri Jagannath Ji Ki Mangal Aarti)
भगवान जगन्नाथ जी भगवान विष्णु के अवतार हैं। भगवान जगन्नाथ जी की पूजा अर्चना और मंगल आरती करने से व्यक्ति के शुभ कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं। जगन्नाथ जी की नित्य आरती करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तो आइए पढ़ते हैं भगवान जगन्नाथ जी की मंगल आरती।
जगन्नाथ जी की मंगल आरती के लिरिक्स (Jagannath Ji Ki Mangal Aarti Ke Lyrics)
आरती श्री जगन्नाथ आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि, कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी, अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी…
घर घरन बजता बाजे बंसुरी, घर घरन बजता बाजे बंसुरी, झांझ या मृदंग बाजे, ताल खनजरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी…
निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि, जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी, जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी…
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी, इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी, मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी…
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी, सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी, धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी…
मंगलकारी नाथ आपादा हरि, कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी, अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी…